बचा जा सकता है मानव निर्मित आपदा से 

मरने वालों में महिलाएं, पुरुष और बच्चे शामिल बताए जा रहे 

बचा जा सकता है मानव निर्मित आपदा से 

रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मचने से लोगों की मौत हो गई, यह बहुत ही दुखद है।

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मचने से लोगों की मौत हो गई, यह बहुत ही दुखद है। मरने वालों में महिलाएं, पुरुष और बच्चे शामिल बताए जा रहे हैं। हादसे में कई लोग घायल हो गए, जिन्हें अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। प्रयागराज जाने के लिए स्टेशन पर भारी भीड़ जुटी थी। प्रयागराज एक्सप्रेस के कारण प्लेटफार्म पर भारी भीड़ थी। रेलवे बोर्ड ने घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं। कहना गलत नहीं होगा कि दिल्ली रेलवे स्टेशन पर अव्यवस्थाओं के चलते और भगदड़ के कारण जान-माल दोनों का ही नुकसान हुआ है। 

रेलवे अधिकारियों के मुताबिक रविवार को अवकाश होने के कारण शनिवार को प्रयागराज जाने के लिए काफी संख्या में लोग जुट गए। पाठकों को बताता चलूं कि इससे पहले 29 जनवरी को प्रयागराज के महाकुंभ में 40 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं, 10 फरवरी 2013 को भी कुंभ के दौरान प्रयागराज स्टेशन पर भगदड़ मची थी। जानकारी के अनुसार इस हादसे में 36 लोग मारे गए थे। वास्तव में देश में महाकुंभ एक बड़ा आयोजन है और इसमें भारी संख्या में भीड़ उमड़ रही है। भारत ही नहीं विदेशों तक से महाकुंभ में अनेक लोग आ रहे हैं। अमूमन देश में किसी त्योहार पर भी इतनी भीड़ नहीं उमड़ती है, लेकिन इस बार भीड़ का सैलाब है। मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से दिल्ली हादसे को लेकर यह खबरें भी आ रहीं हैं कि गलत अनाउंसमेंट और प्रशासन की लापरवाही इस हादसे का मुख्य कारण बनी। दिल्ली भारत की राजधानी है और अक्सर यहां रेलवे स्टेशन पर काफी भीड़ रहती है। महाकुंभ के कारण पहले से ही यात्रियों की संख्या अधिक थी। ऐसे में भीड़ प्रबंधन की ठोस व्यवस्थाएं की जानी बहुत जरूरी थी। कहना गलत नहीं होगा कि यह पहली बार नहीं है जब इस तरह से अचानक रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मची हो। 

इससे पहले भी इस तरह की कई घटनाएं घटित हो चुकी हैं। 29 सितंबर 2017 को मुंबई के एलफिंस्टन रोड रेलवे स्टेशन के फुट ओवरब्रिज पर भगदड़ मच गई थी और इस भगदड़ में 23 लोगों की मौत हो गई थी और 39 अन्य यात्री घायल हो गए थे। दरअसल यह हादसा पुल गिरने की अफवाह के कारण हुआ था। इसी प्रकार से महाराष्टÑ के मुंबई में बांद्रा रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मच गई थी, जिससे भगदड़ में 9 यात्री घायल हो गए थे। इतना ही नहीं, 10 फरवरी 2013 को कुंभ मेले के दौरान उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर अचानक मची भगदड़ में भी 32 लोगों की मौत हो गई थी। इसी प्रकार से वर्ष 2007 में भी मुगल सराय जंक्शन भगदड़ में 14 महिलाओं की मौत हो गई थी। वहीं इस घटना में 40 से अधिक यात्री घायल हो गए थे। वास्तव में, भगदड़ भीड़ प्रबंधन की असफलता या अभाव की स्थिति में पैदा हुई मानव निर्मित आपदा है। अक्सर भगदड़ किसी अफवाह के कारण पैदा होती है और भगदड़ में लोग दिशाहीन होकर इधर-उधर भागने लगते हैं, जिसके परिणामस्वरूप दम घुटने व कुचलने से चोटिल होने एवं मृत्यु की घटनाएं होती हैं। अक्सर भगदड़ मचने के पीछे जो कारण निहित होते हैं उनमें क्रमश: मनोरंजन कार्यक्रम, एस्केलेटर और मूविंग वॉकवे, खाद्य वितरण, जुलूस, प्राकृतिक आपदाएं, धार्मिक आयोजन, के दौरान आग लगने की घटनाएं, दंगे आदि शामिल होते हैं। 

बैरिकेड्स, अवरोध, अस्थायी पुल, अस्थायी संरचनाएं और पुल की रेलिंग का गिरना, दुर्गम क्षेत्र, पहाड़ियों की चोटी पर स्थित धार्मिक स्थल जहां पहुंचना मुश्किल है, फिसलन युक्त मार्ग, संकरी गलियां एवं संकरी सीढ़ियां, खराब सुरक्षा रेलिंग, कम रोशनी वाली सीढ़ियां, संकीर्ण एवं बहुत कम प्रवेश या निकास स्थान, आपातकालीन निकास का अभाव भी बहुत बार भगदड़ के कारण बन सकते हैं। अप्रभावी भीड़ प्रबंधन तो भगदड़ मचने का कारण है ही। बहुत बार यह देखा जाता है कि किसी एक प्रमुख निकास मार्ग पर ही लोगों की निर्भरता होती है, जो भगदड़ का कारण बन जाती है। बहुत से स्थानों पर उचित सार्वजनिक संबोधन प्रणाली का भी अभाव होता है, जिससे सूचना देने में दिक्कत आती है। भीड़ अनेक बार गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार अपनाती है और सुरक्षा नियमों का ठीक से पालन नहीं करती है। आग या बिजली का प्रसार भी अनेक बार भगदड़ मचने का कारण बन सकता है। इसलिए सुरक्षा और निगरानी के उपाय पुख्ता होने चाहिए। सुरक्षाकर्मियों की नियुक्ति से पूर्व रिहर्सल प्रैक्टिस भी की जानी चाहिए ताकि भगदड़ आदि के समय सुरक्षा उपायों को तुरंत किया जा सके।   

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संचार व्यवस्थाएं भी अच्छी और सुदृढ़ होनी चाहिए। भगदड़ से बचने के लिए भगदड़ वाले स्थानों पर आगमन एवं निकास की समुचित व्यवस्था पुरूष एवं महिलाओं के लिए अलग यथा बैरिकेडिंग की व्यवस्था होनी चाहिए। चिकित्सा दल एवं एम्बुलेंस की पर्याप्त व्यवस्था, बिजली के तारों एवं उपकरणों में सुरक्षा के पूर्ण उपायों की व्यवस्था, पार्किंग की समुचित एवं सुचारू व्यवस्था, नियंत्रण कक्ष, पर्याप्त रौशनी, वॉच टावर की व्यवस्था होनी चाहिए। किसी भी स्थान पर अनावश्यक रूप से एक स्थान पर भीड़ नहीं लगानी चाहिए। भगदड़ के समय संयम पूर्ण व्यवहार करना चाहिए और घबराना नहीं चाहिए। 

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-सुनील कुमार महला
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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