मर्ज का घटिया इलाज : कोरोना की दवाओं में घालमेल जांच में हार्ट और शुगर की दवा हुई सबसे ज्यादा फेल
एक साल में दवाओं की जांच में एक फीसदी सैम्पल फेल हुए, 66 दवा प्रतिबंधित
जयपुर। मरीज के इलाज में दवा का ही अहम रोल होता है। डॉक्टर मर्ज देखकर दवा लिखता है, लेकिन घटिया दवाओं के कारोबार के चलते दवा ही मर्ज को बढ़ा रही है। प्रदेश में पिछले एक साल में ऐसी दवाओं की धरपकड़ को औषधि नियंत्रक इकाई ने करीब 650 दवाओं के जांच सैम्पल लिए। जिनमें करीब 1 फीसदी यानी 66 दवाईयां घटिया मिली। जांच में जो दवा गुणवत्ता के मापदंड पर फेल हुई, उनमें सबसे ज्यादा दवा हार्ट-शुगर की बीमारियों से जुड़ी हुई है। गंभीर बात यह है कि कोरोनाकाल में इलाज में काम आने वाली दवाइयां जांच में घटिया निकली,जिन्हें ड्रग यूनिट ने कार्रवाई कर प्रतिबंधित किया और बाजार में बेचान से रोका।
हार्ट-शुगर-बीपी की ये दवा निकली सब-स्टैंडर्ड
डायबिटीज को संतुलित रखने वाले साल्ट पियोगलिटेजॉन हाइड्रोक्लोराइड 7.5 एमजी, ग्लिमप्रराइड 2 एमजी, खून को पतला रखने वाले साल्ट एट्रोवासटेटिन, रोसूवासटेटीन एस्प्रिन,क्लोपिडोग्रेल एंड एस्प्रिन , हाई ब्लड-प्रेशर व कॉरोनरी आॅर्टरीज डिजीज कंट्रोल करने वाली एम्लोडिडपाइन टेबलेट्स खराब क्वालिटी की पाई गई। संभवत: दवाओं को प्रतिबंधित करने से पहले दवा लेने वाले मरीजों की डायबिटीज कंट्रोल नहीं हुई होगी, खून जितना पतला होना चाहिए, नहीं हुआ होगा और बीपी नॉर्मल होने में दवा कारगर नहीं रही होगी।
देशभर में दवा प्रतिबंधित, लेकिन हमारे यहां बिकती रही
केन्द्र सरकार ने बुखार-जुकाम में काम आने वाली पांच साल्ट सिट्रीजीन, फिनाइएलएफ्रिन, पेरासिटामॉल, कैफीन, निमुसुलाइड के काम्बीनेशन वाली दवाओं को स्वास्थ्य के लिए 7 सितम्बर 2018 को गंभीर घातक मानते हुए देशभर में प्रतिबंधित किया था, लेकिन यह दवा प्रदेश में दो साल बाद तक बिकती मिली। सूचना पर ड्रग इकाई ने जयपुर, दौसा, अजमेर, चित्तौडगढ़ में कार्रवाई कर इसके स्टॉक को जब्त किया और विक्रेताओं पर ड्रग एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट में कार्रवाई की।
कोरोना के इलाज में ये दवाएं फेल
केन्द्रीय ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने प्रदेश को 11 जून 2021 को पत्र लिखकर मैसर्स मैक्स रिलीफ हेल्थकेयर की फैवीपिराविर की 200 और 400 एमजी दवा घटिया क्वालिटी की होने की सूचना प्रदेश की ड्रग कंट्रोलर इकाई को दी,जिस पर 17 जून को कार्रवाई कर प्रदेशभर में दवा के चार बैचों की दवा को तुरंत प्रतिबंधित करवाया। बेचान से पहले स्टॉक को बाजार से हटवाया, लेकिन इससे पहले बाजार में जिन कोरोना संक्रमितों ने यह दवा ली होगी, उस पर कारगर रही होगी, इस पर सवाल खड़े हुए। इसी तरह कोरोना के इलाज में बुखार की पैरासिटामोल और इम्यूनिटी बढ़ाने में सहयोगी दवा कैल्शियम-विटामिन डी-3 की दवा भी घटिया निकली। कैल्शियम-विटामिन डी-3 बनाने वाली 9 फॉर्मा कंपनियों, पैरासिटामोल और मोन्टूल्यूकॉस्ट टेबलेट बनाने वाली एक-एक कंपनी की दवा खराब निकली और उन्हें प्रतिबंधित कर कार्रवाई की गई।
क्या होती है कार्रवाई
सवाल: घटिया दवा पर अंकुश को विभाग क्या करता है?
उत्तर: प्रदेश में कुल 104 ड्रग इंस्पेक्टर है। हर इंस्पेक्टर का प्रतिमाह न्यूनतम 6 दवाओं के सैम्पल लेकर लैब में क्वालिटी जांच कराना अनिवार्य है, कम जांच पर इंस्पेक्टरों-अधिकारियों पर कार्रवाई करते हैं। मुखबिर से, विभाग को आमजन से ई-मेल आईडी पर आई शिकायतों, अन्य राज्यों की ड्रग इकाई के अलर्ट के आधार पर जांच कार्रवाई करते हैं।
चीफ ड्रग कंट्रोलर राजाराम शर्मा से बातचीत
सवाल: जांच का प्रोसेस क्या है, घटिया दवा बनाने वाली फार्मा कंपनी पर क्या कार्रवाई होती है?
उत्तर: डग एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत घटिया दवा प्रतिबंधित की जाती है। निर्माता पर मुकदमा दर्ज करवाया जाता है, जिस राज्य में मैन्यूफेक्चरिंग है, वहां सूचना भेजकर कंपनी के लाइसेंस निरस्तीकरण, प्रोडेक्शन रुकवाने, फैक्ट्री बंद करने की कार्रवाई करवाते हैं। एक्ट में दोषियों पर 3 साल से आजीवन कारावास का प्रावधान है।
सवाल: घटिया दवा पर पूर्ण अंकुश कैसे लगे?
उत्तर: विभाग हमेशा अलर्ट मोड में रहता है। पहले काफी ज्यादा दवा जांच में फेल होती थी। अब इसे कम कर एक फीसदी से कम पर लेकर आए हैं। पूरी तरह संकल्पबद्ध हैं कि घटिया दवा बनाने वालों पर सख्ती से कार्रवाई करें। जल्द और भी कई नए प्रावधान व कार्ययोजना लागू कर रहे हैं।
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