राजस्थान बने प्रवासी पक्षियों का स्वर्ग, 10 लाख से अधिक मेहमानों की मौजूदगी!
जैसलमेर से भरतपुर तक आसमान में रंगों की उड़ान
सर्दियों की दस्तक के साथ ही राजस्थान एक बार फिर प्रवासी पंखों की चहचहाहट सुनाई दे रही है।पक्षी विशेषज्ञों की माने तो राज्यभर में इस समय 10 लाख से अधिक प्रवासी पक्षी मौजूद
जयपुर। सर्दियों की दस्तक के साथ ही राजस्थान एक बार फिर प्रवासी पंखों की चहचहाहट सुनाई दे रही है।पक्षी विशेषज्ञों की माने तो राज्यभर में इस समय 10 लाख से अधिक प्रवासी पक्षी मौजूद हैं, जो हजारों किलोमीटर का सफर तय कर यहां पहुंचे हैं। रेगिस्तान की सुनहरी रेत से लेकर झीलों की चमक तक-हर इलाके में इन मेहमान पखेरुओं ने अपना बसेरा बना लिया है।
मुख्य हॉटस्पॉट्स में भारी संख्या में पहुंचे प्रवासी मेहमान
राजस्थान के प्रमुख बर्डिंग स्पॉट्स पर इस बार प्रवासियों की उपस्थिति रिकॉर्ड स्तर पर बनी हुई है।
खीचन में करीब 15,000 कुरजा डेरा जमाए हुए हैं।
सांभर लेक में इस समय 5 लाख से ज्यादा प्रवासी पक्षी मौजूद हैं, जिनमें बड़ी संख्या में पेलिकंस, वेडर और वॉटरफाउल्स शामिल हैं।
भरतपुर के घाना बर्ड सेंचुरी में लगभग 4 लाख से अधिक पक्षी पहुंच चुके हैं।
जॉरबिड वल्चर कंज़र्वेशन रिज़र्व में करीब 3,000 गिद्ध और स्टेप्स ईगल की दस्तक दर्ज हुई है।
जयपुर के आसपास भी बढ़ रही है चहचहाहट
राजधानी जयपुर के पास स्थित कानोता लेक, चंदलाई लेक और मुहाना बर्ड पार्क में भी प्रवासी पक्षियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ये स्थल शॉर्ट-डिस्टेंस वॉटर बर्ड्स के पसंदीदा ठिकानों में तेजी से शामिल हो रहे हैं।
बीकानेर, खीचन और भरतपुर—अंतरराष्ट्रीय पहचान वाले स्पॉट
बीकानेर में इस बार स्टेपी ईगल, इम्पीरियल ईगल, हिमालयन ग्रिफ़ोन, यूरेशियन ग्रिफ़ोन, सिनेरस वल्चर और ईजिप्शियन वल्चर जैसी दुर्लभ प्रजातियों का जमावड़ा देखने को मिल रहा है।
खीचन अपनी विश्व प्रसिद्ध कुरजा संरक्षण परंपरा के कारण फिर चर्चा में है।
भरतपुर और सांभर लेक में 30 प्रवासी प्रजातियाँ दर्ज की गई हैं, जिनमें नॉर्दर्न शॉवलर्स और रफ़, फ्लेमिंगो की संख्या सबसे अधिक है।
पर्यावरण संरक्षण का सकारात्मक संकेत
पक्षी विशेषज्ञ रोहित गंगवाल के अनुसार, किसी क्षेत्र में प्रवासी पक्षियों का लौटना उस इलाके के स्वस्थ होते पर्यावरण और बेहतर संरक्षण का मजबूत संकेत है। राजस्थान के wetlands, grasslands और open habitats की स्थिति पिछले वर्षों की तुलना में और बेहतर हुई है। राजस्थान में इन रंगीन मेहमानों का आगमन न सिर्फ प्रकृति प्रेमियों के लिए सौगात है, बल्कि राज्य की जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण की सफलता की भी बड़ी कहानी कहता है

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