खानों पर संकट से डबल इंजन सरकार की खुली पोल : जूली

लोगों के रोजगार छिनने की स्थिति के लिए ये दोनों सरकारें जिम्मेदार हैं

खानों पर संकट से डबल इंजन सरकार की खुली पोल : जूली

उसने अभी तक इस कमेटी के गठन की स्वीकृति नहीं दी है और साथ ही एनजीटी ने अंतिम तिथि को बढ़ाये जाने से भी इंकार कर दिया है।

जयपुर। राजस्थान विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा है कि प्रदेश की खानों पर छाए संकट से केन्द्र व राज्य की कथित डबल इंजन सरकार की पोल खुल गयी है। प्रदेश में 23 हजार खानें बंद होने और इससे जुड़े 15 लाख लोगों के रोजगार छिनने की स्थिति के लिए ये दोनों सरकारें जिम्मेदार हैं। आठ नवंबर से इन खानों पर स्वत: ताले लग जायेंगे। जिसके लिए मुख्यमंत्री स्वयं जिम्मेदार होंगे। जूली ने कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ( एनजीटी) ने प्रदेश की 23 हजार खानों के एनवायरमेंट क्लियरेंस की एनओसी के लिए जारी करने के लिए 7 की अंतिम तिथि घोषित कर रखी है, लेकिन प्रदेश में राज्यस्तरीय पर्यावरण कमेटी नहीं होने से यह काम अटक गया है। राज्य सरकार ने नयी कमेटी के गठन के लिए केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय को प्रस्ताव भेज रखा है, लेकिन उसने अभी तक इस कमेटी के गठन की स्वीकृति नहीं दी है और साथ ही एनजीटी ने अंतिम तिथि को बढ़ाये जाने से भी इंकार कर दिया है।

अगर केन्द्र व राज्य सरकार में इतने अहम मसले पर भी समन्वय नहीं है, तो फिर 'डबल इंजन सरकार' के क्या मायने हैं। यह शब्द लोगों को लुभाने के लिए भाजपा का सिर्फ़ एक जुमला भर है। प्रदेश में 35 हजार खानें हैं। इसमें माइनर मिनरल और क्वारी लाइसेंस धारकों की 23 हजार खानें बंद होने की नौबत के लिए राज्य सरकार की उदासीनता जिम्मेदार है। 6 महीने पहले भी प्रदेश में यह स्थिति बनी थी, लेकिन तब यह अवधि आगे बढ़ गयी थी, लेकिन पिछले 6 महीने में राज्य सरकार ने 12 हजार आवेदकों में से सिर्फ़ एक हजार आवेदकों को एनओसी जारी की गई और अक्टूबर महीने में राज्य स्तरीय पर्यावरण कमेटी का कार्यकाल पूरा हो गया। वहीं, अन्य बारह हजार खान मालिक तो आवेदन करने से भी वंचित रहे और अब नई कमेटी के लिए केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय अधिसूचना जारी नहीं कर रहा है। 

नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि खनिज अर्थव्यवस्था प्रदेश के उद्योग एवं व्यापार जगत की धुरी है। एक तरफ मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा 'राइजिंग राजस्थान' को लेकर विदेशी निवेश के लंबे-चौड़े दावे कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ प्रदेश में 23 हजार खानों के बंद होने और 15 लाख लोगों की रोजी-रोटी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। जूली ने कहा कि सवाल उठता है या तो मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को अधिकारी  प्रदेश में क्या चल रहा है, इस बारे में कोई जानकारी नहीं देते हैं या फिर मुख्यमंत्री इतने कमजोर हैं कि वे राज्य के हितों की रक्षा करने की आवाज़ केन्द्र सरकार के सामने उठा ही नहीं पाते हैं। ईआरसीपी को लेकर हुए समझौते का भी मुख्यमंत्री प्रदेश की जनता के सामने खुलासा करने में विफल रहे हैं और अब खानों की एनवायरमेंट क्लियरेंस के संवेदनशील मुद्दे पर मुख्यमंत्री की नाकामी एक बार फिर सामने आयी है।

 

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