राजस्थान को 44 साल बाद भी समझौते के मुताबिक नहीं मिल रहा रावी-व्यास नदियों से हक का पानी, नोडल अधिकारी नियुक्त करने की तैयारी
राज्य के हिस्से का शेष 0.60 एम.ए.एफ. पानी प्राप्त करने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा
राजस्थान को समझौते के 44 साल बाद भी रावी-व्यास नदियों से हक का पूरा पानी नहीं मिल रहा है।
जयपुर। राजस्थान को समझौते के 44 साल बाद भी रावी-व्यास नदियों से हक का पूरा पानी नहीं मिल रहा है। राज्य के हिस्से का शेष 0.60 एम.ए.एफ. पानी प्राप्त करने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। सर्वोच्च न्यायालय में इस संबंध में दायर मुकदमे की प्रभावी पैरवी के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रमजीत बनर्जी, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऑफ इण्डिया को नियुक्त किया है।
रावी-व्यास नदियों के अधिशेष पानी के बंटवारे के बारे में पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान के मध्य 31 दिसम्बर 1981 को समझौता हुआ था। समझौते के तहत राजस्थान को 8.60 एम.ए.एफ. पानी निर्धारित किया गया। वर्तमान में इसमें से 8.00 एम.ए.एफ. पानी राज्य को मिल रहा है । राज्य के हिस्से का पूरा जल लेने के संबंध में राज्य का पक्ष रखने के लिए भाखडा ब्यास प्रबंधन मण्डल में एक प्रतिनिधि नियुक्त करने के प्रयास किए जा रहे है।
एसीएस स्तर के अधिकारी को नोडल अधिकारी नियुक्त करने की तैयारी है। राजस्थान की ओर से 0.60 एम.ए.एफ. रावी-व्यास पानी बहाली के लिए सर्वोच्च न्यायालय में एक मूल सूट नं. 6/2020 दायरकिया, जो कि 26 जुलाई 2024 को सर्वोच्च न्यायालय में सूचीबद्ध हुआ। मुख्य सचिव, राजस्थान की ओर से उत्तर क्षेत्रीय परिषद की स्टेण्डिंग कमेटी की 25 अक्टूबर 2024 को आहूत 21वीं बैठक में भी यह मुद्दा उठाया गया तथा अतिरिक्त मुख्य सचिव, जल संसाधन, राजस्थान की ओर से 27 फऱवरी 2025 को इस बाबत सचिव जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार को पत्र भी लिखा गया है।
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