टेस्ट क्रिकेट में एक विराट विराम

घोषणा, अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से की

टेस्ट क्रिकेट में एक विराट विराम

भारतीय क्रिकेट के चमकते सितारे और आधुनिक क्रिकेट युग के महानतम बल्लेबाजों में शुमार विराट कोहली ने 12 मई 2025 को टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी।

भारतीय क्रिकेट के चमकते सितारे और आधुनिक क्रिकेट युग के महानतम बल्लेबाजों में शुमार विराट कोहली ने 12 मई 2025 को टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी। घोषणा उन्होंने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से की, जिसने न केवल भारतीय खेलजगत को चौंका दिया, बल्कि विश्व क्रिकेट में भी एक भावनात्मक लहर दौड़ा दी। कोहली का टेस्ट क्रिकेट से जाना, क्रिकेट प्रेमियों के लिए एक युग के अंत के समान है। वे टी 20 क्रिकेट से पहले ही सन्यास ले चुके हैं। उन्होंने अपने कॅरियर में 123 टेस्ट मैच खेले, जिनमें 30 शानदार शतक और 31 अर्धशतक के माध्यम से 9230 रन बनाए। 2011 में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपने टेस्ट कॅरियर की शुरुआत करने वाले विराट कोहली ने न केवल भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, बल्कि टेस्ट क्रिकेट की गरिमा और गंभीरता को भी आधुनिक युग में बनाए रखा 2014-15 में जब उन्होंने महेंद्र सिंह धोनी के बाद टेस्ट टीम की कप्तानी संभाली, तब भारतीय टीम बदलाव के दौर से गुजर रही थी। कोहली ने उस चुनौती को अवसर में बदलते हुए टीम इंडिया को आक्रामकता, अनुशासन और आत्मविश्वास का प्रतीक बना दिया। वह भारतीय क्रिकेट में एक क्रांतिकारी बदलाव था। 

ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीत, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका में जबरदस्त प्रतिस्पर्धा और घरेलू मैदान पर अपराजेय श्रृंखलाएं, ये सभी उनकी कप्तानी की उपलब्धियों की झलक मात्र हैं। कोहली ने न केवल एक बल्लेबाज के रूप में, बल्कि एक लीडर के रूप में टेस्ट क्रिकेट को अपनी पहचान दी। उन्होंने युवा खिलाड़ियों में जीत का जज्बा पैदा किया और टीम में फिटनेस और प्रोफेशनलिज्म की नई संस्कृति विकसित की। टेस्ट के माध्यम से उन्होंने फिटनेस को चयन का मानक बनाया,जिसने भारतीय टीम की कार्यसंस्कृति को एकदम बदल दिया। इसके साथ ही उन्होंने पांच गेंदबाजी विकल्पों की रणनीति अपनाकर टेस्ट मैचों को जीतने का आक्रामक दृष्टिकोण अपनाया। 

विराट कोहली का बल्लेबाजी प्रदर्शन उनके कड़े संघर्ष और मानसिक दृढ़ता की मिसाल है। उनकी तकनीक क्लासिकल टेस्ट बल्लेबाजों जैसी नहीं थी, लेकिन उनकी इच्छा-शक्ति और प्रतिस्पर्धात्मकता उन्हें दूसरों से अलग बनाती थी। इंग्लैंड के खिलाफ 2014 में जब वे बुरी तरह फ्लॉप रहे थे, तब उन्हें खत्म मान लिया गया था। लेकिन उन्होंने 2018 में इंग्लैंड में ही अपने प्रदर्शन से आलोचकों को जवाब देते हुए शतक और बड़ी पारियों की झड़ी लगा दी। कोहली का यह पुनरुत्थान उनके चरित्र की सबसे बड़ी विशेषता थी, हार मानना उनके स्वभाव में नहीं था। टेस्ट क्रिकेट में कोहली के योगदान को केवल उनके शतकों या रनों के आधार पर आंकना गलत होगा। वे एक ऐसे खिलाड़ी रहे, जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट के प्रति लोगों की धारणा को बदला। उन्होंने युवाओं के बीच यह संदेश दिया कि अगर क्रिकेट का कोई प्रारूप सबसे कठिन, सबसे सच्चा और सबसे सम्मानजनक है, तो वह टेस्ट क्रिकेट है। उनकी गैरमौजूदगी टीम की मानसिकता और ऊर्जा को प्रभावित कर सकती है, खासकर तब जब विदेशी दौरों पर कठिन परिस्थितियां सामने हों। कोहली के संन्यास की टाइमिंग ने भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने ऐसे समय पर यह फैसला लिया है जब भारत को आगामी महीनों में कई महत्वपूर्ण टेस्ट सीरीज खेलनी हैं, जिनमें ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज शामिल हैं। 

क्रिकेट जानकारों का मानना है कि कोहली अभी भी टेस्ट क्रिकेट में योगदान देने की स्थिति में थे। उनकी फिटनेस, तकनीकी क्षमता और अनुभव आज भी दुनिया की किसी भी टीम के लिए अनमोल संपत्ति होती। हालांकि उनके व्यक्तिगत निर्णयों और प्राथमिकताओं का सम्मान करना जरूरी है, फिर भी यह सवाल बना रहेगा कि क्या उनका यह फैसला समय से पहले लिया गया। संन्यास की घोषणा के बाद कोहली ने एक भावनात्मक संदेश साझा किया, जिसमें उन्होंने अपने परिवार, कोच, साथी खिलाड़ियों, बीसीसीआई और करोड़ों फैन्स का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि टेस्ट क्रिकेट ने उन्हें जीवन में अनुशासन, धैर्य और सम्मान सिखाया है और यह सफर हमेशा उनके दिल में रहेगा। इस वक्त उनका यह भावुक संदेश कई क्रिकेट प्रेमियों की आंखों को नम कर गया। कोहली की लोकप्रियता केवल उनके प्रदर्शन से नहीं, बल्कि उनके जज्बे, आत्मविश्वास और मैदान पर उनके जुनून से भी जुड़ी हुई है। 

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कोहली का यह फैसला कई मायनों में भविष्य की पीढ़ी के लिए एक उदाहरण भी है। यह बताता है कि क्रिकेट केवल खेल नहीं, बल्कि एक यात्रा है, जिसमें खिलाड़ी अपने हिस्से की कहानी लिखते हैं और समय आने पर मंच से विदा ले लेते हैं। कोहली ने इस विदाई को गरिमा के साथ स्वीकार किया और पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ी है, जो आने वाले वर्षों तक भारतीय क्रिकेट को दिशा देती रहेगी। क्रिकेट इतिहास में कुछ नाम ऐसे होते हैं, जो समय की सीमाओं से ऊपर उठ जाते हैं, सुनील गावस्कर, सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ जैसे महान खिलाड़ियों की श्रेणी में अब विराट कोहली का नाम भी स्थायी रूप से जुड़ गया है। उन्होंने अपने खेल और नेतृत्व से जो आदर्श स्थापित किए हैं, वे आने वाले युवाओं के लिए प्रेरणा बने रहेंगे। भारतीय क्रिकेट को कोहली जैसा टेस्ट कप्तान और विराट बल्लेबाज शायद ही जल्दी मिले।

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-नृपेन्द्र अभिषेक
यह लेखक के अपने विचार हैं।

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