युवाओं को गिरफ्त में ले बर्बाद कर रहा ड्रग्स का नशा
डॉक्टर्स बोले: परिजनों के लिए जरूरी है समय पर लक्षण पहचानना
एसएमएस मेडिकल कॉलेज के मनोचिकित्सा केन्द्र में रोजाना पहुंच रहे नशे से पीड़ित 15-20 मरीज
जयपुर। आजकल का युवा नशे को फैशन मानकर इसका शिकार हो रहा है। वो इस बात से अनजान है कि नशा जिसका आगमन जिस घर में एक बार हो जाता है तो उस घर की बर्बादी निश्चित है। ठीक वैसे ही अगर आप या आपके परिवार में कोई इस लत का शिकार हो गया है तो उसके लक्षण पहचान कर उसे नशे की गिरफ्त से निकालना बेहद जरूरी है। आजकल नशे के रूप में शराब, हुक्का, अफीम, एमडी, चरस, गांजा, हेरोइन सहित कई प्रकार की ड्रग्स और नशे की सामग्री काम में ली जा रही है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि स्कूल-कॉलेजों के आसपास भी नशे की सामग्री आसानी से उपलब्ध हो रही है। ऐसे में युवा वर्ग आसानी से नशे के चंगुल में फंस कर अपनी जिंदगी बर्बाद रहा है और असमय मौत का शिकार भी हो रहा है। राजधानी जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज के मनोचिकित्सा केन्द्र में हर रोज ओपीडी में करीब 15 से 20 मरीज किसी ना किसी ड्रग्स या नशे के सेवन से पीड़ित होकर इलाज के लिए आ रहे हैं। इनमें से करीब दो से चार प्रतिशत को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। इनमें युवाओं की संख्या ज्यादा है।
इन लक्षणों से चलेगा लत का पता
आंखों का लाल या सूजा हुआ होना। अक्सर नशा करने के बाद आंखें लाल हो जाती है या सूजन आ सकती है। कुछ ड्रग्स का नशा करने से सांस की गति धीमी हो जाती है।
हाथ-पैर कांपने लगते हैं और कई बार शरीर सुन्न पड़ जाता है। बात करते समय जुबान लड़खड़ाना। मुंह से हर समय अजीब सी दुर्गन्ध आना। व्यवहार में बदलाव।
सोच-समझ की क्षमता में कमी।
ड्रग्स एडिक्शन से बचने के उपाय
किसी प्रोफेशनल काउंसलर, मनोवैज्ञानिक या डॉक्टर से सलाह लें। नशा मुक्ति केंद्रों में विशेष प्रकार के उपचार होते हैं जो आपकी मदद कर सकते हैं।
ऐसे लोगों से दूर रहें जो आपको नशे की ओर प्रेरित करते हैं। अपने आपको ऐसे लोगों के साथ जोड़ें जो आपको प्रोत्साहित करते हैं और नशे से दूर रखने में मदद करते हैं।
रोजाना व्यायाम करने और योग या ध्यान करने से मानसिक शक्ति बढ़ती है, जिससे नशे की इच्छा कम होती है।
नशा मुक्ति से जुड़े संगठन आपकी मानसिक और भावनात्मक सहायता कर सकते हैं।
अपने शरीर को मजबूत रखने के लिए पौष्टिक भोजन करें, जिससे नशे से छुटकारा पाने की शक्ति मिल सके।
नशे की जगह कुछ और सकारात्मक कार्यों जैसे पढ़ाई, खेल या कोई नई रूचि विकसित करें। ड्रग्स छोड़ने के बाद कुछ शारीरिक और मानसिक परेशानियां आती है, जिन्हें मनोचिकित्सक से इलाज और दवाएं लेकर दूर किया जा सकता है।
क्या-कितने प्रकार की होती है ड्रग्स
हम रोजमर्रा के जीवन में जितनी भी दवाओं का इस्तेमाल करते हैं, आमतौर पर उन्हें ड्रग्स कहा जाता है। ये ड्रग्स सिरदर्द की दवाएं, कमर दर्द की दवाएं, किसी भी तरह के विटामिन की गोली कुछ भी हो सकती है। ड्रग्स आमतौर पर दो प्रकार के हो सकते हैं। पहला जिनका इस्तेमाल हम किसी बीमारी या किसी रोग को दूर करने के लिए करते हैं। दूसरे वो हैं, जिनका इस्तेमाल आमतौर पर एक लत के तौर पर किया जाता है। जैसे शराब, तंबाकू, कोकीन, अफीम, मारिजुआना, हेरोइन, सिंथेटिक ड्रग्स इत्यादि। इसके अलावा अगर कोई किसी तरह के उपचार के लिए किसी दवा का सेवन करता है, लेकिन उपचार खत्म होने के बाद भी वो उस दवा का सेवन करता है तो उसे भी ड्रग्स की श्रेणी में रखा जा सकता है। यानी कि अगर किसी को किसी भी चीज की लत लग जाए जो स्वास्थ्य के लिहाज से सुरक्षित नहीं है उसे भी हम एक तरह का ड्रग कह सकते हैं।
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