भारतीय पासपोर्ट पर विरोधियों की साजिशें 

अतिरिक्त सावधानी 

भारतीय पासपोर्ट पर विरोधियों की साजिशें 

भारतीय पासपोर्ट की गिरती साख सच्चाई है या फिर हवाहवाई और साजिशपूर्ण अफवाह है, जो भारत विरोधी शक्तियां समय-समय पर फैलाती रहती हैं और प्रत्यारोपित करती रहती हैं।

भारतीय पासपोर्ट की गिरती साख सच्चाई है या फिर हवाहवाई और साजिशपूर्ण अफवाह है, जो भारत विरोधी शक्तियां समय-समय पर फैलाती रहती हैं और प्रत्यारोपित करती रहती हैं। आमतौर पर अवधारणा यह है कि जिस देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होती हैं, निवेश की संभावनाएं ज्यादा होती है, राजनीतिक स्थिरता होती है, रोजगार की संभावनाएं मजबूत होती हैं और जिनकी सामरिक शक्ति विश्व स्तर की होती है, जिनकी कूटनीति तेज और प्रहारक होती है उनकी दुनिया में साख ज्यादा होती है और ऐसे देशों द्वारा जारी पासपोर्ट बहुत ज्यादा विश्वसनीय और सम्मानित होते हैं। चीन को परास्त कर भारत की आबादी 140 करोड़ से अधिक हो गई हैं और भारत की यह आबादी कोई बूढ़ी नहीं, बल्कि जवान है, कहने का अर्थ यह है कि भारत की आबादी मेहनत और विकास की सहयोगी होने की पात्रता रखती है, भारत की आबादी बोझ किसी भी स्थिति में नहीं है।

प्रतिवर्ष रिपोर्ट जारी :

भारत दुनिया के निवेशकों के लिए पसंदीदा जगह बनी हुई है, चीन से परेशान निवेशक भारत की ओर से राह देख रहे हैं, भारत में विदेशी निवेशकों की धमक को रोकने के लिए डोनाल्ड ट्रम्प जैसे विदेशी शासक सक्रिय हैं फिर भी दुनिया के निवेशकों के लिए भारत पहली पसंद बन रहा है। भारत की अर्थव्यवस्था कोई कमजोर नहीं है और न ही अस्थिर है, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था स्थिर है और गतिमान है, समृद्ध है और रोजगार परख है। भारत सूचना क्रांति का हब और आधुनिक शिक्षा की अद्वितीय समृद्धि भी भारत के पास है। दुनिया भर के आईटी क्षेत्र की समृद्धि भारतीय सूचना क्रांति के वीरों पर निर्भर है। भारतीय पासपोर्ट को कमजोर और कम विश्वसनीय बताने वाले लोग कौन हैं और इनकी नीयत और साजिश क्या है। डेनले पासपोर्ट इंडेक्ट नामक कपंनी दुनिया के देशों के पासपोर्ट की प्रशंसा और विश्वसनीयता पर नजर रखती है और इस संबंध में प्रतिवर्ष रिपोर्ट जारी करती है और तिमाही रेकिंग भी देती है।

विश्वसनीयता और प्रशंसा :

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वर्तमान में भारतीय पासपोर्ट की रैकिंग 85 है। दुनिया के 199 देशों में भारतीय पासपोर्ट का स्थान 85 है। यानी कि भारत से 109 देशों का पासपोर्ट अधिक मान्यता, विश्वसनीयता और प्रशंसा रखता है। भारत की पासपोर्ट रैकिंग पिछले साल की तुलना में इस वर्ष पांच स्थान नीचे गया है। पिछले साल दुनिया में भारतीय पासपोर्ट की वरीयता स्थान 80 था। एशिया भूभाग में भी भारतीय पासपोर्ट की रैंकिंग चिंताजनक है। जापान, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर जैसे देश टॉप पर बैठे हुए हैं। सिंगपुर के लोगों को इस साल दुनिया के 199 देशों में से 193 देशों में बिना वीजा के जाने की अनुमति मिली, दक्षिण कोरिया के लोगों को 190 देशों और जापान के लोगों को 189 देशों में बिना वीजा जाने की अनुमति रही है। जापान,को टॉप पर रहने की बात तो समझ आती है, क्योंकि ये बडेÞ देश हैं और अपनी खूबियों के लिए विख्यात हैं पर दक्षिण कोरिया और सिंगापुर की आंतरिक समृद्धि भारत को पछाड़ने वाली भी नहीं कही जा सकती है।

