ग्लोबल साउथ देश डबल स्टैंडर्ड का हो रहे शिकार : कभी नहीं दी प्राथमिकता, मोदी ने की विश्व व्यवस्था की मांग
प्रभावशीलता का भी सवाल है
ग्लोबल साउथ को कभी प्राथमिकता नहीं दी गई है। इनके बिना, वैश्विक संस्थाएं ऐसे मोबाइल की तरह हैं, जिसमें सिम कार्ड तो है, लेकिन नेटवर्क नहीं है।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स समिट में कहा कि ग्लोबल साउथ के देश अक्सर डबल स्टैंडर्ड का शिकार रहे हैं। चाहे विकास हो, संसाधनों की बात हो, या सुरक्षा से जुड़े मुद्दों की, ग्लोबल साउथ को कभी प्राथमिकता नहीं दी गई है। इनके बिना, वैश्विक संस्थाएं ऐसे मोबाइल की तरह हैं, जिसमें सिम कार्ड तो है, लेकिन नेटवर्क नहीं है।
उन्होंने एक नई विश्व व्यवस्था की मांग उठाते हुए कहा कि दुनिया को एक बहुध्रुवीय और समावेशी व्यवस्था की जरूरत है। इसकी शुरूआत वैश्विक संस्थाओं में बदलाव से करनी होगी। 20वीं सदी में बनाई गईं वैश्विक संस्थाएं 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने में नाकाम हैं। एआई के दौर में 20वीं सदी के टाइपराइटर लेटेस्ट सॉफ्टवेयर को नहीं चला सकते। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में जिन देशों का योगदान ज्यादा है, उन्हें फैसले लेने का हक नहीं है। यह सिर्फ प्रतिनिधित्व का नहीं, बल्कि विश्वसनीयता और प्रभावशीलता का भी सवाल है।
ब्राजील के रियो डी जनेरियो शहर में 17वीं ब्रिक्स समिट में भाग लेने के लिए रविवार सुबह पहुंचे थे। वे ब्राजील में आज से अपने 3 दिनों के दौरे पर हैं। इस बार इफकउर का एजेंडा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (अक) का सही इस्तेमाल, क्लाइमेट एक्शन, ग्लोबल हैल्थ जैसे मुद्दे हैं।

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