लोकसभा में जल शक्ति मंत्रालय की अनुदान मांगे ध्वनिमत से पारित : सीआर पाटिल ने दिया चर्चा का जवाब, कहा- जल के महत्व को समझती है सरकार
स्थानीय स्तर पर पेयजल की गुणवत्ता की जांच कर सकेंगी

मोदी सरकार के दौरान इस क्षेत्र को 10 वर्ष में चार लाख 29 हजार करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया गया।
नई दिल्ली। लोकसभा में कटौती प्रस्तावों को खारिज करते हुये जल शक्ति मंत्रालय से संबंधित अनुदान मांगों को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इससे पहले चर्चा का जवाब देते हुये जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने कहा कि मोदी सरकार जल के महत्व को समझती है और इसके प्रबंध के लिये पर्याप्त धन दिया है। पाटिल ने कहा कि पिछली संयुक्त प्रगतिशील गंठबंधन (संप्रग) सरकार के 10 वर्ष के कार्यकाल में जल क्षेत्र के लिये एक लाख दो हजार करोड़ रुपये दिये गये थे, जबकि मोदी सरकार के दौरान इस क्षेत्र को 10 वर्ष में चार लाख 29 हजार करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया गया।
देश में सभी को निरंतर स्वच्छ पेयजल मिलता रहे, इसके लिये देश में 25 लाख महिलाओं को प्रशिक्षित किया है, जो स्थानीय स्तर पर पेयजल की गुणवत्ता की जांच कर सकेंगी। इसके लिये उन्हें किट प्रदान किये गये हैं। किसी को भी दूषित पेयजल न लेना पड़े, इसके लिये सरकार पूरे इंतजाम करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि स्वच्छ पेयजल स्वास्थ्य सेवा भी है, इससे देश में चार लाख बच्चों को अतिसार से बचाया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि स्वच्छ पेयजल देने के परिणाम हर क्षेत्र में देखने को मिल रहे हैं।
पाटिल ने कहा कि देश में करोड़ों शौचालय बना दिये जाने से 60 करोड़ लोगों की शौचालय जाने की आदत में बदलाव आया है। देश में सिंचाई क्षमता बढ़ाने के विभिन्न उपाय किये गये हैं। हर खेत को पानी मिले, इसके लिये 1100 करोड़ रुपये का प्रबंध किया गया है। केन-वेतवा नदी संपर्क योजना को पूरा करने के लिये आवश्यक कदम उठाये जा रहे हैं। लंबित पोलावरम रिपीट पोलावरम परियोजना को 2026 तक पूरा करने के लिये धन उपलब्ध कराया जा रहा है। पाटिल ने कहा कि नदी स्वच्छता अभियान पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इससे गंगा नदी के जल में सुधार आया है। यह निरंतर प्रयासों का प्रमाण है। गंगा नदी का प्रवाह भी सुधरा है।
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