असमंजस के भंवर में फंसी आरटीयू की एमए-एमएससी

राजस्थान टेक्नीकल यूनिवसिर्टी कोटा में अब तक शुरू नहीं हुए नॉन इंजीनियरिंग डिग्री कोर्सेज

असमंजस के भंवर में फंसी आरटीयू की एमए-एमएससी

पहले सितम्बर फिर अक्टूबर में एडमिशन शुरू करने के किए थे दावे, नवम्बर में भी आसार नहीं।

कोटा। राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय में नॉन इंजीनियरिंग एमएससी व एमए डिग्री प्रोग्राम असमंजस के भंवर में फंस गए हैं। सितम्बर में शुरू होने वाले कोर्सेज के नवम्बर में भी शुरू होने के आसार नजर नहीं आ रहे। जबकि, आरटीयू द्वारा सितम्बर के प्रथम सप्ताह में ही कोर्स शुरू करने के दावे किए गए थे। एमएससी व एमए में 30-30 सीटों पर एडमिशन दिए जाने थे। लेकिन, आरटीयू प्रशासन की लेटलतीफी के कारण हजारों विद्यार्थियों की उम्मीदों पर पानी फिर गया।  क्योंकि, कॉलेजों में पीजी के एडमिशन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और सीटें सीमित होने के कारण अधिकतर विद्यार्थी स्वयंपाठी के रूप में एडमिशन ले चुके हैं। ऐसे में उनका आरटीयू में एमएससी व एमए करना सपना ही रह गया। विशेषज्ञों का मत है, यदि आरटीयू द्वारा नवम्बर के आखिरी सप्ताह तक भी एडमिशन प्रोसेज शुरू करता है तो संतोषजनक एडमिशन नहीं मिल पाएंगे, क्योंकि अनावश्यक देरी के चलते विद्यार्थी अन्य संस्थानों में एडमिशन ले चुके हैं। कोटा यूनिवर्सिटी से एफिलेटेड कॉलेजों में पीजी प्रथम सेमेस्टर की परीक्षाएं भी दिसम्बर से जनवरी के बीच निर्धारित है। 

पहले सितम्बर फिर अक्टूबर अब नवम्बर
आरटीयू प्रशासन द्वारा एमएससी व एमए डिग्री कोर्सेज शुरू करने के लिए पहले सितम्बर के प्रथम सप्ताह में प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने के दावे किए गए थे। इसके बाद कोर्स संचालन की कमेटी की मिटिंग नहीं होने का हवाला देकर अक्टूबर से एडमिशन स्टार्ट करने की बात कही गई। लेकिन, दोनों माह बीतने के बाद अब नवम्बर में बोम से अप्रूवल मिलने पर कोर्स शुरू करने की उम्मीद जताई जा रही है। 

फिजिक्स, मैथ्स व कैमेस्ट्री में एमएससी
आरटीयू द्वारा वर्तमान शिक्षा सत्र 2024-25  में  फिजिक्स, मैथ्स व कैमेस्ट्री में एमएससी कराए जानी है। लेकिन, अब अब तक एडमिशन प्रक्रिया ही शुरू नहीं की गई। जबकि, सिलेबस तक बन गए। कोर्सेज के लिए कमेटी भी गणित हो चुकी है। इसके बावजूद आरटीयू प्रशासन द्वारा प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने में अनावशयक देरी की जा रही है। जिससे एमएससी शुरू होने पर भी संशय लग गया। 

अंगे्रजी, गणित व ह्यूमेनिटी में एमए
राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय अंग्रेजी, गणित व ह्यमेूनिटी में एमए डिग्री कोर्स शुरू होना है। एमए इंग्लिश के प्रति विद्यार्थियों में खासा उत्साह नजर आया था। क्योंकि, प्रत्येक संकाय में 30-30 सीटें निर्धारित हैं। वहीं, शहर में मात्र गवर्नमेंट कॉलेज में ही अंगे्रजी में एमए करवाई जाती है। लेकिन वहां सीटे सीमित होने के कारण छात्र-छात्राओं का रेगुलर एडमिशन नहीं मिल पाता। ऐसे में बड़ी संख्या में विद्यार्थी आरटीयू से उम्मीद लगाए बैठे थे लेकिन नवम्बर तक भी एडमिशन प्रोसेज शुरू नहीं होने से मायूस हो गए। 

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क्या कहते हैं विद्यार्थी
जब आरटीयू में इंग्लिश में एमए की जानकारी मिली थी तो हम एडमिशन लेने के लिए उत्साहित थे और बेसब्री से प्रवेश प्रक्रिया शुरू होने का इंतजार कर रहे थे, क्योंकि कोटा शहर में मात्र गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज कोटा में ही इंग्लिश में एमए करवाई जाती है लेकिन सीटें कम होने से मेरिट हाई जाती है, जिसकी वजह से अधिकतर विद्यार्थियों को रेगुलर एडमिशन नहीं मिल पाता। ऐसे में आरटीयू  से उम्मीद थी। लेकिन यहां अब तक कोर्स ही शुरू नहीं हुआ। मजबूरी में स्वयंपाठी के रूप में एडमिशन लेना पड़ेगा। 
- जोगेंद्र कहार, याज्ञेंद्र कुमार, छात्र 

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आरटीयू, टेक्नीकल यूनिवर्सिटी होने के नाते यहां इंफ्रास्ट्रेक्चर बेहतर है। ऐेसे में यहां से एमएससी करना चाहता था लेकिन नवम्बर तक भी एडमिशन प्रोसेज शुरू नहीं किया। ऐसे में गवर्नमेंट कॉलेज में ही एडमिशन ले लिया। यदि, अक्टूबर तक भी प्रोसेज शुरू  हो जाता तो एडमिशन ले सकते थे। यह यूनिवर्सिटी की लेटलतीफी है, कई विद्यार्थी एमएसी व एमए के विभिन्न संकाय में एडमिशन लेने की आस लगाए बैठे थे, लेकिन देरी के कारण अन्यंत्र संस्थानों में एडमिशन लेना पड़ा।  नवम्बर से भी कोर्स शुरू हो जाए, यह भी तय नहीं है। इस सत्र से कोर्स शुरू होना मुश्किल लगता है। 
- खुशीराम जादौन, हर्षित अग्रवाल, छात्र 

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अभी इस संबंध में कोई अपडेट नहीं है। हालांकि कार्य तेजी से चल रहा है। 
- प्रो. रंजन माहेश्वरी, चीफ प्रोक्टर आरटीयू

एडमिशन प्रोसेज के रूल-रेगुलेशन आखिरी स्टेज पर है। आगामी कुछ दिनों में बोम की बैठक होने की उम्मीद है, जिसमें अप्रूव्ल मिलते ही प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। सिलेबस बन चुके हैं, तैयारी भी पूरी हो चुकी है। आरटीयू विद्यार्थियों के सर्वागींण विकास के लिए लगातार प्रयासरत है। 
- प्रो. दिनेश बिरला, डीन फैकल्टी अफेयर आरटीयू

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