भारत-चीन सरहद पर गश्त को लेकर सहमति
लद्दाख में साढ़े चार साल से चले आ रहे सैन्य गतिरोध के समाधान का मार्ग प्रशस्त
विदेश सचिव विक्रम मिस्री के अनुसार अब दोनों पक्ष इस सहमति के अनुरूप एलएसी पर अपनी-अपनी सैन्य टुकड़ियों को पीछे हटाने और वर्ष 2020 में गलवान घाटी में सैन्य टकराव के बाद उत्पन्न तनाव के मुद्दों के समाधान के लिए कदम उठाएंगे।
नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त को लेकर एक अहम सहमति कायम होने के साथ ही पूर्वी लद्दाख सीमाक्षेत्र में साढ़े चार साल से चले आ रहे सैन्य गतिरोध के समाधान का मार्ग प्रशस्त हो गया है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री के अनुसार अब दोनों पक्ष इस सहमति के अनुरूप एलएसी पर अपनी-अपनी सैन्य टुकड़ियों को पीछे हटाने और वर्ष 2020 में गलवान घाटी में सैन्य टकराव के बाद उत्पन्न तनाव के मुद्दों के समाधान के लिए कदम उठाएंगे।
विदेश सचिव ने प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा के बारे में जानकारी देने के लिए सोमवार को बुलाये गये एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पिछले कई सप्ताह से भारत एवं चीन के राजनयिक एवं सैन्य वार्ताकार डब्ल्यूएमसीसी और सैन्य कमांडरों की बैठक में दूसरे के साथ निकट संपर्क में रह कर बातचीत कर रहे हैं। इन चर्चाओं के परिणामस्वरूप एलएसी पर गश्त की व्यवस्था के बारे में एक सहमति बनी है।
इससे 2020 में उत्पन्न मुद्दों का समाधान होगा और सैन्य टुकड़ियों को पीछे हटाया जाएगा। हम इस दिशा में अगले कदम उठाने जा रहे हैं।
ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने मोदी आज जाएंगे कजान
प्रधानमंत्री की यात्रा के बारे में मिस्री ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए मोदी मंगलवार को कजान के लिए प्रस्थान करेंगे। ब्रिक्स के इस संस्करण का विषय वैश्विक विकास और सुरक्षा के लिए बहुपक्षवाद को मजबूत करना है। भारत ब्रिक्स के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और इसके योगदान ने आर्थिक विकास, सतत विकास और वैश्विक शासन सुधार जैसे क्षेत्रों में ब्रिक्स प्रयासों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पिछले साल जोहांसबर्ग में ब्रिक्स के पहले विस्तार के बाद यह पहला शिखर सम्मेलन होगा। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में संस्थापक सदस्यों के साथ-साथ नए सदस्य भी भाग लेंगे। शिखर सम्मेलन 22 अक्टूबर को शुरू होगा।
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