हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का 87 साल की उम्र में निधन, दो बार कोरोना को दी थी मात
हिमाचल प्रदेश की अर्की विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का लंबी बीमारी के बाद इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) अस्पताल में गुरुवार सुबह निधन हो गया। वह 87 साल के थे। वीरभद्र सिंह ने सुबह लगभग 3.40 बजे अंतिम सांस ली।
शिमला। हिमाचल प्रदेश की अर्की विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का लंबी बीमारी के बाद इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) अस्पताल में गुरुवार सुबह निधन हो गया। वह 87 साल के थे। वीरभद्र सिंह ने सुबह लगभग 3.40 बजे अंतिम सांस ली। अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डॉ. जनक राज ने वीरभद्र सिंह के निधन की इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि दोबारा कोरोना पॉजिटिव आने के बाद से गत लगभग ढाई माह से अस्पताल में उपचाराधीन थे। गत सोमवार को अचानक तबीयत खराब होने के बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था तथा इसके बाद बेहोशी की हालत में चले गये और गुरुवार सुबह उनकी मौत हो गई। इसी बीच वीरभद्र के निधन के उपरांत भीड़ के उमड़ने की संभावना को देखते हुए आईजीएमसी अस्पताल के बाहर, दिवंगत मुख्यमंत्री के होली लॉज स्थित आवास और उनके पैतृक निवास रामपुर में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।
वीरभद्र सिंह के निधन से राज्य की राजनीति के एक युग का अंत हो गया है। प्रदेश की राजनीतिक में वह एक कद्दावर नेता थे और कांग्रेस का प्रर्याय माने जाते थे। उनका जाना कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है। वह हमेशा पार्टी के संकटमोचक बने। उनके धुर विरोधी भी उनके राजनीतिक कौशल का लोहा मानते थे। वीरभद्र सिंह का जन्म 23 जून 1937 को सराहन में तत्कालीन बुशहर रियासत के राजा पद्म सिंह के धर हुआ था। उन्होंने देहरादून के कर्नल ब्राउन कैम्ब्रिज स्कूल, शिमला के सेंट एडवर्ड और बिशप कॉटन स्कूल और रोहड़ू के अरहाल से स्कूली शिक्षा तथा दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से बीए ऑनर्स की डिग्री हासिल की। मई 1954 में उनका विवाह रत्ना कुमारी से विवाह हुआ तथा इससे उन्हें एक पुत्री अभिलाशा कुमारी है, जो गुजरात उच्च न्यायालय की न्यायाधीश भी रहीं। वर्ष 1986 में प्रतिभा सिंह से उनका दूसरा विवाह हुआ। प्रतिभा भी मंडी से 2004 में सांसद रह चुकी हैं। इस विवाह से उन्हें दो संतानें पुत्र विक्रमादित्य सिंह और पुत्री अपराजिता सिंह हैं।
वीरभद्र सिंह को गत 13 अप्रैल को कोरोना संक्रमित होने पर मोहाली के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था और 23 अप्रैल को स्वस्थ होने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी से दी गई तथा वह शिमला आ गए। यहां आने पर उन्हें फिर से सांस संबंधी दिक्कत शुरू हो गई और पुन: आईजीएमसी अस्पताल में भर्ती कराया गया। गत 11 जून को वह फिर से कोरोना संक्रमित हो गए, लेकिन इससे भी वह उबर चुके थे। लेकिन कोविड पश्चात की अन्य जटिलताओं के चलते अस्पताल में उनका उपचार चल रहा था। गत सोमवार को तबीयत और बिगड़ने पर उन्हें वेटिंलेटर पर रखे जाने के बाद वह बेहोशी में चले गए। आज सुबह तड़के उनका निधन हो गया।
