जाने राजकाज में क्या है खास
सूबे में इन दिनों स्पिन बॉलर को लेकर चर्चा जोरों पर है। हाथ वाले दल से ताल्लुक रखने वाले स्पिन बॉलर की चर्चा इंदिरा गांधी भवन के बजाय सरदार पटेल मार्ग स्थित बंगला नंबर 51 में बने भगवा वालों के ठिकाने पर ज्यादा है।
चर्चा में स्पिन बॉलर
सूबे में इन दिनों स्पिन बॉलर को लेकर चर्चा जोरों पर है। हाथ वाले दल से ताल्लुक रखने वाले स्पिन बॉलर की चर्चा इंदिरा गांधी भवन के बजाय सरदार पटेल मार्ग स्थित बंगला नंबर 51 में बने भगवा वालों के ठिकाने पर ज्यादा है। स्पिन बॉलर भी क्रिकेट से नहीं, बल्कि पॉलिटिक्स से ताल्लुक रखते हैं, जो जोधपुर की धरा का पानी पी-पीकर मैदान में उतरे हैं और पॉलिटिक्स के खेल में 50 साल से स्पिन बॉलिंग कर रहे हैं। चर्चा है कि दिल्ली में बैठे छोटा भाई और मोटा भाई कुछ नया करते हैं, तो जोधपुर वाले स्पिन बॉलर अपना नया पैंतरा फेंक कर उनको एक झटके में धो देते हैं। अब देखो ना, भाईसाहब ने राहत कैम्पों की आड़ में स्पिन बॉलिंग कर गुजराती बंधुओं को धोने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अब भाईसाहबों को कौन समझाए कि जोधपुर वालों की काट सिर्फ मीठी माई जानती है, और कोई नहीं।
मजबूत हुई तलवार की धार
कर्नाटक में राज आने के बाद सूबे के हाथ वाले भाई लोगों की नजरें एक बार फिर दिल्ली की तरफ टिक गई। नजरों को टिकना भी लाजमी था, चूंकि दिल्ली वालों को मजबूती जो मिली है। अब इस मजबूती की तलवार धार का असर सूबे की लीडरशिप पर भी दिखाई देगा। इंदिरा गांधी भवन में बने पीसीसी के ठिकाने पर चर्चा है कि दिल्ली की तलवार की धार तो चलेगी, लेकिन यह किस लीडर पर चलेगी, यह ज्येष्ठ शुक्ल सप्तमी के बाद ही तय होगा। चूंकि उसके बाद ही मेष और कुंभ राशि के चौघड़ियों में बदलाव होगा।
शह और मात का खेल
सूबे में हाथ वाले दल में एक बार फिर शह और मात का खेल शुरू हो गया। हो भी क्यों ना, राज की कुर्सी के लिए तीन साल से हाथ-पैर मार रहे यूथ लीडर की सुनवाई जो नहीं हो रही। यूथ लीडर भी बैक होने के बजाय कोई न कोई स्ट्रोक फेंकते रहते हैं, लेकिन पार नहीं पड़ रही। चर्चा है कि शह और मात के इस खेल में फंसे देवनारायण वंशज यूथ लीडर पुण्य तिथि की आड़ में ब्रह्मास्त्र को काम में लेंगे। अगर इससे भी पार नहीं पड़ी तो, हम तो डूबेंगे सनम, तुम को भी डुबो जाएंगे, वाला गाना गुनगुनाएंगे।
ऐसी बनी मजबूरी
राजनीति तो राजनीति होती है। इसमें कब क्या हो जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता। वक्त बदलता है, तो कइयों की हेकड़ी भी निकल जाती है। अब देखो ना, सूबे में भगवा वाले नेताओं के सामने ऐसी मजबूरी बनती नजर आ रही है कि न चाहते हुए भी मैडम की फोटो लगाने के सिवाय कोई चारा ही नजर नहीं आ रहा। सरदार पटेल मार्ग स्थित बंगला नंबर 51 में बने कमल वालों के ठिकाने पर चर्चा है कि चार साल से उछलकूद करने वालों को भी समझ में आ गया कि सूबे में दिसम्बर में होने वाले चुनावों में लाज बचाना मैडम के चेहरे के बिना मुश्किल है, चूंकि ये पब्लिक है, जो सब जानती है, उसको सिर्फ एक इशारे की दरकार है।
चर्चा में एक बनाम छत्तीस
सूबे में हाथ वाले भाई लोगों में एक बनाम छत्तीस को लेकर चर्चा जोरों पर है। इंदिरा गांधी भवन में बने हाथ वाले के ठिकाने पर आने वाले वर्कर इस पर चर्चा किए बिना नहीं रहते। पिंकसिटी से लालकिले वाली महानगरी तक इस चर्चा को लेकर चिंतन-मंथन हो रहा है। चर्चा है कि पार्टी को अब एक कौम और एक व्यक्ति तक सीमित रखने के लिए कुछ भाई लोग दिन-रात पसीना बहाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। और तो और खुद नेता भी अपनी जबरदस्त मार्केटिंग करने के लिए अपनी ऐड़िया घिस रहे हैं। वे न आगा सोच रहे हैं और न ही पीछा। अब उनको कौन समझाए कि 138 साल पुरानी हाथ वाली पार्टी में आज भी ऐसे डिप्लोमेट लीडर हैं, जो किसी गुट के नेता के लिए नहीं, बल्कि सिर्फ पार्टी के लिए काम करते हैं। राज का काज करने वाले भी समझ गए कि हाथ वालों में खुले जो कुछ चल रहा है, उससे गड़बड़ के सिवाय कुछ भी हाथ लगने वाला नहीं है।
-एल. एल शर्मा
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