आखिर क्यों अजित पवार ने फिर बनाई आरएसएस से दूरी? सामने आई चौकाने वाली वजह
आरएसएस मुख्यालय से अजित पवार की दूरी
महाराष्ट्र की महायुति सरकार में शामिल डिप्टी सीएम अजित पवार एक बार फिर आरएसएस मुख्यालय नहीं पहुंचे। एनसीपी ने इसे पार्टी की शाहू-फुले-आंबेडकर विचारधारा से जोड़ा। कांग्रेस ने इस पर तंज कसते हुए गठबंधन पर सवाल उठाए।
मुंबई। महाराष्ट्र में बीजेपी के अगुवाई वाली महायुति गठबंधन में शामिल अजित पवार एक बार फिर से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से अपनी दूरी बनाई है। नागपुर में विधानमंडल का सत्र सामाप्त होने के बाद डिप्टी सीएम अजित पवार रेशीम बाग स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय नहीं गए, हलांकि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने यहां पर पहुंचकर संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार को नमन किया। यह दूसरा मौका है जब अजित पवार ने संघ के मुख्यालय जाने से परहेज किया है। अजित पवार के संघ मुख्यालय और खासकर हेडगेवार मेमोरियल नहीं जाने पर प्रतिक्रिया दी है। पार्टी ने कहा है कि एनसीपी शाहू, फूले और अंबेडकर की विचारधारा में विश्वास करती है। यह विचारधारा सामाजिक उत्थान की है।
एनसीपी ने कार्यक्रम से बनाई दूरी
एनसीपी के प्रवक्ता आनंद परांजपे ने कहा कि नेशनल कांग्रेस पार्टी की विचारधारा (समाज सुधारकों) शाहू, फुले और अंबेडकर के प्रगतिशील विचारों पर आधारित है, और यह पहली बार नहीं है कि पवार ने हेडगेवार के स्मारक पर जाना छोड़ा है। वह पहले भी ऐसा कर चुके हैं। एनसीपी ने जोर देकर कहा कि वह राज्य के विकास के लिए महायुति गठबंधन में शामिल हुई है। गौरतलब हो कि अजित पवार को छोड़कर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और सत्ताधारी बीजेपी, शिवसेना के विधायकों ने रविवार सुबह हेडगेवार के स्मारक पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। अजित पवार और अन्य एनसीपी नेताओं ने इस कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लिया।
कांग्रेस ने एनसीपी पर कसा तंज
बीजेपी से जुड़े मंत्री और विधायक हर साल राज्य विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दौरान रेशिमबाग में स्मृति मंदिर में हेडगेवार और दूसरे संघचालक एम एस गोलवलकर के स्मारक पर जाते हैं। पिछले साल स्मृति मंदिर में अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के एकमात्र प्रतिनिधि विधायक राजू करेमोर और राजकुमार बडोले थे। एनसीपी ने कहा है कि हम अपने सिद्धांतों पर कायम हैं और हमारा ध्यान राज्य के विकास पर है। इस पूरे घटनाक्रम पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया सामने आई है। कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने दावा किया कि एनसीपी कैबिनेट बैठकों में फरर की विचारधारा सुन रही है। जब तक पवार की पार्टी इससे सहमत नहीं होगी, वे सत्ता में नहीं रहेंगे।

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