वीरभद्र सिंह 9 बार विधायक, 6 बार राज्य के मुख्यमंत्री, 5 बार सांसद और केंद्र में 4 बार मंत्री रहे। वर्ष 1962 में पहली बार तत्कालीन महासु लोकसभा सीट से चुनाव जीते। इस तरह उन्हें तीसरी लोकसभा का सबसे युवा सांसद होने का गौरव भी हासिल हुआ। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू उन्हें राजनीति में लाए थे, जिसका वह बार-बार जिक्र किया करते थे। वह इसके बाद 1967, 1971, 1980 और 2009 में लोकसभा चुनाव जीते। इस दौरान वह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी सरकार में दिसंबर 1976 से मार्च 1977 तक पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री और सितंबर 1982 से अप्रैल 1983 तक उद्योग राज्य मंत्री तथा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सरकार में 28 मई 2009 से 18 जनवरी 2011 तक इस्पात मंत्री और 19 जनवरी 2011 से 26 जून 2012 तक केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्री रहे।
वीरभद्र सिंह 1983-1985, 1985-1990, 1993-1998, वर्ष 1998 में कुछ दिन, 2003-2007 और 2012 से 2017 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे। वर्तमान में वह सोलन जिले की अर्की विधानसभा सीट से विधायक थे। वह अपनी परम्परागत रोहड़ू विधानसभा चुनाव लड़ते थे। अपने पैतृक रामपुर की सीट के आरक्षित होने के कारण वह कभी भी यहां से चुनाव नहीं लड़ पाए। परिसीमन के चलते रोहड़ू सीट भी आरक्षित हुई तो वर्ष 2012 में उन्होंने शिमला ग्रामीण क्षेत्र से चुनाव लड़ा। वर्ष 2017 में उन्होंने यह सीट अपने बेटे विक्रमादित्य सिंह के लिए सीट छोड़ दी और खुद अर्की से चुनाव लड़े। लोकसभा के लिए वह पहली बार 1962 में चुने गए।
हिमाचल प्रदेश में तीन दिन का राजकीय शोक
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन पर दुख जताया है और दिवंगत आत्मा के सम्मान में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित कर दिया है। इस अवधि के दौरान किसी प्रकार के सरकारी कार्यक्रम आयोजित नहीं होंगे। सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि आवश्यक सेवाओं से संबधित विभागों के अतिरिक्त राज्य सरकार के सभी कार्यालय, बोर्ड, निगम और स्वायत्त संस्थान 8 जुलाई को बंद रहेंगे।
वीरभद्र के निधन पर कोविंद ने जताया शोक
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन पर गहरा शोक जताया है। कोविंद ने ट्वीट कर कहा कि यह जानकर दुख हुआ कि वीरभद्र सिंह नहीं रहे। मुख्यमंत्री और सांसद के रूप में छह दशक तक उनकी भूमिकाओं में हिमाचल प्रदेश की सेवा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता झलकती है। उन्होंने कहा कि उनके परिजनों और अनुयायियों के प्रति संवेदना।
मोदी ने वीरभद्र सिंह के निधन पर व्यक्त किया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट संदेश में कहा कि वीरभद्र सिंह जी का लंबा राजनीतिक जीवन रहा। वह बहुत अधिक अनुभवी नेता और प्रशासक थे। उन्होंने हिमाचल प्रदेश में केंद्रीय भूमिका निभाई और राज्य के लोगों की सेवा की। उनके निधन से निराशा हुई। उनके परिजनों तथा समर्थकों को मेरी संवेदनाएं। ओम शांति।
वीरभद्र के निधन पर राहुल, प्रियंका ने जताया शोक
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी तथा पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कांग्रेस नेता वीरभद्र सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। राहुल गांधी ने ट्वीट किया, कि वीरभद्र सिंह जी सही मायने में दिग्गज नेता थे। उन्होंने जिस तरह से जनता तथा कांग्रेस पार्टी की सेवा की वह हमेशा विशिष्ट उदाहरण बना रहेगा। उनके परिजनों और मित्रों के प्रति में संवेदना व्यक्त करता हूं। उन्हें हम भुला नहीं पाएंगे। प्रियंका ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए ट्वीट किया कि राजनीति में विशालकाय पर्वतों सा कद रखने वाले व देवभूमि हिमाचल को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरभद्र सिंह जी के निधन से हम सबको एक अपूर्णीय क्षति हुई है। ईश्वर उनको श्रीचरणों में स्थान दें। विनम्र श्रद्धांजलि।
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