तिरुपति लड्डू घोटाले में गिरफ्तारियां
घोटाले मामले से जुड़े चार लोगों को गिरफ्तार किया
दक्षिण के विश्व प्रसिद्ध तिरुपति मंदिर में प्रसाद के रूप दिए जाने वाले लड्डू को बनाने में मिलावटी देसी घी के उपयोग से जुड़े घोटाले में गिरफ्तारियों का सिलसिला शुरू हो गया है।
दक्षिण के विश्व प्रसिद्ध तिरुपति मंदिर में प्रसाद के रूप दिए जाने वाले लड्डू को बनाने में मिलावटी देसी घी के उपयोग से जुड़े घोटाले में गिरफ्तारियों का सिलसिला शुरू हो गया है। सर्वोच्च न्याययालय द्वारा इस घोटले की जांच के लिए बनाए गए विशेष जांच दल ने इस घोटाले मामले से जुड़े चार लोगों को गिरफ्तार किया है, अगले कुछ दिनों में और भी गिरफ्तारियां होने की संभावना है। सारा मामला इस मंदिर के श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं से जुड़ा हुआ है इसलिए जांच करने वाला दल इस मामले की तह तक जाना चाहता है। जिन चार लोगों को जांच दल ने पकड़ा है, वे सभी उन व्यापारिक संस्थानों के हैं, जिन्हें मंदिर का प्रबंध करने वाले तिरुपति तिरुमाला ट्रस्ट ने देसी घी की आपूर्ति करने का ठेका दिया था। वर्ष 2019 तक सहकारी क्षेत्र की कर्नाटक मिल्क फेडरेशन लम्बे समय से इस लड्डू में उपयोग किए जाने वाले देसी घी की आपूर्ति करती थी। आन्ध्र प्रदेश में 2019 के विधान सभा चुनावों में तब सत्तारुढ़ दल तेलुगु देशम पार्टी चुनाव हार गई। राज्य में जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाई एस आर पार्टी सत्ता में आई। इसने आते ही मंदिर का प्रबंध करने वाले तिरुपति तिरुमाला ट्रस्ट में बड़ा बदलाव किया। जगन मोहन रेड्डी का परिवार मिलाजुला परिवार है। इसके कुछ लोग हिन्दू धर्म को मानते हैं तथा अन्य कई ईसाई हैं। जगन मोहन रेड्डी ने ट्रस्ट के सभी सदस्यों को बदल दिया और अपने मामा सुब्बा रेड्डी को इसका अध्यक्ष बना दिया। सुब्बा रेड्डी को बाद में राज्य सभा का भी सदस्य बनाया गया। मंदिर का वार्षिक बजट लगभग 5,000 करोड़ रुपये है, शुरू से ही आईएएस को इस मंदिर का प्रशासक नियुक्त किया जाता रहा है। नई सरकार ने अपनी पसंद के अधिकारी को यहां नियुक्त किया, इसके बाद कर्नाटक मिल्क फेडरेशन के साथ देसी घी की आपूर्ति करने का ठेका रद्द कर दिया गया तथा यह ठेका निजी क्षेत्र के व्यापारिक संस्थानों को देने का निर्णय किया गया।
यह दावा किया गया कि निजी संस्थान सस्ते दामों पर घी की आपूर्ति करने को तैयार हैं। कर्नाटक मिल्क फेडरेशन 400 रुपये किलो की दर से घी की आपूर्ति कर रही थी। मंदिर परिसर में एक विशेष पाकशाला में लड्डू बनाने के लिए 24 घंटे काम होता है, इस काम में 200 पंडितों को लगाया गया है ताकि इस लड्डू प्रसाद की शुद्धता और पवित्रता पर कोई सन्देह नहीं करे। यहां प्रतिदिन लगभग 3 लाख लड्डू बनाए जाते हैं, जिनके लिए 500 किलो शुद्ध देसी घी का उपयोग होता है। यहां आने वाले हर तीर्थ यात्री को एक लड्डू प्रसाद के रूप में दिया जाता है। यह लड्डू प्रसाद देसी घी से बना तो होता ही है, इसमें भरपूर मात्रा में सूखे मेवे भी डाले जाते हैं। पद संभालने के कुछ महीने बाद सुब्बा रेड्डी ने घी की आपूर्ति के लिए नए टेंडर के आदेश जारी कर दिए। आखिर में चेन्नई की एक कंपनी एआर फूड्स को यह ठेका मिला। यह कंपनी 320 रुपये प्रति लीटर के दर से घी की आपूर्ति करने को तैयार थी। जानकार लोगों का कहना है कि इतनी कम लागत पर तो देसी घी बन ही नहीं सकता।
यह बात भी सामने आई कि इस कम्पनी की इतना घी उत्पादित करने की क्षमता ही नहीं है। पिछले साल जब राज्य में तेलुगुदेशम पार्टी, बीजेपी और जन सेना की मिली जुली सरकार सत्ता में आई तो यहां का प्रशासन बदल दिया गया, ट्रस्ट का भी पुनर्गठन किया गया। नए प्रबन्धन ने जब घी के सैंपल की जांच करवाई तो यह बात आई कि इस घी में पशुओं की चर्बी के साथ-साथ मछली का तेल भी शामिल है। कम्पनी का ठेका तुरंत प्रभाव से रद्द कर दिया गया। मामले की जांच के लिए एक विशेष टीम भी बना दी गई। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने मामला अपने हाथ में लेते हुए एक पांच सदसीय जांच दल गठित किया जिसमें दो सदस्य सीबीआई के थे, दो राज्य पुलिस के अधिकारी थे, एक खाद्य अधिकारी भी शामिल था। इस टीम ने अपनी प्रारंभिक जांच में पाया कि घी आपूर्ति करने वाली कम्पनी एआर फूड ने घी की आपूर्ति के ठेके चार छोटी कंपनियों को दे दिए हैं। इनमें दो रुड़की की भी थी, बाकी दो आन्ध्र प्रदेश की थीं। इनकी भी क्षमता इतना घी बनाने की नहीं थी, इसलिए कंपनियों ने घी में मिलावट का सहारा लिया। क्योंकि इतनी कम कीमत पर शुद्ध देसी घी का उत्पादन संभव नहीं था। फिलहाल इन चार कम्पनियों के मालिकों अथवा प्रमुख अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है, अभी बड़ी मछलियों को पकड़ा जाना बाकी है।
यह लेखक के अपने विचार हैं।
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