दिल्ली हाईकोर्ट सख्त : छात्रों के साथ गुलामों जैसा व्यवहार करने वाले स्कूल को बंद कर देना चाहिए
छात्रों को कक्षाओं में भाग लेने की अनुमति दें स्कूल
बीचए न्यायालय ने जिला मजिस्ट्रेट; की अध्यक्षता वाली आठ सदस्यीय निरीक्षण समिति की निरीक्षण रिपोर्ट का अवलोकन किया।
नई दिल्ली। फीस नहीं देने पर छात्रों के साथ अपमानजनक व्यवहार करने से जुड़े एक मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने द्वारका के दिल्ली पब्लिक स्कूल को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि फीस नहीं देने पर छात्रों को लाइब्रेरी में बंद करके और क्लास में न आने देकर अपमानित नहीं किया जा सकता। फीस नहीं देने से इस तरह का व्यवहार करने का लाइसेंस नहीं मिल जाता। एक छात्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि छात्रों के साथ गुलामों जैसा व्यवहार करने वाले स्कूल को बंद कर देना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि छात्रों का उत्पीड़न रोकने के लिए कुछ सुरक्षा उपाय किए जाने की जरूरत है, क्योंकि स्कूल केवल पैसे कमाने की मशीन के तौर पर चलाए जा रहे हैं। इस बीचए न्यायालय ने जिला मजिस्ट्रेट; की अध्यक्षता वाली आठ सदस्यीय निरीक्षण समिति की निरीक्षण रिपोर्ट का अवलोकन किया। इसने फीस वृद्धि विवाद के बीच छात्रों के खिलाफ कई भेदभावपूर्ण व्यवहारों की ओर इशारा किया था।
छात्रों ने कहा: स्वीकृत फीस राशि देने को तैयार
नाराज छात्रों के अभिभावकों ने दावा किया कि स्कूल के अधिकारियों ने अनाधिकृत शुल्क का भुगतान न करने के लिए उनके बच्चों को परेशान किया। न्यायालय ने कहा कि समिति की रिपोर्ट ने स्कूल में चिंताजनक स्थिति को उजागर किया है। सुनवाई के दौरान छात्रों ने दावा किया कि वे स्वीकृत फीस राशि का भुगतान करने को तैयार हैं।
छात्रों को कक्षाओं में भाग लेने की अनुमति दें स्कूल
मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने स्कूल प्रबंधन को निर्देश दिया कि वह छात्रों को कक्षाओं में आने दे और उन्हें अन्य छात्रों से अलग न करे। पीठ ने कहा कि स्कूल प्रबंधन ऐसे छात्रों को न तो स्कूल में अपने दोस्तों से मिलने-जुलने से रोकेगा और न ही उन्हें सुविधाओं से वंचित करेगा।

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