राजस्थान को यमुना का 1917 क्यूसेक जल आवंटित, लेकिन 30 साल में पानी लाने का नहीं बन सका कैरियर सिस्टम
डीपीआर तैयार कर हरियाणा सरकार को एग्जामिन के लिए पहले ही सौंप चुका राजस्थान
भजनलाल सरकार ने फरवरी 2024 में सीकर, चूरू और झुंझुनूं को यमुना का पानी उपलब्ध कराने के लिए किया था एमओयू
जयपुर। यमुना जल पर मई 1994 में हुए संपादित समझौते के अनुसार राजस्थान को हरियाणा स्थित ताजेवाला हेड पर मानसून के दौरान 1917 क्यूसेक जल मिलना चाहिए, लेकिन राज्य को हरियाणा ने कभी पूरा पानी नहीं उपलब्ध कराया। वर्तमान में ताजेवाला हेड से राजस्थान को जल लाने के लिए केरियर सिस्टम उपलब्ध नहीं है। राज्य की ओर से वर्ष 2003 में हरियाणा की नहरों को रिमॉडलिंग कर राजस्थान में यह जल लाए जाने के लिए एवं पुन: वर्ष 2017 में भूमिगत प्रवाह प्रणाली के माध्यम से जल लाने के लिए हरियाणा सरकार को एमओयू भेजा गया, जिस पर हरियाणा राज्य की सहमति प्राप्त नहीं हो सकी थी। पिछले 30 वर्षों के दौरान राजस्थान की ओर से लगातार इस मुद्दे को अपर यमुना रिव्यू कमिटी और अन्य अंतराज्यीय बैठकों में निरंतर रखा गया।
प्रथम चरण की संयुक्त डीपीआर
मुख्यमंत्री भजनलाल सरकार ने सत्ता संभालने के बाद ताजेवाला हेड वर्क्स से राजस्थान के तीन जिलों को यमुना का पानी उपलब्ध कराने के लिए केन्द्र के सार्थक प्रयासों से प्रथम चरण की संयुक्त रूप से डीपीआर बनाने के लिए हरियाणा के त्रिपक्षीय एमओयू पर हस्ताक्षर किए। फरवरी 2024 में ताजेवाला हेड पर आवंटित जल के राजस्थान में पेयजल उपयोग के लिए नई दिल्ली में एमओयू हुआ।
अधिकारियों की ज्वाइंट टास्क फोर्स बनेगी: सीएम
हाल ही दिल्ली में केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री सी.आर.पाटिल के साथ हरियाणा सीएम की मौजूदगी में चर्चा के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि यमुना जल समझौता दोनों राज्यों के लिए यह बहुत अच्छा समझौता है। राजस्थान का शेखावाटी अंचल लंबे समय से यमुना जल का इंतजार कर रहा है। अब वो इंतजार खत्म होने जा रहा है और जल्द ही अधिकारियों की ज्वाइंट टास्क फोर्स डीपीआर का काम शुरू करेगी।
290 किलोमीटर भूमिगत पाइपलाइन डलेगी
प्रोजेक्ट के तहत करीब 290 किलोमीटर लंबी भूमिगत पाइपलाइनों के माध्यम से यमुना नदी का पानी राज्य के तीन जिलों सीकर, चूरू और झुंझुनूं को उपलब्ध कराया जाएगा। यह परियोजना दोनों राज्यों के लिए हितकारी साबित होगी। शेखावाटी के इन तीनों जिलों में पीने के पानी की खासकर ज्यादा समस्या रहती है। ऐसे में इस परियोजना के धरातल पर आने के बाद इन जिलों की पीने के पानी की समस्या का स्थाई समाधान हो सकेगा।
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