नशे के खिलाफ महत्वाकांक्षी युद्ध कारगर साबित हो

पंजाब नशे की अंधी गलियों में धंसता जा रहा 

नशे के खिलाफ महत्वाकांक्षी युद्ध कारगर साबित हो

पंजाब में आतंकवाद की ही तरह नशे एवं ड्रग्स के धंधे ने व्यापक स्तर पर अपनी पहुंच बनाई है।

पंजाब में आतंकवाद की ही तरह नशे एवं ड्रग्स के धंधे ने व्यापक स्तर पर अपनी पहुंच बनाई है, जिसके दुष्परिणाम पंजाब के साथ-साथ समूचे देश को भोगने को विवश होना पड़ रहा है। पंजाब नशे की अंधी गलियों में धंसता जा रहा है। देर आए दुरस्त आए की भांति लगातार चुनौती बने नशीली दवाओं एवं ड्रग्स के धंधे के खिलाफ  आप सरकार ने एक महत्वाकांक्षी युद्ध एवं अभियान शुरू किया है। तीन महीने के भीतर इस समस्या का खात्मा करने का सरकार दावा खोखला साबित न होकर सकारात्मक एवं प्रभावी परिणाम लाए, यह अपेक्षित है। इसी क्रम में विभिन्न सरकारी विभागों ने सैकड़ों छापे डाले, तीन सौ के करीब गिरफ्तारियां और बड़े पैमाने पर नशीले पदार्थों की बरामदगी हुई। निस्संदेह, यह कार्रवाई अभियान उग्र, आक्रामक व तेज है, लेकिन ऐसे अभियान चलाने के दावे विगत की भांति कोरा दिखावा न साबित हो, यह देखना जरूरी है। दरअसल, सबसे बड़ा संकट यह है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान में हेरोइन उत्पादन के केंद्र- गोल्डन क्रिसेंट के निकट होने के कारण पंजाब लंबे समय से मादक पदार्थों की तस्करी से जूझ रहा है। जरूरत है मान सरकार का नशा एवं नशे के कारोबार के खिलाफ  जारी अभियान कामयाबी की नई इबारत लिखे। ताकि नशे के जाल में फंसे युवाओं एवं आमजन को बचाया जा सके। ड्रग्स उपभोग के मामले में पंजाब की स्थिति अत्यंत चिंताजनक बन गई है। पंजाब के 26 प्रतिशत युवा चरस, अफीम तथा कोकीन व हेरोइन जैसे सिंथेटिक ड्रग्स लेने में लिप्त हैं। इसमें शराब आदि का डाटा शामिल नहीं है। पंजाब देश में ड्रग्स में सर्वाधिक संलिप्त राज्यों में आता है। पंजाब के बॉर्डर एरिया के गांवों व कस्बों में ही ड्रग्स की मार देखने को मिलती थी। 

सरकार नशे को खत्म करने के बड़े-बड़े दावे कर रही है, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और देखने को मिलती है। युवाओं की रगों में नशे का जहर घोला जा रहा है। बड़े शहर नशे के हॉट-स्पॉट बनते जा रहे हैं। बठिंडा, पटियाला, होशियारपुर, अमृतसर और लुधियाना जैसे बड़े शहरों में हालात चिंताजनक हैं। इसका असर प्रदेश की मौजूदा पीढ़ी पर ही नहीं, बल्कि आने वाली पुश्तों पर भी पड़ने लगा है। इस अभियान की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि क्या हम इस समस्या की जड़ पर प्रहार करने का कोई प्रभावी उपक्रम कर रहे हैं? दरअसल, इस संकट के मूल में जहां राजनीतिक जटिलताएं, सीमा से जुड़ी समस्याएं, पाकिस्तान के षड़यंत्र हैं, वहीं युवाओं के लिए रोजगार से जुड़े विकल्पों की भी कमी है। पंजाब में नशे की समस्या पर सुप्रीम कोर्ट भी चिन्ता व्यक्त करता रहा है, अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए उसने पंजाब सरकार को फटकार भी समय-समय पर लगाई है। अगर कोई पड़ोसी देश चाहे तो नशे के आतंक से देश को खत्म कर सकता है। अगर बॉर्डर क्षेत्र सुरक्षित नहीं है तो कैसे सीमाओं की सुरक्षा होगी? नशा माफिया के आगे बेबस क्यों है पंजाब सरकार? सुप्रीम कोर्ट की चिन्ता पंजाब में नशे की गंभीर चुनौती को देखते हुए वाजिब है। 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी पूर्व में  ड्रग्स-फ्री इंडिया अभियान चलाने की बात कहकर इस घातक बुराई की ओर जागृति का शंखनाद किया है। विशेषत: पंजाब के युवा नशे की अंधी गलियों में धंसते जा रहे हैं, वे अपनी अमूल्य देह में बीमार फेफड़े और जिगर सहित अनेक जानलेवा बीमारियां लिए एक जिन्दा लाश बने जी रहे हैं। ड्रग्स के सेवन से महिलाएं बांझपन का शिकार हो रही हैं। पुरुषों पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा है। पाकिस्तान नशे के आतंक से अपने मनसूंबों को पूरा कर रहा है। चिकित्सकीय आधार पर देखें तो अफीम, हेरोइन, चरस, कोकीन, तथा स्मैक जैसे मादक पदार्थों से व्यक्ति वास्तव में अपना मानसिक संतुलन खो बैठता है एवं पागल तथा सुप्तावस्था में हो जाता है। ये ऐसे उत्तेजना लाने वाले पदार्थ हैं, जिनकी लत के प्रभाव में व्यक्ति अपराध तक कर बैठता है। मामला सिर्फ स्वास्थ्य से नहीं अपितु अपराध से भी जुड़ा हुआ है। कहा भी गया है कि जीवन अनमोल है। नशे के सेवन से यह अनमोल जीवन समय से पहले ही मौत का शिकार हो जाता है या अपराध की अंधी गलियों में धंसता चला जाता है, पाकिस्तान युवाओं को निस्तेज करके एक नए तरीके के आतंकवाद को अंजाम दे रहा है।

पंजाब सरकार की ताजा सख्त कार्रवाई का संदेश नशा माफिया को जाना जरूरी है कि इस काले कारोबार से जुड़े लोगों की दंडमुक्ति संभव नहीं है। इसके अलावा सीमा पार से चलाए जा रहे नशे के कारोबार के लिये पड़ोसी देश को भी कड़ा संदेश जाना चाहिए। नशे की तस्करी में तमाम आधुनिक साधनों का उपयोग किया जा रहा है। हालांकि, बीएसएफ ने पहल करते हुए एंटी-ड्रोन सिस्टम लगाए हैं। जिसके सार्थक परिणाम भी मिल रहे हैं। पंजाब में नशे की गंभीर चुनौती को देखते हुए सीमा सुरक्षा की दिशा में कदम उठाए जाने चाहिए। जिसमें उच्च तकनीक व विभिन्न एजेंसियों में बेहतर तालमेल की जरूरत है। सीमा पर सख्त नियंत्रण करने, न्यायिक दक्षता और समाज को जागरूक करने की जरूरत है।  

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-ललित गर्ग
यह लेखक के अपने विचार हैं।

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