टाइगर की एंट्री से हिंडोली के विकास को लगेंगे चार चांद
हिंडोली रेंज के कालदा वन क्षेत्र और बूंदी वन क्षेत्र को जोड़कर बसोली रेंज का गठन
वन एवं वन्य जीव सुरक्षा संरक्षण के लिए कई प्रकार की संरचनाओं के लिए कार्य किया जा रहे हैं।
हिंडोली। हिंडोली के रामगढ़ विषधारी अभयारण्य में वन विभाग भी टाइगरों के मन माफिक बफर जोन बनाकर उनको लुभाने का कार्य कर रहा है। बफर जोन में जिस दिन टाइगर की एंट्री होगी। उसी दिन से हिंडोली के विकास में चार चांद लगने शुरू हो जाएंगे। हिंडोली वन क्षेत्र कालदा और बूंदी वन क्षेत्र के कुछ हिस्सों को जोड़कर बसोली रेंज का गठन वन विभाग करने जा रहा है। इसके प्रस्ताव राज्य सरकार को भेज दिए गए हैं और वन विभाग टाइगर बसाने की जुगत में लगा हुआ है। इसके लिए वन विभाग ने बसोली गांव के नजदीक राष्ट्रीय राजमार्ग 148 डी पर भवन निर्माण का काम भी शुरू कर दिया है। कालदा वन क्षेत्र में इंसानी दखल और जानवरों पर प्रतिबंध लगेगा।
वन एवं वन्य जीव सुरक्षा की संरचना
हिंडोली रेंजर दीपक जासू ने बताया कि वन एवं वन्य जीव सुरक्षा संरक्षण के लिए कई प्रकार की संरचनाओं के लिए कार्य किया जा रहे हैं। जैसे प्राकृतिक जल स्रोत, वॉच टावर, फोर्स ट्रैकिंग के लिए रास्तों का निर्माण, चेक पोस्ट, वैरियर, वन्यजीवों की आग से सुरक्षा आदि का विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
रामगढ़ विषधारी अभयारण्य टाइगर के लिए पसंदीदा जगह
ज्ञात रहे कि रामगढ़ विषधारी अभ्यारण में रणथंभौर अभयारण्य से टाइगर आकर सुकून महसूस कर रहे हैं। कई बार टाइगर तलवास वन क्षेत्र और रामगढ़ महल के आसपास घूम कर वापस भी जा चुके हैं लेकिन अब आने वाले टाइगर रामगढ़ विषधारी अभयारण्य में अपना बसेरा बना रहे हैं। इसी के अनुरूप वन विभाग भी टाइगरों के मन माफिक बफर जोन बनाकर उनको लुभाने का कार्य कर रहा है। कालदा वन क्षेत्र रामगढ़ विषधारी अभयारण का हिस्सा है। इस जंगल में कई जंगली जानवर निवास करते हैं। वन विभाग वापस इस जंगल को टाइगरों के लिए आबाद करने पर कमर कस चुका है। कालदा वन क्षेत्र के बफर जोन में जिस दिन टाइगर की एंट्री होगी। उसी दिन से हिंडोली के विकास में चार चांद लगने शुरू हो जाएंगे क्योंकि बसोली और कालदा हिंडोली उपखंड क्षेत्र के हिस्से हैं। पर्यटक आने जाने से कई नए बिजनेस के द्वारा भी खुल सकेंगे।
हिंडोली रेंजर डॉक्टर दीपक जासू ने बताया कि हिंडोली वन क्षेत्र के कालदा और बूंदी वन क्षेत्र को मिलाकर आरवीटीआर के लिए बफर जोन में बसौली रेंज का गठन किया है। इसके लिए सात-आठ माह पहले राज्य सरकार को प्रस्ताव भिजवाए जा चुके हैं। इसके साथ ही भवन का निर्माण भी शुरू कर दिया गया है।
रेंजर डॉक्टर दीपक जासू ने बताया कि कालदा वन क्षेत्र बहुत ही घना और प्राकृतिक दृष्टि से बहुत ही शांत और रमणीक स्थान है। इस जंगल में कालका माता मंदिर और दुवार्सा महादेव का स्थान होने से इंसान और जानवरों का दखल बहुत ज्यादा है। आने वाले समय में इंसानी और जानवरों के दखल को कम किया जाएगा। जिससे वन्य जीवन और टाइगर को किसी प्रकार की समस्या नहीं हो।
इनका कहना है
हिंडोली और बूंदी वन क्षेत्र को मिलाकर अलग से आर. वी. टी. आर. के बफर जोन के लिए बसोली रेंज का गठन करने से कालदा जंगल सुरक्षित रखने एवं वन्य जीव सुरक्षा के लिहाज से वरदान साबित होगा।
- डॉ दीपक जासु, रेंजर हिंडोली

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