एआई बताएगा ऑर्टरी में ब्लॉकेज के लिए कितना लंबा स्टेंट लगेगा
नेशनल कॉन्फ्रेंस राजस्थान कार्डियोलॉजी समिट का समापन
अंतिम दिन डॉ. राजीव बगरहट्टा, डॉ. जीएल शर्मा, डॉ. संजीव गेरा, डॉ. सीबी मीणा, डॉ. गौरव सिंघल, डॉ. राजीव शर्मा, डॉ. संजीव शर्मा और डॉ. मिलिंद श्रीवास्तव सहित अन्य विशेषज्ञों ने अलग-अलग सेशन में अपनी रिसर्च प्रस्तुत की।
जयपुर। एंजियोप्लास्टी के दौरान कार्डियोलॉजिस्ट अपने अनुभव के आधार पर निर्णय लेते हैं कि ब्लॉकेज के हिसाब से कितना लंबा स्टेंट लगाना है और उसे कितना खोलना है, लेकिन अब ये काम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई की मदद से होगा। इसके लिए न्यू जनरेशन आइवस विद एआई तकनीक आ गई है, जिससे एंजियोप्लास्टी के परिणाम और बेहतर होने की उम्मीद है। जयपुर में हुई दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस राजस्थान कार्डियोलॉजी समिट के आखिरी दिन एक्सपर्ट्स ने एंजियोप्लास्टी के दौरान होने वाली जटिलताओं को ठीक करने के नए प्रोटोकॉल और तकनीकों के बारे में जानकारी दी। कॉन्फ्रेंस के ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. संजीब रॉय ने बताया कि कॉन्फ्रेंस में दोनों दिन 250 से अधिक एक्सपर्ट्स शामिल हुए। आखिरी दिन जटिल एंजियोप्लास्टी, वॉल्व डिजीज, बच्चों में होने वाले जन्मजात हृदय रोगों के इलाज पर बात की गई। इस दौरान कार्डियोलॉजी के स्टूडेंट्स ने रिसर्च पेपर भी प्रस्तुत किए। बेहतर रिसर्च पर शोधकर्ता को सम्मानित भी किया गया। अंतिम दिन डॉ. राजीव बगरहट्टा, डॉ. जीएल शर्मा, डॉ. संजीव गेरा, डॉ. सीबी मीणा, डॉ. गौरव सिंघल, डॉ. राजीव शर्मा, डॉ. संजीव शर्मा और डॉ. मिलिंद श्रीवास्तव सहित अन्य विशेषज्ञों ने अलग-अलग सेशन में अपनी रिसर्च प्रस्तुत की।
एंजियोप्लास्टी पर रियलटाइम डेटा मिलेगा
डॉ. संजोग कालरा ने बताया कि न्यू जनरेशन आइवस मशीन से एंजियोप्लास्टी के दौरान ही कार्डियोलॉजिस्ट को डेटा मिलता रहता है। प्लॉक में कितना ज्यादा कोलेस्ट्रॉल है, ब्लॉकेज वाली जगह स्टेंट की लंबाई, स्टेंट इंप्लांट करने पर आर्टरी में स्टेंट कितना खुल सकता है। यह सारी जानकारी हाथों हाथ मिलती रहती है। इससे स्टेटिंग के दौरान आर्टरी के फटने, स्टेंट के कम खुलने से दोबारा ब्लॉकेज होने की संभावना खत्म हो गई है। यह तकनीक अल्ट्रासाउंड पर काम करती है।
FFR तकनीक बताएगी, ब्लॉकेज दवाओं से ठीक होगा या स्टेंट लगेगा
ब्लॉकेज होने पर मरीज की एंजियोप्लास्टी जरूरी है या दवाओं से ही ठीक हो जाएगा। इसके लिए एफएफआर जांच आ गई है। डॉ. संदीप मिश्रा ने जानकारी दी कि एफएफआर गाइड वायर आधारित प्रोसीजर है। इससे ब्लॉक हुई कोरोनरी आर्टरी में ब्लॉकेज के बाद रक्त प्रवाह की जानकारी ली जा सकती है। इस तकनीक में मरीज की प्रभावित आर्टरी में वायर डाला जाता है, जिसमें सेंसर लगा होता है। यह वायर ब्लॉकेज के पहले और बाद के ब्लड प्रेशर की रिपोर्ट भेजता है।
आईएएस डॉ. समित ने साझा किए नि:शुल्क दवा योजना के अनुभव
आईएएस डॉ. समित शर्मा ने भी कार्यक्रम में शिरकत की। प्रतिभागियों से मुख्यमंत्री नि:शुल्क जांच व दवा योजना के अनुभव साझा किए। मरीज एवं परिजनों के साथ बेहतर व्यवहार पर जोर दिया। वयस्क टीकाकरण, पेलीएटिव केयर, पेट, आंत व मोटापा संबंधित बीमारियों पर, क्लिनिकल डायग्नोस्टिक एडवांसमेंट पर, हड्डी व जोड़ संबंधी विकार पर, जांचों के नवाचारों पर भी शोध और व्याख्यान हुए।
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