संविधान निर्माण में यादगार भूमिका के भविष्य का खाका तैयार करने वाली शख्सियतें, जानें संविधान सभा की समितियों ने कैसे दिया संविधान को अंतिम रूप?

प्रमुख समितियों और उनके कार्य

संविधान निर्माण में यादगार भूमिका के भविष्य का खाका तैयार करने वाली शख्सियतें, जानें संविधान सभा की समितियों ने कैसे दिया संविधान को अंतिम रूप?

भारत का संविधान, जिसे दुनिया का सबसे विस्तृत और प्रगतिशील संविधान माना जाता है, कई समितियों के महीनों के गहन अध्ययन, बहस और विचार-विमर्श का परिणाम है।

भारत का संविधान, जिसे दुनिया का सबसे विस्तृत और प्रगतिशील संविधान माना जाता है, कई समितियों के महीनों के गहन अध्ययन, बहस और विचार-विमर्श का परिणाम है। संविधान सभा ने इसके निर्माण के लिए ‘‘22 समितियां’’ बनाई थीं, जिनमें ‘‘8 प्रमुख समितियां’’ और ‘‘14 सहायक समितियां’’ शामिल थीं। इन समितियों ने विभिन्न मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए संविधान के ढांचे को तैयार किया। 

ड्राफ्टिंग कमेटी अध्यक्ष: डॉ. भीमराव अंबेडकर  

भूमिका
इस समिति ने संविधान का प्रारूप तैयार किया। विभिन्न सुझावों को शामिल कर इसे अंतिम रूप देना, कानूनी शब्दावली सुनिश्चित करना, और सभी वर्गों की चिंताओं को शामिल करना इसी समिति का मुख्य कार्य था।

विशेष योगदान
डॉ. अंबेडकर ने संविधान के ड्राफ्ट को सभी के लिए समान अवसर और न्याय की दिशा में केंद्रित किया। 

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यूनियन पावर कमेटी अध्यक्ष: पंडित जवाहरलाल नेहरू

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भूमिका
इस समिति ने केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का संतुलन तय किया। यह तय किया गया कि कौन से विषय केंद्र सरकार के अधीन होंगे और कौन से राज्यों के। नेहरू ही अम्बेडकर और अन्य विचारधारा वाले नेताओं को जोड़ने में सफल रहे। 

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विशेष योगदान
संघीय ढांचे के तहत राज्यों की स्वायत्तता और केंद्र की ताकत का संतुलन। भारत को आधुनिक राष्टÑ का रूप दिया। 

यूनियन संविधान कमेटी  
भूमिका
इस समिति ने केंद्र सरकार के ढांचे और कार्यप्रणाली का खाका तैयार किया।
(राज्यों के साथ बातचीत)

भूमिका
इस समिति ने देशी रियासतों और उनके भारत में विलय को सुनिश्चित किया।
प्रांतीय 

अध्यक्ष: सरदार वल्लभभाई पटेल

भूमिका
प्रांतीय सरकारों की संरचना और उनके अधिकार तय करना इस समिति का काम था।
रियासतों का एककीकरण मौलिक अधिकार और अल्पसंख्यक सलाहकार समिति

भूमिका
यह समिति नागरिकों के मौलिक अधिकारों, अल्पसंख्यकों के अधिकारों और जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन के लिए जिम्मेदार थी।

उपसमितियो
मौलिक अधिकार उपसमिति (जे. बी. कृपलानी): नागरिकों के मौलिक अधिकार तय करना।  
अल्पसंख्यक उपसमिति (हरेंद्र मुखर्जी) : धार्मिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक अधिकारों की सुरक्षा।  
उत्तर-पूर्व सीमांत क्षेत्रों की उपसमिति (गोपीनाथ बोरदोलोई) : उत्तर-पूर्व के जनजातीय क्षेत्रों के विशेष अधिकार।

संविधान निर्माण का ऐतिहासिक महत्व
संविधान सभा की ये समितियां भारत के संविधान के निर्माण की रीढ़ थीं। इन समितियों के अथक प्रयासों और कुशल नेतृत्व ने एक ऐसा संविधान तैयार किया, जो आज भी भारत के लोकतंत्र की नींव है।  

कार्य संचालन नियम समिति 

अध्यक्ष: डॉ. राजेंद्र प्रसाद
भूमिका
संविधान सभा की बैठकों और चचार्ओं को व्यवस्थित रूप से संचालित करने के लिए नियम तैयार करना। 

भारत के पहले राष्ट्रपति बने, लेकिन इससे पहले उन्होंने संविधान निर्माण में अहम भूमिका निभाई। वे पूरे समय बहस में रहे। 

स्टीयरिंग कमेटी
भूमिका
सभी समितियों के कार्यों का समन्वय करना और कामकाज की प्रगति पर नजर रखना।  

26 जनवरी का यह दिन इन सभी समितियों और उनके सदस्यों के योगदान को नमन करने का अवसर है, जिन्होंने भारतीय संविधान के माध्यम से देश को एक नई पहचान दी।  

अन्य सहायक समितियों की भूमिका
राष्ट्रीय ध्वज पर एडहॉक कमेटी

    अध्यक्ष: डॉ. राजेंद्र प्रसाद  
    भारत के राष्ट्रीय ध्वज के डिजाइन को अंतिम रूप देना। 

भाषा समिति 
    अध्यक्ष: मोतुरी सत्यनारायण  
    संविधान में प्रयुक्त भाषा और राष्ट्रभाषा के चयन पर चर्चा।

हाउस कमेटी
    अध्यक्ष: बी. पट्टाभि सीतारमैया  
    संविधान सभा के सदस्यों के लिए आवास और अन्य सुविधाओं की देखभाल।

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