मेयर निलबंन मामले में BJP का सरकार के खिलाफ प्रदर्शन, राज्यपाल को ज्ञापन सौंप लगाई न्याय की गुहार
भाजपा ने जयपुर ग्रेटर नगर निगम महापौर निलंबन मामले में मंगलवार को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया के नेतृत्व में राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। भाजपा प्रदेश मुख्यालय के बाहर पूनिया की अगुवाई में कई वरिष्ठ नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ नारे लिखी तख्तियां हाथों में लेकर विरोध प्रदर्शन किया।
जयपुर। भाजपा ने जयपुर ग्रेटर नगर निगम महापौर निलंबन मामले में मंगलवार को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया के नेतृत्व में राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। भाजपा प्रदेश मुख्यालय के बाहर पूनिया की अगुवाई में कई वरिष्ठ नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ नारे लिखी तख्तियां हाथों में लेकर विरोध प्रदर्शन किया। इन लोगों ने महापौर के निलंबन का विरोध करते हुए सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। इस अवसर पूनिया के अलावा नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी, प्रदेश उपाध्यक्ष सरदार अजयपाल सिंह, पूर्व मंत्री एवं विधायक वासुदेव देवनानी सहित कई नेता प्रदर्शन में शामिल हुए। प्रदर्शन के बाद पूनिया के नेतृत्व में भाजपा नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल राजभवन पहुंचकर राज्यपाल कलराज मिश्र से मिला और उन्हें इस संबंध में एक ज्ञापन देकर न्याय का अनुरोध किया। प्रतिनिधिमंडल में कटारिया, राठौड़, चतुर्वेदी तथा अन्य नेता शामिल थे।
सतीश पूनिया ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि प्रदेश के इतिहास में इस तरह का यह पहला वाक्य हैं और इसमें लोकतंत्र की हत्या हुई है, जिसका विरोध हम लोग रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर पार्टी राज्य में सभी मंडलों पर धरना-प्रदर्शन कर रही है। उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ हम अदालत से सड़क तक लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि सामान्य वादविवाद को आपराधिक घटना में तब्दील कर दिया गया। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस जयपुर ग्रेटर निगम की हार पचा नहीं पा रही हैं और वह प्रतिशोध की राजनीति करने लगी हैं जो दुर्भाग्यपूर्ण हैं। पूनिया ने कहा कि सरकार के नीयत में शुरु से ही खोट हैं और कानून का दुरुपयोग किया गया है। नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि जनता द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधि को एक अधिकारी के बयान के आधार पर हटा देना, यह पहली घटना है जो दुर्भाग्यपूर्ण हैं।
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