जनता है संविधान की सरंक्षक : प्रत्येक नागरिक में निवास करती है लोकतंत्र की आत्मा, धनखड़ ने कहा- भारत के लोगों से ऊपर कोई नहीं
लोकतंत्र के लिए प्रत्येक नागरिक की महत्वपूर्ण भूमिका होती
उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जनता को संविधान की संरक्षक करार देते हुए मंगलवार को कहा कि किसी भी लोकतंत्र में नागरिकों की केंद्रीय भूमिका होती है और वे जनप्रतिनिधियों के माध्यम से अपने इच्छा व्यक्त करते हैं
नई दिल्ली। उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जनता को संविधान की संरक्षक करार देते हुए मंगलवार को कहा कि किसी भी लोकतंत्र में नागरिकों की केंद्रीय भूमिका होती है और वे जनप्रतिनिधियों के माध्यम से अपने इच्छा व्यक्त करते हैं। धनखड़ ने आज यहां दिल्ली विश्वविद्यालय में भारतीय संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित का कार्यक्रम ‘कर्तव्यम’ को संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी लोकतंत्र के लिए, प्रत्येक नागरिक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
उप राष्ट्रपति ने कहा कि “ मेरे अनुसार नागरिक सर्वोच्च है क्योंकि एक राष्ट्र और लोकतंत्र नागरिकों द्वारा ही निर्मित होते हैं। उनमें से प्रत्येक की अपनी भूमिका है! लोकतंत्र की आत्मा प्रत्येक नागरिक में निवास करती है और धड़कती है। जब नागरिक सजग होगा, योगदान देगा तो लोकतंत्र खिलेगा, इसके मूल्य बढ़ेंगे और नागरिक जो योगदान देता है, उसका कोई विकल्प नहीं है।” उप राष्ट्रपति दिल्ली विश्वविद्यालय के पदेन कुलाधिपति है।
उन्होने कहा कि संविधान का सार और महत्व संविधान की प्रस्तावना में समाहित है। संविधान के अनुसार,“हम, भारत के लोग” सर्वोच्च शक्ति उनके पास है। भारत के लोगों से ऊपर कोई नहीं है। भारत के लोग, संविधान के अंतर्गत अपने जन प्रतिनिधियों के माध्यम से अपनी आकांक्षाओं, अपनी इच्छाओं, अपनी इच्छा को प्रतिबिंबित करने का विकल्प चुनते हैं तथा चुनावों के माध्यम से प्रतिनिधियों को जवाबदेह ठहराते हैं। धनखड़ ने कहा कि ‘आपातकाल’ लगाने वाले प्रधानमंत्री को वर्ष वर्ष1977 में जवाबदेह ठहराया गया था। इसलिए, इस बारे में कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि संविधान लोगों के लिए है, और इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी निर्वाचित प्रतिनिधियों की है। उन्होंने कहा कि “ संविधान की सामग्री क्या होगी, इसके अंतिम स्वामी वे ही हैं।”
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