यूपीआई फ्रॉड के मामले 85 प्रतिशत बढ़े, करोड़ों रुपए की ठगी
फ्रॉड बढ़ाने का मौका दे दिया है
करीब 140 लाख करोड़ रुपए का लेनदेन हुआ और उस साल इनके फ्रॉड से जुड़े सवा सात लाख मामले सामने आए जिनमें लोगों से 573 करोड़ रुपये ठगे गए।
मुंबई। देश में डिजिटल पेमेंट के चलन के रफ्तार पकड़ने के साथ-साथ उससे जुड़े फ्रॉड भी तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में अगर डिजिटल पेमेंट में यूपीआई पेमेंट सबसे आगे है तो इसी से जुड़े फ्रॉड भी सबसे ज्यादा हैं। दरअसल लोग बिल पेमेंट के साथ ही ट्रेन टिकट जैसे हर काम के लिए यूपीआई से पेमेंट कर रहे हैं। इस तेजी ने साइबर ठगों को भी यूपीआई से जुड़े फ्रॉड बढ़ाने का मौका दे दिया है। अगर आंकड़ों की बात करें तो वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में एक सवाल के जवाब में बताया कि 2023 में देश में यूपीआई फ्रॉड के मामले 85 फीसदी बढ़े हैं। 2022-23 में 8300 करोड़ से ज्यादा यूपीआई ट्रांजेक्शन हुए जिनमें करीब 140 लाख करोड़ रुपए का लेनदेन हुआ और उस साल इनके फ्रॉड से जुड़े सवा सात लाख मामले सामने आए जिनमें लोगों से 573 करोड़ रुपये ठगे गए।
डिजिटल स्कैम में तेजी से इजाफा
वहीं 2023-24 में 13 हजार 100 करोड़ से ज्यादा और करीब 200 लाख करोड़ रुपये के यूपीआई ट्रांजेक्शन हुए जिनमें फ्रॉड के मामलों की संख्या 13.4 लाख रही और कुल ठगी की रकम 1 हजार 87 करोड़ रुपए थी। इस साल अप्रैल-सितंबर तक यूपीआई फ्रॉड के मामलों की संख्या 6.32 लाख रही जिनमें कुल 485 करोड़ रुपये की ठगी की गई। वित्त राज्य मंत्री ने दावा किया है कि बढ़ते यूपीआई फ्रॉड को रोकने के लिए कई असरदार तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है. आरबीआई ने मार्च 2020 से सेंट्रल पेमेंट फ्रॉड इंफोर्मेशन रजिस्ट्री यानी सीपीएफआईआर शुरू की जो कि पेमेंट से जुड़ी फ्रॉड की जानकारी देने वाली एक वेब आधारित रजिस्ट्री है। सभी रेगुलेटेड इकाइयों को इस रजिस्ट्री मे पेमेंट संबंधी फ्रॉड की जानकारी देनी होती है। यूपीआई फ्रॉड समेत पेमेंट से जुड़े फ्रॉड को रोकने के लिए सरकार, आरबीआई और नेशनल पेमेंट्स कॉपोर्रेशन ऑफ इंडिया यानी एनपीसीआई ने समय-समय पर कई पहलें की हैं, इनमें कस्टमर के मोबाइल नंबर और डिवाइस के बीच डिवाइस बाइंडिंग, पिन के जरिए टू-फैक्टर ऑथेंटिफिकेशन, डेली ट्रांजेक्शन लिमिट वगैरह शामिल हैं।
फ्रॉड रोकने के लिए उठाए जा रहे हैं ये कदम
इसके अलावा एनपीसीआई ने सभी बैंकों को एक फ्रॉड मॉनिटरिंग सॉल्यूशन मुहैया कराया है, जो आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग आधारित मॉडल के जरिए उन्हें फ्रॉड को रोकने की खातिर अलर्ट करता है और ट्रांजेक्शन को नामंजूर करने में सक्षम करता है। आरबीआई और बैंक, शॉर्ट एसएमएस, रेडियो कैंपेन और पब्लिसिटी के जरिए साइबर क्राइम को लेकर जागरुकता अभियान भी चला रहे हैं। साथ ही-गृह मंत्रालय ने एक नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल और नेशनल साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर भी शुरू किया है। ग्राहक बैंकों की कस्टमर केयर वेबसाइट या शाखाओं में फ्रॉड की शिकायत कर सकते हैं. इसके अलावा फ्रॉड से जुड़े संदिग्ध कॉल, या मैसेज की शिकायत करने के लिए टेलीकॉम डिपार्टमें ने संचार साथी पोर्टल पर डिजिटल इंटेलीजेंस प्लेटफॉर्म और चक्षृ नाम से एक सुविधा भी शुरू की है। यानी अब ग्राहकों को जागरुक होने की जरुरत है जिससे वो साइबर ठगों की हर चाल को नाकाम करके अपनी गाढ़ी कमाई को सुरक्षित रख सकें।
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