पाक सेना ने शुरू की खेती तो किसानों ने की आंदोलन की घोषणा, कॉरपोरेट लॉबी के साथ खड़ी हुई मुनीर आर्मी

कृषि परियोजना के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन की घोषणा की

पाक सेना ने शुरू की खेती तो किसानों ने की आंदोलन की घोषणा, कॉरपोरेट लॉबी के साथ खड़ी हुई मुनीर आर्मी

रिपोर्ट के मुताबिक विरोध प्रदर्शन के जरिए किसान, कॉपोर्रेट खेती को खत्म करने और किसानों को उन जमीनों से बेदखल नहीं करने की मांग करेंगे।

इस्लामाबाद। पाकिस्तान में किसानों ने 13 अप्रैल को पूरे देश में कॉरपोरेट फार्मिंग के खिलाफ बड़े स्तर पर आंदोलन करने की घोषणा की है। ये विरोध मल्टीनेशनल कंपनियों को खेती के संसाधनों की बिक्री और किसानों की आजीविका पर आने वाले खतरे के खिलाफ है। किसान संगठनों का कहना है, कि सरकार खेती को पूंजीपतियों के हवाले कर रही है जिससे छोटे किसानों को बेदखल और आर्थिक रूप से कमजोर किया जा रहा है। पाकिस्तान किसान रबीता कमेटी-जो करीब 30 किसान संगठनों का एक नेटवर्क है, उसने 13 अप्रैल को सैन्य संचालित कॉपोर्रेट कृषि परियोजना के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है। पाकिस्तान के किसानों का कहना है कि ये कदम कृषि के निजीकरण की शुरूआत और कृषि संसाधनों पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों की कब्जेदारी का रास्ता खोलने जैसा है। रिपोर्ट के मुताबिक विरोध प्रदर्शन के जरिए किसान, कॉपोर्रेट खेती को खत्म करने और किसानों को उन जमीनों से बेदखल नहीं करने की मांग करेंगे, जिस पर वे पीढ़ियों से खेती कर रहे हैं। इसके अलावा प्रदर्शनकारी किसान दक्षिणी पंजाब में विवादास्पद नहरों के निर्माण पर प्रतिबंध लगाने, किसानों के बीच सभी सार्वजनिक क्षेत्र की कृषि भूमि का वितरण करने, लाखों रुपए के बकाया भुगतान के लिए किरायेदारों को दिए गए नोटिस वापस लेने और चालू कटाई के मौसम के दौरान गेहूं की खरीद मूल्य 4,000 पाकिस्तानी रुपए प्रति 40 किलोग्राम तय करने की भी मांग करेंगे।

किसानों से जमीन कैसे छीन रही पाकिस्तानी सेना?
आपको बता दें कि जीपीआई पाकिस्तान की सरकार की पहल है जिसका मकसद आधुनिक तकनीक, उन्नत सिंचाई प्रणाली, उच्च गुणवत्ता वाले बीज, एआई-संचालित निगरानी और बेहतर कृषि उपकरणों का उपयोग करके बंजर भूमि को उच्च उपज वाले खेतों में बदलकर कृषि विकास को बढ़ाना और पर्यावरणीय मुद्दों से निपटना है। लेकिन किसानों और कार्यकर्ताओं ने आशंका जताई है कि बड़े पैमाने पर कृषि व्यवसाय में परिवर्तन छोटे भूस्वामियों के लिए खतरा पैदा कर सकता है। नया कानून राज्य की भूमि से किसानों को विस्थापित कर सकता है और महत्वपूर्ण कृषि संसाधनों तक उनकी पहुंच को सीमित कर सकता है।

कॉरपोरेट फार्मिंग का मतलब होता है कि बड़ी कंपनियों की तरफ से खेती की जमीन और उत्पादन प्रक्रिया को नियंत्रित करना, जिसमें बीज, खाद, पानी, मशीनरी और मंडी तक का नेटवर्क निजी हाथों में चला जाता है। किसान संगठनों का दावा है कि ये मॉडल छोटे और मझोले किसानों को खत्म कर देगा। इससे भूमिहीन लोगों की संख्या बढ़ेगी। इसके अलावा पाकिस्तान की डूबती अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए लोन दे रखा है और इसका गंभीर असर छोटो किसानों पर पड़ेगा। पाकिस्तान में कई किसान संगठनों ने आरोप लगाया है कि सेना के सहयोग से कृषि भूमि कॉरपोरेट्स को दी जा रही है, खासकर पंजाब और सिंध में। इससे लोगों में गुस्सा और अविश्वास दोनों फैला है। इसके अलावा मल्टीनेशनल कंपनियां अक्सर खेती के साथ जुड़े जल स्रोतों पर भी कब्जा कर लेती हैं। निक्केई एशिया की 2023 की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान की सेना गरीबी से त्रस्त जनता के लिए भोजन उगाने के लिए सरकार के स्वामित्व वाली बड़ी भूमि पर कब्जा कर रही है। रिपोर्ट में कहा गया था कि पाकिस्तान की सेना ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में 1 मिलियन एकड़ जमीन को अपने नियंत्रण में लेना शुरू कर दिया था। यह दिल्ली के आकार से लगभग तीन गुना है।

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