खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर नौनिहाल

राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय बड़ारा का मामला

खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर नौनिहाल

संस्था प्रधान ने बताया विद्यालय की स्थिति बदहाल है।

राजपुर। एक और तो सरकार लाखों करोड़ों रुपए का बजट जारी कर शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए हर तरीके के प्रयास करने में जुटी हुई है ताकि सहरिया क्षेत्र में शिक्षा का स्तर सुधर सके तो वहीं दूसरी ओर सहरिया अंचल क्षेत्र के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय बड़ारा के हाल बदहाल बने हुए हैं। कक्षा 1 से 5 वीं तक संचालित विद्यालय में करीब 97 बच्चे अध्ययन कर रहे हैं। विद्यालय में मात्र दो ही कमरे हैं। ऐसे में एक में पोषाहार सामग्री और खाना पकाने का काम किया जाता है तो दूसरे कमरे में एक कक्षा को बिठाया जाता है बाकी क्लास  खुले आसमान के नीचे संचालित हो रही हैं। बारिश सर्दी के मौसम में अक्सर बच्चों की छुट्टी कर दी जाती है। अगर बात की जाए विद्यालय के टॉयलेट की तो यह गंदगी से सटे पड़े हैं। इससे बच्चों में संक्रमण जैसी बीमारियां फैलने का खतरा बना हुआ है। सफाई व्यवस्था के नाम पर विद्यालय प्रशासन कोई ध्यान नहीं देता है। जगह-जगह से बाउंड्री क्षतिग्रस्त है। विद्यालय की चार दिवारी का गेट गायब होने से जानवरों का जमावड़ा स्कूल परिसर में अक्सर बना रहता है। ऐसे में शिक्षण कार्य करते वक्त बच्चों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है।  पोषाहार खाने के बाद बच्चों को बर्तन साफ करने के लिए भी घर जाना पड़ता है। संस्था प्रधान लव कुश मीना से बात की तो उन्होंने बताया विद्यालय की स्थिति बदहाल है। बारिश में ज्यादा परेशानी होती है। बच्चों की छुट्टी करनी पड़ती है। रसोई घर क्षतिग्रस्त है। 

पेयजल की समस्या
विद्यालय में पानी की समस्या के चलते छात्र-छात्राओं को अपने-अपने घर से पानी बोतलों में भरकर लाना पड़ता है क्योंकि विद्यालय में पानी की व्यवस्था नहीं होने के स्कूली छात्र-छात्राओं को पेयजल संकट का सामना भी करना पड़ता है। विद्यालय में पोषाहार बनाने के लिए बाहर ट्यूबवेल से पानी लाना पड़ता है। अगर बिजली गुल होती है तो ट्यूबवेल भी नहीं चलती है। ऐसे में पोषाहार बनाने के लिए ग्रामीणों से पानी मांगना पड़ता है। स्कूल में छात्र-छात्राओं को मूलभूत सुविधाओं से जूझना पड़ रहा है। सर्दी, गर्मी, बरसात में स्कूली छात्र-छात्राओं को कक्षा कक्षों का अभाव होने के कारण खुले आसमान के नीचे ही अध्यापन कार्य करना पड़ रहा है। इस मामले को लेकर ग्रामीणों ने कई बार शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भी अवगत करा दिया है लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ है। इसके चलते बच्चों के अभिभावकों में भी रोष बना हुआ है।

शौचालय के हालात बदहाल
स्थानीय विद्यालय में बने शौचालय क्षतिग्रस्त और गंदगी से सटे हुए हैं। ऐसे में हर वक्त स्कूली छात्र-छात्राओं को संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है। वहीं स्कूल परिसर में कांटेदार झाड़ियां उगी हुई है। ऐसे में इन झाड़ियां में जहरीले जीव जंतुओं का डर बना रहता है। विद्यालय प्रशासन इस मामले को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रहा है। विद्यालय की चार दिवारी जगह से क्षतिग्रस्त है। मेन गेट नहीं होने के चलते स्कूल में मवेशियों का जमावड़ा लगा रहता है। ऐसे में स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को भी मवेशियों से खतरा बना रहता है। साफ-सफाई को लेकर विद्यालय प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा है। 

विद्यालय में पर्याप्त कक्षा-कक्ष नहीं होने से विद्यार्थियों का बाहर खुले मैदान में पढ़ाया जाता है। जिससे छात्र-छात्राओं को सर्दी, गर्मी और बरसात हर मौसम में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 
- पन्नलाल, ग्रामीण। 

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विद्यालय में 97 बच्चे अध्ययनरत है। केवल दो ही कमरे है। जिसमें से भी एक कमरे में पोषाहार व खाना बनाया जाता है। ऐसे में बच्चों को कहां बैठाकर पढाया जाए। ऐसी समस्या हर समय बनी रहती है। 
- नरोत्तम, समाजसेवी। 
    
कक्षा कक्ष के निर्माण को लेकर कई बार शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों को पत्र लिखे गए हैं लेकिन अभी तक कक्षा कक्ष का निर्माण नहीं हुआ है। ऐसे में अब बच्चों का भविष्य अंधकार में है। 
- लवकुश मीना, प्रधानाध्यापक, राउप्रा विद्यालय बड़ारा।   

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बड़ारा विद्यालय में भवनों की कमी है। टॉयलेट बदहाल है और सफाई व्यवस्था ठीक नहीं है तो विद्यालय प्रशासन को व्यवस्थाएं सुधारने के लिए निर्देश दिए जाएंगे। खुले आसमान के नीचे बच्चे अपना अध्यापन कार्य करते हैं। भवन की कमी को लेकर शिक्षा विभाग की उच्च अधिकारियों को अवगत करा रखा है। जैसे ही बजट आएगा तो भवन निर्माण कराए जाएंगे। 
- केशवायांद शर्मा, सीबीओ, शाहाबाद। 

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