5 माह से बाघ एमटी-5 का रेडियो कॉर्लर खराब, परमिशन के बाद भी नहीं बदला टाइगर सुरक्षा में घोर लापरवाही

जिम्मेदारों की अनदेखी से खतरे में एमटी-5 की सुरक्षा

5 माह से बाघ एमटी-5 का रेडियो कॉर्लर खराब, परमिशन के बाद भी नहीं बदला टाइगर सुरक्षा में घोर लापरवाही

मुकुंदरा से गायब हुआ बाघ एमटी-1 का आज तक नहीं लगा सुराग

कोटा। मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व का एकलौता नर बाघ एमटी-5 की सुरक्षा में घोर लापरवाही बरती जा रही है।  पिछले 5 महीने से बाघ का रेडियो कॉर्लर खराब है, जिसे बदलने की मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक से परमिशन भी मिल चुकी है। इसके बावजूद रेडियो कॉर्लर नहीं बदला गया। मुकुंदरा का पहला बाघ एमटी-1 पूर्व में 82 वर्ग किमी के क्लोज एनक्लोजर से गायब हो गया था। जिसका आज तक पता नहीं चला, क्योंकि उसका रेडियो कॉर्लर खराब था। जबकि, बाघ एमटी-5 खुले में विचरण कर रहा है और लगातार लंबी दूरी तय करता है। पहले भी वह चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा होते हुए मध्यप्रदेश की सीमा तक जा चुका है। ऐसे में जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही से मुकुंदरा में फिर से एमटी-1 की कहानी दोहराई जाने का खतरा मंडरा रहा है।  

जुलाई से ही खराब है रेडियो कॉर्लर 
जानकारी के अनुसार, बाघ एमटी-5 का रेडियो कॉर्लर गत जुलाई माह से ही काम नहीं कर रहा है। जिसकी जानकारी होते हुए भी जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा अब तक बदला गया। इधर, जीपीएस कोर्डिनेट नहीं मिलने से मॉनिटरिंग टीम को भी उसके मूवमेंट का पता नहीं लगता। जबकि, वह लंबी दूरी तय करता रहा है। ऐसे में उसकी सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। सबसे ज्यादा खतरा रात के समय है। क्योंकि, बाघ रात के समय ही बाघ 30 से 40 किमी का मूवमेंट करता है। 

कैमरा ट्रेप व पगमार्क के भरोसे मॉनिटरिंग  
टाइगर मॉनिटरिंग में लगे वनकर्मी बाघ की मॉनिटरिंग कैमरा ट्रैप के फुटेज व पगमार्क, स्केट  व स्क्रेच मार्क के भरोसे ही कर रहे हैं। जबकि, रात के समय पगमार्क व स्क्रेच मार्क दिखाई नहीं देते। ऐसे में जीपीएस बेस्ड रेडियो कॉर्लर से मिलने वाले सेटेलाइट कोर्डिनेट व सिग्नल से मॉनिटरिंग  की जाती है लेकिन रेडियो कॉर्लर खराब होने से वनकर्मियों को जीपीएस सिग्नल के अभाव में बाघ के मूवमेंट का पता नहीं लग पा रहा। ऐसे में बाघ कहीं सघन वनक्षेत्र में चला जाए तो उसे ढूंढना मुश्किल हो जाएगा।

मध्यप्रदेश की बोर्डर तक जा चुका एमटी-5
गत 8 फरवरी को टाइगर एमटी-5 चंबल नदी पार कर जवाहर सागर सेंचुरी से भीलवाड़ा के सघन वनक्षेत्र में पहुंच गया था। यह वनक्षेत्र मध्यप्रदेश की बॉर्डर पर स्थित है। मॉनिटरिंग व ट्रैकिंग टीम को रेडियो सिग्नल मिलने के बाद ही बाघ की लॉकेशन का पता लग पाया था। इसके बाद ही भीलवाड़ा व नीमच वन विभाग के सहयोग से मुकुंदरा प्रशासन बाघ तक पहुंच पाया था। यदि, फिर से एमटी-5 इतनी लंबी दूरी तय कर लेता है तो मुकुंदरा के लिए बाघ को फिर से खोज पाना आसान नहीं होगा। 

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गत वर्ष 10 दिन तक गायब रहा था बाघ 
28 आॅक्टूबर 2023 में टाइगर के गले में लगे रेडियो कॉलर के जीपीएस फिक्सेस नहीं मिलने से वह 10 दिन तक गायब रहा था। इस दरमियान बाघ का कहीं भी मूवमेंट नहीं मिला। इसके बाद 3 नवम्बर 2023 की सुबह रेडियो सिग्नल भी बंद हो गए थे।  तब वनकर्मी पगमार्क के भरोसे चित्तौड़, झालावाड़ और बूंदी वन मंडल व रामगढ़ टाइगर रिजर्व के क्षेत्रों में खोज रही थी, लेकिन बाघ जवाहर सागर रेंज के सघन वनक्षेत्र में मिला था। क्योंकि, गत 8 नवम्बर की सुबह जवाहर सागर के सघन वन क्षेत्र में रेडियो सिग्नल मिलने से बाघ की लोकेशन ट्रैस हो पाई थी। ऐसे में रेडियोकॉर्लर खराब होने से उसके गायब होने की आशंका प्रबल हो जाती है।

