टाइटैनिक जहाज के मुसाफिर के खत की हुई नीलामी, 3.41 करोड़ रुपए में बिका
इस दुर्घटना में 1,500 से अधिक लोग मारे गए थे
2 दिसंबर 1912 को वे कोमा में चले गए और दो दिन बाद मधुमेह की जटिलताओं के कारण उनकी मौत हो गई।
लंदन। टाइटैनिक जहाज का डूबना अभी भी लोगों के लिए एक रहस्य बना हुआ है। टाइटैनिक के राज अभी भी लोगों को काफी लुभाता है और शायद यही वजह है कि टाइटैनिक के एक यात्री का लिखा खत ब्रिटेन की एक नीलामी में रिकॉर्ड 3.41 करोड़ रुपए में बिका है। कर्नल आचीर्बाल्ड ग्रेसी के पत्र को रविवार को विल्टशायर के हेनरी एल्ड्रिज एंड सन नीलामी घर में एक अज्ञात व्यक्ति ने खरीदा। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह पत्र 60 हजार पाउंड की अनुमानित कीमत से 5 गुना ज्यादा कीमत पर खरीदा गया है। इस पत्र को भविष्यसूचक कहा जाता है। दरअसल, इसमें कर्नल ग्रेसी एक परिचित से कहते हैं कि वह अच्छे जहाज को लेकर फैसला देने से पहले अपनी यात्रा के अंत की प्रतीक्षा करेंगे। यह पत्र 10 अप्रैल 1912 को लिखा गया था। इसी दिन वह साउथेम्प्टन में टाइटैनिक पर चढ़े थे। यानी यह खत उत्तरी अटलांटिक में एक हिमखंड से टाइटैनिक जहाज के टकराकर डूबने से 5 दिन पहले लिखा गया था। कर्नल ग्रेसी न्यूयॉर्क जा रहे टाइटैनिक जहाज पर सवार लगभग 2,200 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों में से एक थे। इस दुर्घटना में 1,500 से अधिक लोग मारे गए थे।
टाइटैनिक के यात्री का लिखा खत नीलाम: फर्स्ट क्लास के यात्री ने केबिन सी51 से यह पत्र लिखा था। यह पत्र 11 अप्रैल 1912 को आयरलैंड के क्वीन्सटाउन में जहाज के डॉक किए जाने पर पोस्ट किया गया। इस पर 12 अप्रैल की लंदन की पोस्टमार्किंग भी थी। बताया जा रहा है कि इस पत्र की कीमत टाइटैनिक पर लिखे किसी भी पत्र से ज्यादा है। कर्नल ग्रेसी ने बाद में द ट्रुथ अबाउट द टाइटैनिक नाम से एक किताब लिखी, जिसमें उन्होंने समुद्री जहाज पर अपने अनुभव को याद किया।
इसमें उन्होंने बताया कि कैसे वे बफीर्ले पानी में पलटी हुई लाइफबोट पर चढ़कर बच गए। उनके मुताबिक लाइफबोट पर पहुंचने वाले आधे से अधिक लोग थकावट या ठंड से मर गए। लेकिन कर्नल ग्रेसी इस दुर्घटना में बच गए थे। हालांकि, कर्नल ग्रेसी इस आपदा से बच गए, लेकिन हाइपोथर्मिया और चोटों के कारण उनका स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हुआ। 2 दिसंबर 1912 को वे कोमा में चले गए और दो दिन बाद मधुमेह की जटिलताओं के कारण उनकी मौत हो गई।

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