बसपा का उत्तराधिकारी वही, जो पार्टी को आगे बढ़ाने में जी जान से लगा रहे : मायावती
तन, मन, धन से लगातार काम करते रहना जरूरी
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उत्तराधिकारी को लेकर एक बार फिर हवा देते हुए पार्टी सुप्रीमो मायावती ने रविवार को कहा कि उनके जीवनकाल में पार्टी का उत्तराधिकारी वहीं बनेगा जो पार्टी व मूवमेन्ट को आगे बढ़ाने में पूरे जी-जान से लगातार लगा रहे
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उत्तराधिकारी को लेकर एक बार फिर हवा देते हुए पार्टी सुप्रीमो मायावती ने रविवार को कहा कि उनके जीवनकाल में पार्टी का उत्तराधिकारी वहीं बनेगा जो पार्टी व मूवमेन्ट को आगे बढ़ाने में पूरे जी-जान से लगातार लगा रहे। मायावती ने एक्स पर सिलसिलेवार पोस्ट में कहा कि बसपा, देश में बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के मानवतावादी आत्म-सम्मान व स्वाभिमान के कारवां को सत्ता तक पहुंचाने हेतु, मान्यवर कांशीराम जी द्वारा सब कुछ त्यागकर स्थापित की गई पार्टी व मूवमेन्ट, जिसमें स्वार्थ, रिश्ते-नाते आदि महत्वहीन अर्थात बहुजन-हित सर्वोपरि है।
उन्होने कहा इसी क्रम में कांशीराम की शिष्या व उत्तराधिकारी होने के नाते उनके पदचिन्हों पर चलते हुए मैं भी अपनी आखिरी सांस तक हर कुर्बानी देकर संघर्ष जारी रखूंगी ताकि बहुजन समाज के लोग राजनीतिक गुलामी व सामाजिक लाचारी के जीवन से मुक्त होकर अपने पैरों पर खड़े हो सकें। बसपा अध्यक्ष ने कहा कि कांशीराम की तरह ही मेरे जीतेजी भी पार्टी व मूवमेन्ट का कोई भी वास्तविक उत्तराधिकारी तभी जब वह भी, कांशीराम जी के अन्तिम सांस तक उनकी शिष्या की तरह, पार्टी व मूवमेन्ट को हर दु:ख-तकलीफ उठाकर, उसे आगे बढ़ाने में पूरे जी-जान से लगातार लगा रहे। साथ ही, देश भर में बीएसपी के छोटे-बड़े सभी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को भी पार्टी प्रमुख द्वारा निर्देश, निर्धारित अनुशासन एवं दायित्व के प्रति पूरी निष्ठा व ईमानदारी से जवाबदेह होकर पूरे तन, मन, धन से लगातार काम करते रहना जरूरी है।
उन्होने कहा कि इसी जिम्मेदारी के साथ खासकर कैडर के बल पर, जमीनी स्तर पर पार्टी संगठन की मजबूती व सर्वसमाज में जनाधार को बढ़ाने के साथ ही आगे भी हर चुनाव की तैयारी में पूरी दमदारी के साथ लगना है ताकि बहुजन समाज की एकमात्र आशा की किरण बीएसपी को अपेक्षित व प्रतीक्षित सफलता मिल सके। गौरतलब है कि मायावती ने पिछले साल अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी का उत्तराधिकारी घोषित किया था, मगर गैर जिम्मेदाराना बयान देने के कारण उन्होने एक महीने बाद ही आकाश आनंद को उत्तराधिकारी नहीं बनाने की मंशा जाहिर की थी हालांकि बाद में उन्होने एक बार आकाश आनंद को फिर से उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था।
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