भारत का विरोध करने वाले देशों की अर्थव्यवस्था को सशक्त न बनाएं : इन देशों की यात्रा करने से बचे, जगदीप धनखड़ ने कहा- प्रत्येक व्यक्ति को आर्थिक राष्ट्रवाद के बारे में गहराई से सोचना चाहिए
क्या हम उन देशों को सशक्त बना सकते हैं, जो हमारे हितों के प्रतिकूल हैं?
जगदीप धनखड़ ने लोगों से संकट के समय भारत के खिलाफ खड़े होने तथा भारत के हितों के विरूद्ध काम करने वाले देशों की यात्रा करने और उनसे सामान आयात करने से बचने को कहा है।
नई दिल्ली। उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने लोगों से संकट के समय भारत के खिलाफ खड़े होने तथा भारत के हितों के विरूद्ध काम करने वाले देशों की यात्रा करने और उनसे सामान आयात करने से बचने को कहा है। धनखड़ ने भारत मंडपम में ‘जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट’ के वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि क्या हम उन देशों को सशक्त बना सकते हैं, जो हमारे हितों के प्रतिकूल हैं? समय आ गया है, जब हम में से प्रत्येक को आर्थिक राष्ट्रवाद के बारे में गहराई से सोचना चाहिए। हम उन देशों की अर्थव्यवस्थाओं को सुधारने के लिए यात्रा या आयात के माध्यम से खर्च नहीं कर सकते जो संकट के समय हमारे देश के खिलाफ खड़े हो जाते हैं।
धनखड़ ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्र की सुरक्षा में मदद करने का अधिकार है। हर व्यक्ति व्यापार, व्यवसाय, वाणिज्य और उद्योग विशेष रूप से सुरक्षा के मुद्दों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा- मेरा द्दढ़ विश्वास है कि हमें हमेशा एक बात ध्यान में रखनी चाहिए और वह है राष्ट्र पहले। हर चीज को गहरी प्रतिबद्धता, अटूट प्रतिबद्धता, राष्ट्रवाद के प्रति समर्पण के आधार पर माना जाना चाहिए। और यह मानसिकता हमें अपने बच्चों को पहले दिन से ही सिखानी चाहिए।
उप राष्ट्रपति ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सराहना की और सशस्त्र बलों को बधाई दी। इस ऑपरेशन को पहलगाम बर्बर हमले का मुंहतोड़ जवाब बताया। भारत की सभ्यतागत विशिष्टता का उल्लेख करते हुए धनखड़ ने कहा कि हम एक राष्ट्र के रूप में अद्वितीय हैं। दुनिया का कोई भी राष्ट्र 5,000 साल पुरानी सभ्यतागत परंपराओं पर गर्व नहीं कर सकता। हमें पूर्व और पश्चिम के बीच की खाई को पाटने की जरूरत है, न कि उसे तोडऩे की। राष्ट्र विरोधी आख्यानों पर गंभीर ङ्क्षचता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि हम राष्ट्र-विरोधी आख्यानों को कैसे स्वीकार या अनदेखा कर सकते हैं? विदेशी विश्वविद्यालयों का हमारे देश में आना ऐसी चीज है जिसपर ध्यान देने की जरूरत है। इसके लिए गहन चिंतन की जरूरत है। यह ऐसी चीज है जिसके बारे में हमें बेहद सावधान रहना होगा।
धनखड़ ने शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में बढते व्यावसायीकरण के खिलाफ चेतावनी दी। उन्हेांने कहा कि 'यह देश शिक्षा के व्यावसायीकरण को बर्दाश्त नहीं कर सकता। यह निर्विवाद है कि हमारी सभ्यता के अनुसार शिक्षा और स्वास्थ्य पैसा कमाने के क्षेत्र नहीं हैं। ये समाज को वापस देने के क्षेत्र हैं। हमें समाज के प्रति अपने दायित्व का निर्वहन करना होगा। उन्होंने उद्योग जगत से शोध के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को पूरी तरह से कॉर्पोरेट द्वारा वित्त पोषित किया जाना चाहिए। सीएसआर फंड को प्राथमिकता दी जानी चाहिए क्योंकि शोध में निवेश मौलिक है।
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