नई टेक्नोलॉजी को कृषि क्षेत्र से जोड़ने की जरुरत: अग्रवाल

विकसित तकनीकों की वकालत

नई टेक्नोलॉजी को कृषि क्षेत्र से जोड़ने की जरुरत: अग्रवाल

अग्रवाल ने कहा कि ड्रोन और कृत्रिम मेधा ऐसी दो भविष्योन्मुख तकनीक हैं, जो कृषि क्षेत्र में क्रांति ला सकती हैं।

नई दिल्ली। धानुका समूह के चेयरमैन आर जी अग्रवाल ने फसलों की पैदावार बढ़ाने, लागत कम करने और किसानों की आय में वृद्धि करने के लिए ड्रोन तथा कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) जैसी विकसित तकनीकों को कृषि क्षेत्र का अभिन्न हिस्सा बनाने की जोरदार वकालत की है। अग्रवाल ने कहा कि ड्रोन और कृत्रिम मेधा ऐसी दो भविष्योन्मुख तकनीक हैं, जो कृषि क्षेत्र में क्रांति ला सकती हैं। उन्होंने कहा कि हम डीजीसीए द्वारा कृषि एवं छिड़काव सेवाओं के लिए स्वीकृत ड्रोन की आपूर्ति भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में कीटाणुनाशक दवाओं के छिड़काव और अन्य गतिविधियों में ड्रोनों का उपयोग पहले से ही हो रहा है, लेकिन सरकार और निजी क्षेत्र की भागीदारी के माध्यम से उनके उपयोग को वृहद स्तर पर बढ़ावा दिया जा सकता है। ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसी अत्याधुनिक तकनीकों के क्रियान्वयन से किसान वैश्विक बाजार की स्पर्धा का विश्वास के साथ सामना करने के साथ-साथ खेती-बाड़ी की कार्य-कुशलता को भी सुधार पायेगा। अग्रवाल ने कहा कि ये तकनीकें फसल की बीमारियों की पहचान और कीट-पतंगों के हमले का पूर्वानुमान करने के साथ साथ खाद के कुशल उपयोग और जल प्रबंधन में भी सहायक हो सकती हैं। इन तकनीकों की सहायता से किसान तात्कालिक आंकड़ों (रियल टाइम डाटा) के बलबूते विवेकपूर्ण निर्णय लेकर फसल की बेहतर योजना बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि धानुका समूह तकनीक संवर्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और एक ड्रोन निर्माण करने वाली कंपनी में निवेश भी किया है। 

खेती में सही गुणवत्ता के इनपुट के उपयोग और बिल पर ही खरीदी के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए कंपनी कई अभियान चला रही है। इन्हीं प्रयासों के तहत धानुका एग्रीटेक ने हरियाणा के पलवल में किसानों के लिए एक अत्याधुनिक अनुसंधान एवं ट्रेनिंग केंद्र  भी शुरू किया है। तकनीक तक पहुंच की आवश्यकता को रेखांकित और किसानों के लिए ‘तकनीक के अधिकार’ की वकालत करते हुए उन्होंने कहा  ‘‘हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि आधुनिक संयंत्र और तकनीकियां उन्हें उनकी सामर्थ्य के अंदर उपलब्ध हों। अग्रवाल ने कहा कि किसान आधुनिक संयंत्र और तकनीकों का कुशलता से दोहन कर जलवायु परिवर्तन की चुनौती का सामना कर पायेंगे। इससे किसान अभिनव समाधानों का ज्यादा से ज्यादा लाभ उाने के साथ-साथ अपनी खेती-बाड़ी का प्रभावी तरीके से प्रबंधन कर पायेंगे। आधुनिक तकनीक और खेती में सही गुणता के इनपुट का उपयोग कीट-पतंगों के हमले की चुनौती का सामना करने में किसानों के लिए मददगार साबित हो सकते हैं। ड्रोन और कृत्रिम मेधा फसल वृद्धि को प्रभावित करने वाले मौसम पद्धतियां, मिट्टी का नमी स्तर और अन्य महत्वपूर्ण कारकों पर तात्कालिक आंकड़ें उपलब्ध करा सकते हैं। इन आंकड़ों के आधार पर किसान उचित निर्णय लेने में सक्षम होंगे। 

Post Comment

Comment List

Latest News

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, दिल्ली में अब केवल बीएस-4 और उससे ऊपर के मानक वाले वाहन ही चल सकेंगे सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, दिल्ली में अब केवल बीएस-4 और उससे ऊपर के मानक वाले वाहन ही चल सकेंगे
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि दिल्ली में केवल बीएस-4 या उससे ऊपर मानक वाले वाहन ही चल सकेंगे। बीएस-3...
भारत–अर्जेंटीना कृषि सहयोग को नई मजबूती, कार्य योजना 2025-2027 पर किये हस्ताक्षर
मोदी के नेतृत्व एवं भजनलाल की मेहनत से राजस्थान कर रहा है विकास के नए आयाम स्थापित:​ डिप्टी सीएम दियाकुमारी
रेलयात्री कृपया ध्यान दें...लोकसभा में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का बड़ा एलान, ज्यादा सामान ले जाने पर देना होगा इतना शुल्क, जानें पूरा मामला
बुकिंग शुरू होते ही टाटा सिएरा ने बाज़ार में मचाया तहलका: पहले ही दिन 70,000 से ज्यादा ऑर्डर कन्फर्म
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु वेल्लोर दौरे पर, श्रीपुरम स्वर्ण मंदिर में किए दर्शन
गुणवत्ता में  5 दवाएं, एक मेडिकल प्रोडक्ट फैल, बेचने पर रोक लगाई