स्वर कोकिला लता मंगेशकर का जयपुर से रहा है विशेष रिश्ता : व्रत में ना गाने का नियम भी तोड़ा था राजस्थान की जनता की भलाई के लिए
1987 में अकाल पीड़ितों की सहायता के लिए दिया था एसएमएस स्टेडियम में कार्यक्रम :एक करोड़ एक लाख का चेक भेट किया था मुख्यमंत्री को
जयपुर। स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर के निधन से पूरा देश स्तब्ध एवं शोक में है लेकिन राजस्थान के लोगों को उनके निधन से सदमा और पीड़ा बेहद है कारण की राजस्थान खासकर जयपुर से उनका विशेष रिश्ता रहा है। 1987 में जब राजस्थान में भीषण अकाल पड़ा और तत्कालीन सरकार के पास अकाल का मुकाबला करने के लिए रूपयों की कमी महसूस हुई तो सरकार के मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी ने सुर संगम संस्था के अध्यक्ष के सी मालू से स्वर कोकिला का जयपुर में अकाल पीड़ितों की सहायता के लिए चैरिटी कार्यक्रम कराने के लिए आमंत्रित करने को कहा। उस समय लता दीदी फिल्मों के गानों को लेकर बेहद व्यस्त थी लेकिन जब राजस्थान सरकार और के सी मालू ने उन्हें राजस्थान में भीषण अकाल के बारे में बताया तो वे तुरंत जयपुर में आने और अकाल पीड़ित राजस्थान की जनता के लिए अपने गीतो का कार्यक्रम देने के लिए राजी हो गई। लता दीदी अपने वायदे के मुताबिक जयपुर पहुंची और एसएमएस स्टेडियम में चालीस हजार दर्शकों से भी अधिक लोगों की मौजूदगी में अपने गीतों की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए स्वयं मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी ने टिकट खरीदकर एक उदाहरण भी पेश किया। फिल्म वितरक राज बंसल भी उस कार्यक्रम में बतौर वोलेंटियर व्यवस्था बनाने में शामिल थे। वे बताते है कि लता दीदी ने अपने कार्यक्रम की शुरुआत ऐ मेरे वतन के लोगों से जैसे ही की तो पूरा एसएमएस स्टेडियम उनके स्वागत में खड़ा हो गया और तालियों की करतल ध्वनि से स्टेडियम गूंज उठा। लता मंगेशकर ने 26 बेहद सुरीले गीत गाएं और राजस्थान की जनता का दिल जीत लिया।
उन्होंने कार्यक्रम का समापन अजीब दास्तां है ये, कहा शुरू कहा खत्म से किया, जबकि आएगा आने वाला और मेरा साया साथ होगा जैसे सदाबहार नगमे भी गाए। उनके साथ मोहमद अजीज एवं उनकी बहन उषा मंगेशकर ने भी गीतों में उनका साथ दिया। लता दीदी ने जनता की डिमांड पर राजस्थानी भाषा में थांये काजलिया गीत नितिन मुकेश के साथ युगल रूप में सुनाया। और वापस जयपुर आने का वायदा भी किया। उस कार्यक्रम से प्राप्त एक करोड़ एक लाख का चेक लता दीदी ने मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी को अकाल पीड़ितों की सहायता के लिए भेट किया। बंसल बताते है कि उन दिनों लोग सिगरेट खुले आम पिया करते थे स्टेडियम में उस कार्यक्रम के दौरान जब लोग सिगरेट पी रहे थे तो उस धुआं से लता दीदी सहज होकर गा नही पा रही थी जब उन्होंने सिगरेट ना पीने की अपील जनता से की तो सभी ने अपनी सिगरेटे बुझा दी। बंसल कहते है की उस दिन लता दीदी का व्रत था वे अमूमन व्रत के दिन गीत नहीं गाती थी लेकिन राजस्थान की अकाल पीड़ित जनता की भलाई के लिए ना केवल उन्होंने अपना नियम तोड़ा बल्कि जयपुर की उस तारीख को इतिहास में दर्ज कर दिया।
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