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रिपोर्ट और रैंकिग :

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सबसे बड़ी बात यह है कि श्रीलंका और भूटान जैसे दक्षिण एशियाई देश इस मामले में भारत से आगे कैसे हो सकते हैं,इस तथ्य को कसौटी पर रखने के बाद हेनले पासपार्ट इंडेक्ट की रिपोर्ट और रैंकिग पर प्रश्न जरूर उठते हैं और भारत विरोधी इनकी मानसिकताएं भी झलकती है। सबसे बड़ा विवाद रवांडा, घना और अजरबैजान आदि देशों को मिली पासपोर्ट रैंकिंग पर है। रंवाडा 78 वें, घाना 74 वे और अजरबैजान 72 वे स्थान पर है, यानी की भारत से उपर हैं और इनकी पासपोर्ट की विश्वसनीयता भारत के पासपोर्ट से कहीं ज्यादा है। रंवाडा और घाना अफ्रीकी देश हैं जहां पर भूखमरी पसरी रहती है, बच्चे कुपोषण के शिकार होते हैं और दुनिया में इनकी अर्थव्यवस्था कोई उल्लेखनीय नहीं है, दुनिया की कूटनीति में इनकी साख और वर्चस्व भारत की तुलना में कहीं नहीं ठहरती है, दुनिया के हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में शांति के प्रयासों में इनकी कोई खास सहभागिता नहीं है। जबकि भारत की शांति सेना दुनिया की हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में पहली पंसद मानी जाती है।

मूल्य और व्यवस्था :

अजरबैजान एक मुस्लिम देश है, जहां पर इस्लामिक व्यवस्था कायम है, सभी मूल्यों और व्यवस्थाओं पर इस्लाम के नियम-कानून कार्य करते हैं,जहां पर अंतर्राष्ट्रीय नियम-कानूनों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जाती है, जहां पर पर्यटकों को इस्लामिक मूल्यों का पालन न करने पर सजा की व्यवस्था है, वहां के पासपोर्ट पर हेनले पासपोर्ट इंडेक्ट की कोई प्रहारक नजर क्यों नहीं जाती,दुनिया के 60 से अधिक मुस्लिम देशों के नागरिक अपने-अपने देशों के पासपोर्ट पर विदेश जाते हैं और आतंकवादी बन जाते हैं,अमेरिका और यूरोप में आतंकवाद और अन्य हिंसा फैलाने वाले मुस्लिम देशों के पासपोर्ट धारी ही अधिक होते हैं। कमजोर पासपोर्ट वाले देशों के नागरिकों को कागजी कार्रवाइयां ज्याद करनी पड़ती हैं, कई प्रमाण पत्र मांगे जाते हैं, अपराध की संलिप्तता देखी जाती है, पढ़ाई का स्तर देखा जाता है, आमदनी देखी जाती है, स्वास्थ्य समस्याएं देखी जाती हैं, बीमा पालिसी देखी जाती है, वीजा पर ज्याद खर्च करना पड़ता है, यात्रा का इंतजार लंबा होता है, वीजा संबंधित देशों से सुविधाएं भी कम मिलती हैं, डिपोर्ट की समस्याएं भी होती हैं।

अतिरिक्त सावधानी :

वीजा प्रदान संबंधित देश कई बार ऐसे देशों के नागरिकों को अपने देश में प्रवेश करने से पहले ही वापस भेज देते हैं, इसलिए अतिरिक्त सावधानी और अतिरिक्त अहर्ताएं रखने की बाध्यता होती हैं। हेनले पासपोर्ट इंडेक्ट की कम रैंकिग और शत्रुता पूर्ण साजिश के बावजूद भी दुनिया में भारतीय पासपोर्ट धारकों का डंका बज रहा है, उनकी आगवानी और स्वागत में कमी नहीं है। दुनिया के 57 देशों में भारत के पासपोर्ट धारी नागरिकों को वीजा मुक्त प्रवेश का अधिकार है, कहने का अर्थ यह है कि दुनिया के 57 देश इस साल भारतीयों को बिना वीजा अपने देश में प्रवेश की स्वीकृति दी थी। भारत के नागरिकों को 1970 के दशक में कई पश्चिमी देशों में वीजा मुक्त प्रवेश की अनुमति थी। लेकिन जबसे आतंकवाद का विस्तार हुआ, तब से भारतीय पासपोर्ट धारी नागरिकों की समस्याएं बढ़ी हैं, इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है।

-आचार्य श्रीहरि
यह लेखक के अपने विचार हैं।

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