पेगासस जासूसी मामले में कांग्रेस का राजभवन घेराव, डोटासरा बोले- केंद्र सरकार ने सबके ऊपर जासूसी बैठा दी

पेगासस जासूसी मामले में कांग्रेस का राजभवन घेराव, डोटासरा बोले- केंद्र सरकार ने सबके ऊपर जासूसी बैठा दी

पेगासस जासूसी प्रकरण के विरोध में प्रदेश कांग्रेस ने गुरुवार को केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज उठाते हुए राजभवन का घेराव किया। कांग्रेस नेताओं ने मामले की न्यायिक जांच की मांग करते हुए जासूसी प्रकरण को आम लोगों की निजता का हनन होना बताया।

जयपुर। पेगासस जासूसी प्रकरण के विरोध में प्रदेश कांग्रेस ने गुरुवार को केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज उठाते हुए राजभवन का घेराव किया। कांग्रेस नेताओं ने मामले की न्यायिक जांच की मांग करते हुए जासूसी प्रकरण को आम लोगों की निजता का हनन होना बताया। राजभवन घेराव से पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के नेतृत्व में सिविल लाइन फाटक पर सभा आयोजित हुई, जिसमें मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, बीडी कल्ला, ममता भूपेश, भंवर सिंह भाटी, मुख्य सचेतक महेश जोशी, विधायक गोविंद राम मेघवाल, अमर सिंह जाटव, इंद्राज गुर्जर, अमीन कागजी, रफीक खान, संयम लोढ़ा, गणेश घोगरा, गोपाल मीणा, प्रशांत बैरवा, आरसीए अध्यक्ष वैभव गहलोत, कांग्रेस नेता जसवंत गुर्जर, मुमताज मसीह, ललित तूनवाल आदि सहित अनेक कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता मौजूद रहे।

सभा में अपने संबोधन में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि सत्ता में काबिज होने से पहले केंद्र सरकार ने जो वादे किए वह पूरे नहीं किए, उल्टे सबके ऊपर जासूसी बैठा दी। संविधान में निजता का हनन नहीं होने का अधिकार दिया गया है, लेकिन केंद्र सरकार ने वह अधिकार भी छीन लिया। राजस्थान भाजपा के नेताओं पर प्रहार करते हुए कहा कि किसान के बेटों की मार्कशीट लिए घूम रहे हो, मैं चुनौती देता हूं मेरे खिलाफ किसी भी मामले में जांच करा लो। वहीं निंबाराम को जांच के लिए सामने लाओ, मैं उनकी कलई खोलकर रख दूंगा। परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, बीडी कल्ला और मंच पर उपस्थित सभी नेताओं ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर हमला बोला। सभा समाप्त होने के बाद कांग्रेस नेता और कार्यकर्ताओं ने राजभवन के लिए कूच लिया, लेकिन सिविल लाइन फाटक पर पुलिस ने उन्हें बैरिकेड लगाकर रोक दिया। एनएसयूआई और यूथ कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ताओं ने बैरिकेड लांघने की कोशिश की, इस पर पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा।

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