मोदी कैबिनेट ने बैठक में लिए कई फैसले : मेघायल से असम के बीच बनेगा कोरिडोर, केन्द्र सरकार कराएगी जाति जनगणना

गन्ना किसानों को सरकार ने राहत दी

मोदी कैबिनेट ने बैठक में लिए कई फैसले : मेघायल से असम के बीच बनेगा कोरिडोर, केन्द्र सरकार कराएगी जाति जनगणना

गन्ना किसानों को सरकार ने राहत दी है। सरकार ने गन्ने का एफआरपी तय किया। वैष्णव ने कहा कि सिलचर से शिलॉन्ग के बीच मेगा हाईवे बनेगा। 

नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनावों के पहले सरकार ने राजनीतिक महत्व का एक बड़ा कदम उठाते हुए देश में आम जनगणना में जातियों की गणना कराने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को यहां हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की राजनीतिक मामलों की समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया। रेल, सूचना प्रसारण, इलैक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कैबिनेट के फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि “राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने आज फैसला किया है कि जाति गणना को आगामी जनगणना में शामिल किया जाना चाहिए।”

वैष्णव ने कहा कि “कांग्रेस की सरकारों ने आज तक जाति जनगणना का विरोध किया है। आजादी के बाद की सभी जनगणनाओं में जातियों की गणना नहीं की गई। वर्ष 2010 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री दिवंगत डॉ. मनमोहन सिंह ने लोकसभा में आश्वासन दिया था कि जाति जनगणना पर केबिनेट में विचार किया जाएगा। तत्पश्चात एक मंत्रिमण्डल समूह का भी गठन किया गया था जिसमें अधिकांश राजनीतिक दलों ने जाति आधारित जनगणना की संस्तुति की थी। इसके बावजूद कांग्रेस की सरकार ने जाति जनगणना के बजाए, एक सर्वे कराना ही उचित समझा जिसे एसईसीसी के नाम से जाना जाता है। इस सब के बावजूद कांग्रेस और इंडी गठबंधन के दलों ने जाति जनगणना के विषय को केवल अपने राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग किया।”

सूचना प्रसारण मंत्री ने कहा कि जनगणना का विषय संविधान के अनुच्छेद 246 की केंद्रीय सूची की क्रम संख्या 69 पर अंकित है और यह केंद्र का विषय है। हालांकि, कई राज्यों ने सर्वे के माध्यम से जातियों की जनगणना की है। जहां कुछ राज्यो में यह कार्य सूचारू रूप से संपन्न हुआ है वहीं कुछ अन्य राज्यों ने राजनीतिक दृष्टि से और गैरपारदर्शी ढंग से सर्वे किया है। इस प्रकार के सर्वें से समाज में भ्रांति फैली है। इन सभी स्थितियों को ध्यान में रखते हुए और यह सुनिश्चित करते हुए कि हमारा सामाजिक ताना बाना राजनीति के दबाव मे न आए, जातियों की गणना एक सर्वें के स्थान पर मूल जनगणना में ही सम्मिलित होनी चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि समाज आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से मजबूत होगा और देश की भी प्रगति निर्बाध होती रहेगी।

वैष्णव ने कहा कि “आज दिनांक 30 अप्रैल 2025 के दिन प्रधानमंत्री  मोदी के नेतृत्व में राजनीतिक विषयों की कैबिनेट समिति ने यह निर्णय लिया है कि जातियों की गणना को आने वाली जनगणना में सम्मिलित किया जाए। यह इस बात को दर्शाता है कि वर्तमान सरकार देश और समाज के सर्वांगीण हितों और मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध है।”

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उन्होंने यह भी कहा कि इसके पहले भी जब समाज के गरीब वर्गों को 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया था तो समाज के किसी घटक में कोई तनाव उत्पन्न नहीं हुआ था। उल्लेखनीय है कि सरकार के इस फैसले का बिहार विधानसभा के सितंबर अक्टूबर में होने वाले चुनाव की दृष्टि से देखा जा रहा है जहां विपक्षी इंडी गठबंधन द्वारा उठायी गयी जातीय जनगणना कराने की मांग जोर पकड़ रही है। केन्द्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार के इस फैसले को बिहार की राजनीति में उलटफेर करने वाला निर्णय माना जा रहा है।

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