IT एक्ट की निरस्त धारा 66A के तहत प्राथमिकियां दर्ज होने पर SC ने जताया आश्चर्य, केंद्र को जारी किया नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने सूचना प्रौद्योगिकी कानून की निरस्त की गई धारा 66ए के तहत प्राथमिकियां दर्ज किए जाने को लेकर आश्चर्य व्यक्त करते हुए केंद्र सरकार से सोमवार को जवाब तलब किया। शीर्ष अदालत ने कहा कि संबंधित कानून की धारा 66ए को 2015 में ही निरस्त कर दिया था। इसके बावजूद इसके तहत प्राथमिकियां दर्ज क्यों की जा रही हैं।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सूचना प्रौद्योगिकी कानून की निरस्त की गई धारा 66ए के तहत प्राथमिकियां दर्ज किए जाने को लेकर आश्चर्य व्यक्त करते हुए केंद्र सरकार से सोमवार को जवाब तलब किया। शीर्ष अदालत ने कहा कि संबंधित कानून की धारा 66ए को 2015 में ही निरस्त कर दिया था। इसके बावजूद इसके तहत प्राथमिकियां दर्ज क्यों की जा रही हैं। न्यायमूर्ति आर एफ रोहिंगटन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) की याचिका की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा।
सुप्रीम कोर्ट ने आईटी कानून की निरस्त धारा 66A के तहत पुलिस द्वारा प्राथमिकियां दर्ज किए जाने पर आश्चर्य व्यक्त किया है। न्यायमूर्ति नरीमन ने कहा कि आश्चर्य है। जो हो रहा है वह खतरनाक है। श्रेया सिंघल मामले में शीर्ष अदालत ने 2015 में फैसला दे दिया था। कोर्ट में जैसे ही सुनवाई शुरू हुई पीयूसीएल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने दलील दी कि संबंधित धारा के निरस्त किए जाने के बाद भी देशभर में हजारों की संख्या में प्राथमिकियां दर्ज की जा रही है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके 2 सप्ताह में जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।
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