ईयू के 27 देशों के साथ बड़ी डील के मुहाने पर भारत : गोयल
डेयरी सेक्टर में लाखों किसान लगे हुए हैं
ऐसी स्थिति में, पूरी तरह से खोलने से विदेशी कंपनियों के हाथ में महत्वपूर्ण संसाधन और उत्पादन पहुंच सकते हैं, जो खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है।
नई दिल्ली। भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) मुहाने पर है। बस, भारत की एक ऐसी शर्त है जिस पर वह रत्तीभर टस से मस होने को तैयार नहीं है। अब इसी शर्त से तय होगा कि भारत के साथ 27 मुल्कों के बीच मुक्त व्यापार समझौता परवान चढ़ता है या नहीं। हाल में वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने साफ कर दिया कि अगर यूरोपीय संघ भारत से डेयरी सेक्टर खोलने पर जोर देता रहा तो एफटीए नहीं हो पाएगा। दरअसल, डेयरी सेक्टर में लाखों किसान लगे हुए हैं। इस सेक्टर को खोलने से इन किसानों की आय पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। ये उत्पाद देश की खाद्य सुरक्षा से सीधे जुड़े हुए हैं। ऐसी स्थिति में, पूरी तरह से खोलने से विदेशी कंपनियों के हाथ में महत्वपूर्ण संसाधन और उत्पादन पहुंच सकते हैं, जो खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है।
संवेदनशीलता का सम्मान होना जरूरी
गोयल ने कहा है कि पहले ईयू के 27 देशों और भारत के 27 राज्यों के बीच संवेदनशीलता का सम्मान होना जरूरी है। वह बोले हैं कि दोनों पक्षों को एक-दूसरे की संवेदनशीलता का सम्मान करने की जरूरत है। संयुक्त अरब अमीरात, ऑस्ट्रेलिया और ईएफटीए का जिक्र करते हुए मंत्री ने कहा हमने एक-दूसरे की संवेदनशीलता का सम्मान किया। ऐसे मुद्दों पर दबाव नहीं बनाया, जो नुकसान पहुंचा सकते हैं। उदाहरण के लिए डेयरी। वह साफ बोले मैं डेयरी सेक्टर को नहीं खोल सकता। अगर ईयू इस बात पर जोर देता है कि भारत डेयरी सेक्टर को खोले तो कोई एफटीए नहीं होगा। गोयल ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया ने भारत के साथ अपना पहला एफटीए बिना डेयरी के किया। उन्होंने भारत के मुद्दों का सम्मान किया। गोयल बोले कि कहा कि दोनों पक्षों को एक-दूसरे की संप्रभुता का सम्मान करना होगा। यह भी साफ किया, हम अब दब्बू नहीं रहे। हम कमजोरी की स्थिति से बातचीत नहीं करते हैं।
प्रति व्यक्ति आय में बड़े अंतर का किया जिक्र
गोयल ने इस बात पर जोर दिया कि ईयू सदस्य देशों की प्रति व्यक्ति आय भारतीय राज्यों की तुलना में बहुत अधिक है। उन्होंने कहा, अगर हम इन बातों का सम्मान करते हैं तो एफटीए बहुत ही सम्मानजनक, सराहनीय और तेजी से हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने और गहरी रणनीतिक साझेदारी पर फोकस करने की जरूरत है। यह राजनीतिक फैसला होगा। बातचीत केवल नौकरशाही पर नहीं छोड़ी जा सकती।
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