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रेडियो कॉर्लर की अनदेखी से दो बड़े नुकसान
एमटी-1 का आज तक नहीं लगा सुराग
मुकुंदरा का पहला बाघ एमटी-1 वर्ष 2020 में 84 हैक्टेयर एनक्लोजर से अचानक गायब हो गया था। जिसका रेडियो कॉर्लर खराब होने की वजह से आज तक पता नहीं चल सका। जबकि, रेडियो कॉर्लर खराब होने की तत्कालीन डीएफओ को जानकारी थी, इसके बावजूद उसे बदला नहीं गया।  जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही से गायब हुआ बाघ का आज तक पता नहीं चल सका। अब वर्तमान में वही गलती फिर से दोहराई जा रही है। 

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कंकाल में बदल गई बाघिन आरवीटीआर-2
रामगढ़ टाइगर रिजर्व की बाघिन आरवीटीआर-2 का रेडियोकॉर्लर पिछले डेढ़ साल से खराब था। जिसका पता होने के बावजूद अधिकारी लापरवाह बने रहे और रेडियोकॉर्लर नहीं बदला। जिसका नतीजा, गत 16 अक्टूबर को बाघिन के कंकाल के रूप में मिला। बाघिन की मौत एक माह पहले ही मौत हो गई थी। वह लंबे समय से उसका कोई मूवमेंट नहीं मिल रहा था। इसके बाजवूद उसे ढूंढा नहीं गया। यदि, रेडियोकॉर्लर सही होता तो जीपीएस सिग्नल मिलने से उसकी लॉकेशन ट्रेस हो जाती और उसकी जान बचाई जा सकती थी। 

क्या कहते हैं वन्यजीव प्रेमी
बाघों की रहस्यमयी मौत से चर्चा में रहे मुकुंदरा टाइगर रिजर्व के इकलौते बाघ एमटी-5 का रेडियो कॉर्लर 5 महीने से खराब होना गंभीर चिंता का विषय है। पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ की अनुमति के बावजूद रेडियो कॉर्लर नहीं बदलना अधिकारियों की गंभीर लापरवाही का प्रत्यक्ष उदारहण है। इससे बाघ की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। एनटीसीए को तत्काल संज्ञान लेकर बाघ की सुरक्षा से खिलवाड़ करने वाले जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।   साथ ही वन्यप्राणी प्रबंधन प्रशिक्षण के लिए सिफारिश सिफारिश करनी चाहिए।
-अजय दुबे, वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट भोपाल

वर्ष 2020 में मुकुंदरा का पहला बाघ एमटी-1 82 वर्ग किमी के क्लोज एनक्लोजर से गायब हो गया था। जिसका आज तक पता नहीं लगा। क्योंकि,  उसका रेडियोकॉर्लर खराब था। अब लापरवाही की यही कहानी फिर से एमटी-5 के साथ दोहराई जा रही है। जबकि, यह बाघ तो खुले में विचरण कर रहा है। खुदा न खास्ता एमटी-5 के साथ कुछ हादसा हो गया तो अधिकारी स्टाफ की कमी का हवाला देकर हाथ खड़े कर लेंगे। जिम्मेदार अधिकारी वन्यजीवों की सुरक्षा के प्रति बिलकुल भी गंभीर नहीं है। 
-तपेश्वर सिंह भाटी, एडवोकेट एवं पर्यावरणविद् 

दो -तीन बार प्रयास किया, सफल नहीं हो पाए
हां, रेडियो कॉर्लर खराब है, जिसे बदलने के लिए तीन-चार बार कोशिश की थी लेकिन सफल नहीं हो सके। चूंकि, रेडियोकॉर्लर बदलने के लिए ट्रैंकुलाइज करने की जरूरत होती है।  ऐसे में पहले इसे अनुकूल स्थान पर लाने के लिए शिकार बांधा था, बाघ आया लेकिन रुका नहीं। इस वजह से ट्रैंकुलाइज नहीं कर पाए। हालांकि, कोशिश जारी है। बाघ की मॉनिटरिंग की जा रही है।
-रामकरण खैरवा, संभागीय मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक, वन विभाग 

एमटी-5 का रेडियो कॉर्लर बदलने का प्रयास कर रहे हैं। बाघ के पीछे एक टीम भी लगा रखी है। पहले भी एक बार रेडियोकॉर्लर बदलने का प्रयास किया था, हालांकि सफल नहीं हो सके। अभी बायोलॉजिकल पार्क से मादा शावक को मुकुंदरा में शिफ्ट किया जाना है। इसके बाद फिर से रेडियोकॉर्लर बदलने की कोशिश की जाएगी। बाघ की नियमित मॉनीटरिंग की जा रही है।
-मुथूएस, डीएफओ मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व 

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