गलवान संघर्ष के बाद चीन ने नहीं बदली सेना की पोजीशन : पेंटागन

चीन सीमा पार बढ़ा रहा अपनी ताकत

गलवान संघर्ष के बाद चीन ने नहीं बदली सेना की पोजीशन : पेंटागन

चीन लगातार लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल की तरफ मिलिट्री बिल्ड अप बढ़ा रहा है। यानी सैन्य ताकत और ढांचागत निर्माण

नई दिल्ली। चीन लगातार लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल की तरफ मिलिट्री बिल्ड अप बढ़ा रहा है। यानी सैन्य ताकत और ढांचागत निर्माण। ये खुलासा हुआ है अमेरिकी रक्षा मंत्रालय यानी डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस ने 2024 की सालाना रिपोर्ट में। इसमें कहा गया है कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना लगातार अपनी सेना की ताकत को एलएसी के आसपास बढ़ा रहा है। साल 2020 में गलवान संघर्ष के बाद ये बढ़ते जा रहे हैं। उसने अपनी सेना पीछे नहीं खींची है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की सबसे बड़ी कमांड है वेस्टर्न थियेटर कमांड. ये लद्दाख के पास वाली कमांड है। यहां पर सीमा के पास चीन अपनी ताकत को मजबूती से बढ़ा रहा है। यहां पर बीजिंग में मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर दिया है। सड़कें बनाई हैं। एयरबेस बनाए हैं। लॉजिस्टिक फैसिलिटी बनाई है। चीन इनकी मदद से एलएसी पर तैनात कई ब्रिगेड्स को सहायता प्रदान कर सकता है। या नए ब्रिगेड तैनात कर सकता है। इस हरकत से पता चलता है कि चीन विवादित सीमा और इलाके को लेकर क्या तैयारी कर रहा है। ताकि भारत के डिफेंसिव मैकेनिज्म को काउंटर कर सके।

1. 2020 के बाद से निर्माण : भारत और चीन के बीच 21 दौर की कोर कमांडर-स्तर की वार्ता के बावजूद, चीन की सेना ने 2020 के बाद से स्थापित अपनी अग्रिम स्थिति बनाए रखी है। इसमें डी-एस्केलेशन के कोई संकेत नहीं हैं।

2. सैन्य बुनियादी ढांचे में वृद्धि: रिपोर्ट में सीमा क्षेत्रों में ढछअ की लंबे समय तक तैनाती को सक्षम करने वाले बेस, एयरफील्ड और अन्य लॉजिस्टिक नोड्स के निर्माण का विवरण दिया गया है।

3. वेस्टर्न थिएटर कमांड पर फोकस : डब्ल्यूटीसी का प्राथमिक मिशन तिब्बत और शिनजियांग में भारत के साथ चीन की सीमा की सुरक्षा करना है। इसमें संयुक्त हथियार ब्रिगेड, यूएवी यूनिट और मिसाइल बेसों सहित अपने शस्त्रागार को आधुनिक बनाना शामिल है।

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4. आतंकवाद विरोधी और क्षेत्रीय स्थिरता : घरेलू स्तर पर, डब्ल्यूटीसी को तिब्बत और शिनजियांग में कथित अलगाववाद और आतंकवाद को दबाने का काम सौंपा गया है।

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5. शी जिनपिंग के निर्देश : रिपोर्ट में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के इस्लाम को कम करने और शिनजियांग में धार्मिक और जातीय गतिविधियों पर सख्त नियंत्रण पर जोर देने का उल्लेख किया गया है।

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भौगोलिक और रणनीतिक तौर पर क्या असर होगा? 

पेंटागन रिपोर्ट में भारत-चीन सीमा पर बढ़ते तनाव पर जोर दिया गया है, जहां चीन की सेना अपनी उपस्थिति को मजबूत करने और भारतीय सैन्य अभियानों को रोकने के लिए निरंतर निर्माण कर रहा है। चीन ने सीमा क्षेत्र में अपनी सैन्य तैनाती को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है, जिसमें सड़कें, एयरफील्ड और लॉजिस्टिक सुविधाएं शामिल हैं। यह निर्माण चीन की लंबे समय तक तैनाती के लिए तैयारी को दर्शाता है, जिससे भविष्य में झड़पों की संभावना के बारे में चिंताएं बढ़ रही हैं। इस बीच, भारत भी एलएसी के साथ अपनी रक्षा को मजबूत करने के लिए काम कर रहा है, जिसमें बुनियादी ढांचे की परियोजनाएं और सैन्य तैनाती शामिल हैं। यह स्थिति चीन-भारत संबंधों में एक महत्वपूर्ण फ्लैशपॉइंट बनी हुई है, जिसके क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा के लिए जरूरी हैं। इस रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को हल करने के लिए निरंतर सावधानी और कूटनीति की आवश्यकता है।

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