भारत में एक देश एक चुनाव की महत्ता

भारत में एक देश एक चुनाव की महत्ता

भारत विश्व का सबसे बड़ा प्रजातांत्रिक देश माना जाता है, जहां पर जनप्रतिनिधियों का निर्वाचन चुनाव पद्धति के द्वारा किया जाता है।

भारत विश्व का सबसे बड़ा प्रजातांत्रिक देश माना जाता है, जहां पर जनप्रतिनिधियों का निर्वाचन चुनाव पद्धति के द्वारा किया जाता है। निर्वाचन के लिए लोकसभा विधानसभा व पंचायत स्तर पर 5 वर्ष की अवधि के बाद चुनाव समय अवधि समाप्त होने पर करवाए जाते है चुनाव आयोग व राज्य चुनाव आयोग वर्ष पर्यंत देश में चुनावी व्यवस्था का कार्य निरंतर रूप से करता रहता है। देश में अप्रैल, 2024 में लोकसभा चुनाव करवाए जाने हैं इसके बाद निर्धारित अवधि में राज्य विधानसभाओं एवं पंचायती राज के चुनाव होने है। राजस्थान में विधानसभा चुनाव हुए थे इसके बाद अप्रैल में लोकसभा व अगस्त24 के बाद पंचायत स्तर के चुनाव करवाए जाने है। औसतन तीनों स्तर पर चुनाव करवाए जाने पर डेढ़ वर्ष का समय लग जाता है चुनावी आचार संहिता लागू होने के कारण सरकारी की विकास घोषणाओं पर प्रतिबंध लग जाता है। सरकारी कामकाज तक हो जाता है। जनता के कार्य नहीं हो पाते है। सरकारी योजनाएं व कार्यक्रम सरकारी विभागों की कार्य करने की गति अत्यंत धीमी हो जाती है। सम्पूर्ण सरकारी मशीनरी चुनाव को सम्पन्न करवाने में लग जाती है शिक्षण व यातायात व्यवस्था ठप हो जाती है पुलिस वर्ग की भी चुनावी ड्यूटी लगने से कानून व्यवस्था का दैनिक कार्य ठप हो जाता है। देश में मतदाताओं की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है चुनाव का कार्य अत्यधिक जटिल वह समय बढ़ोतरी का होता जा रहा है। चुनावी खर्च भी लगातार बढ़ता जा रहा है अनुमान है कि वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव में लगभग 60000 करोड़ रुपए हुए थे। ऐसे में यह विचार रखा जा रहा है कि तीनों प्रकार की सरकारों के लिए चुनाव पूरे देश में एक साथ करवाए जाने चाहिए। इसी दृष्टिकोण के मध्य नजर रखते हुए सरकार ने पूर्व राष्टÑपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया था। जिसने इस चुनाव सुधार की दृष्टि से अपना प्रतिवेदन वर्तमान राष्टÑपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दिया है।

उच्च स्तरीय कमेटी ने अपने प्रतिवेदन में महत्वपूर्ण सिफारिश की है कि देश में लोकसभा राज्य विधानसभाओं के चुनाव पहला कदम पर इसके बाद पंचायत स्तर के चुनाव संपूर्ण देश में एक साथ करवाए जा सकते है। यह चुनाव 18वीं लोकसभा के गठन के पांच वर्ष पूरे होने पर वर्ष 2019 में संभव होंगे। कमेटी का मानना है की प्रथम कदम जिसके अंतर्गत लोकसभा व राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ करवाए जाने है के लिए संविधान संशोधन की आवश्यकता है लेकिन राज्यों की विधानसभाओं से अनुमति की आवश्यकता नहीं है। द्वितीय कदम के अंतर्गत स्थानीय पंचायत के चुनाव लोकसभा में राज्य विधानसभा के निर्वाचन के 100 दिवस में करवाए जाने है। अवधि का निर्धारण राष्टÑपति द्वारा लोकसभा नियुक्ति तिथि के 5 वर्ष रखी जाएगी।

यदि किसी चुनाव में स्पष्ट बहुमत के अभाव में आगामी सरकार का गठन नहीं हो पता है तो इसके बाद बचे हुए समय अवधि के लिए ही नए चुनाव करवाए जाएंगे, लेकिन आगे चुनाव दोनों मिलकर 5 वर्ष ही रहेंगे कमेटी का मानना कि चुनाव आयोग केंद्र, राज्य सरकार, सुरक्षा बल, राज्य कर्मचारियों की व्यवस्थाए सम्पूर्ण देश के लिए एक साथ कैसे उपलब्ध होगी। यह मिलकर तय करें तथा उसी अनुरूप चुनावी व्यवस्था हो। देश के मतदाताओं को इलेक्ट्रॉनिक मत पत्रों का उपयोग तीनों चुनाव के लिए एक साथ लिया जाए तथा एक ही मतदाता सूची बनाई जाए। जिसका उपयोग तीनों चुनाव में किया जाए। कमेटी का मत है कि एक साथ चुनाव कराए जाने पर चुनावी खर्च में कमी आएगी तथा आचार संहिता व चुनावी व्यवस्था के कारण बार-बार जो सरकार के दैनिक कामकाज की गति में बाधा आती है उसमें कटौती होगी।
एक अनुमान है कि यदि एक साथ चुनाव करवाए जाते हैं तो देश में 1.5 प्रतिशत जीडीपी की वृद्धि हो सकती है जो की अनुमानित है 4.5 मिलियन डॉलर आती है, लेकिन इसका दूसरा पक्ष है कि वर्ष 1967 तक एक साथ चुनाव करवाए जाते थे तब भी भारत की विकास दर अत्यंत कम दो से तीन प्रतिशत ही रहती थी तो अब वृद्धि कैसे होगी। विपक्ष का आरोप है कि एक साथ चुनाव की अवधारणा भारत के संविधान की भावना के अनुरूप नहीं है जिसके अंतर्गत भारत में विभिन्नता का महत्व दिया गया है ताकि प्रजातंत्र की रक्षा हो तथा एक छात्र राज व सत्ता केंद्रीय कारण ना हो सके। जो की तानाशाही प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करता है। भारत में विभिन्न भाषाएं, धर्म जाति, रहन-सहन, खानपान, संस्कृति, सभ्यता है तो चुनाव एक साथ क्यों होनी चाहिए। चुनाव के अंतर्गत विरोध पक्ष का अत्यधिक महत्व है जो की सत्ता रूढ़ सरकार के समानांतर स्थान रखता है। विपक्ष की भूमिका सरकारी कामकाज पर नजर रखने की है जो कि सत्तारूढ़ सरकारों को आगाह करता है तथा जागरूक बनाता है। प्रजातंत्र के अंतर्गत सीधा राजमार्ग को महत्व नहीं है उसे पर नजर व रोक भी जरूरी है। कोई भी चुनाव में तात्कालिक लहर व घटना अत्यधिक महत्व रखती है प्रत्येक राज्य की अपनी संसाधन, मानवीय शक्ति, शिक्षण स्तर, ढांचागत विकास की अपनी भिन्नता है व असमानता है।      

 -डॉ. सुभाष गंगवाल
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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