आन्ध्र की नई राजधानी का निर्माण जोरों पर
नई राजधानी, अमरावती के निर्माण का रुका हुआ काम अब फिर से शुरू हो गया
आन्ध्र प्रदेश की अपनी नई राजधानी, अमरावती के निर्माण का रुका हुआ काम अब फिर से शुरू हो गया है।
आन्ध्र प्रदेश की अपनी नई राजधानी, अमरावती के निर्माण का रुका हुआ काम अब फिर से शुरू हो गया है, राज्य में चन्द्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली तेलुगु देश पार्टी, बीजेपी और जन सेना की मिली सरकार ने इस राजधानी के निर्माण का काम तीन वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य रखा है, यह लक्ष्य राज्य में होने वाले अगले विधान सभा चुनावों, जो 2029 में होने हैं, को सामने रख कर निर्धारित किया गया है अगले चुनावों में यह गठबंधन अपने इस काम के सहारे फिर सत्ता में लौटना चाहता है। राजधानी का काम तीन चरणों में पूरा होना है, तीन साल में इसका पहले चरण का काम पूरा हो जाएगा, तब तक विधान सभा भवन, सचिवालय भवन तथा हाई कोर्ट सहित सरकारी अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों के आवास बन जाएंगे, दूसरे शब्दों में सरकार के इस मुख्यालय से काम करने के लिए मूल ढांचा तैयार हो जाएगा वर्तमान में राज्य की अस्थाई राजधानी हैदराबाद है, जो आन्ध्र प्रदेश के साथ साथ तेलंगाना की राजधानी भी है, 2014 में जब आन्ध्र प्रदेश का विभाजन हुआ था तो हैदराबाद तेलंगाना के हिस्से में आया था तथा आन्ध्र प्रदेश को अगले 10 साल में अपनी राजधानी बनाने के लिए कहा गया था, उस समय राज्य में तेलुगु देशम पार्टी की सरकार थी तथा चन्द्रबाबू नायडू राज्य के मुख्यमंत्री थे, राज्य सरकार ने नई राजधानी अमरावती में बनाने का निर्णय किया, राजधानी के निर्माण का काम शुरू कर भी दिया गया, लेकिन वित्तीय संसाधन के अभाव में यह काम तेजी नहीं ले पाया जब कि 2019 के विधान सभा चुनाव सिर पर थे, चुनावों में तेलुगु देश पार्टी बुरी तरह से हार गई, जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व बनी वाई एस आर पार्टी ने नई सरकार बनने पर पिछली सरकार के निर्णय को बदल दिया, सरकार ने एक के बजाए तीन राजधानियां बनाने का निर्णय विधान सभा में पास किया कानून के अनुसार प्रशासनिक, विधायिका तथा न्यायिक तीन अलग अलग राजधानियों के निर्माण की घोषणा की गई, नई राजधानियों के स्थानों का भी चयन कर लिया गया, पर निर्माण कार्य शुरू होने से पहले ही मामला हाई कोर्ट में पहुंच गया, सरकार के निर्णय को चुनौती दी गई, सरकार इस मामले में हार गई, इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जहां मामला अटका रहा तथा इसी बीच 2024 के विधान सभा चुनाव आ गए, जिस कारण से जगन मोहन रेड्डी की सरकार हारी उसमें तीन राजधानियां बनाने का निर्णय भी एक मुद्दा था। चूंकि तेलुगु देश पार्टी एन डी ए का घटक है।
इसलिए लोकसभा चुनावों के बाद केंद्र में तीसरी बार एन डी ए की सरकार बनाने के बाद वित्त मंत्री ने अपने पहले बजट में राज्य को नई राजधनी बनाने के लिए 15,000 करोड़ रूपये देने का ऐलान किया। उधर नायडू ने अमरावती में राजधानी के अधूरे भवनों को फिर से साफ करने का कम शुरू कर दिया। विश्व बैंक तथा एशियन बैंक से कर्जा लेने का प्रयास फिर से शुरू किया गया। इन दोनों वित्तीय संस्थानों के अधिकारियों ने मौके पर आ कर स्थिति का आंकलन किया तथा कर्ज देने में सहमति दी, सरकार इन दोनों संस्थायों से 15,000 -15,000 करोड़ का कर्जा लेना चाहती है। पिछले महीने ही निर्माण कार्यों के लिए 50,000 करोड़ रूपये की प्रशासनिक सहमति दे दी है, सरकार ने जल्दी ही 11,000 करोड़ रूपये के निर्माण कार्य शुरू करने के आदेश भी जारी कर दिए तथा बाकी कार्यों के टेंडर जारी करने का काम भी शुरू हो गया । सरकार ने राजधानी तक पहुंचने के लिए ढांचागत काम भी शुरू कर दिए। यह यहां तक आने के लिए हाई वे का काम भी शुरू कर दिया है। अमरावती अब तक रेल से नहीं जुड़ा हुआ था। राज्य सरकार के प्रयासों के चलते रेल मंत्रालय ने तेलंगाना के खम्मम तथा आन्ध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के बीच 57 किलोमीटर लम्बी रेल लाइन बिछाने का निर्णय किया। अमरावती इस रेल मार्ग के बीच में पड़ता है, इस प्रकार राजधानी के निर्माण के साथ राज्य की राजधानी रेल मार्ग से जुड़ जाएगी। जब तक सरकार का शासन अमरावती से शुरू नहीं होता तब तक हैदराबाद ही राज्य की राजधानी रहेगा, हालांकि करार के अनुसार आन्ध्र प्रदेश ने 2024 के शुरू में ही यहां से काम करना बंद कर दिया था।
यह लेखक के अपने विचार हैं।
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