19 साल बाद पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र का दुर्लभ संयोग में कल मनेगी मकर संक्रांति
खरमास होगा समाप्त और शुभ कार्य होंगे शुरू
14 जनवरी को प्रात 10:17 मिनट तक पुनर्वसु नक्षत्र और इसके पश्चात पूरे दिन पुष्य नक्षत्र रहेगा।
जयपुर। इस बार मकर संक्रांति पर 19 साल बाद दुर्लभ संयोग बन रहा है, जब भगवान सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करने के समय पुनर्वसु व पुष्य नक्षत्र का युग्म संयोग बन रहा है। सूर्य इस दिन धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इसलिए मकर संक्रांति मनाई जाती है। सूर्य देव 14 जनवरी को अपने पुत्र शनि की स्वामित्व वाली मकर राशि में आ रहे हैं। इस दिन ही सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में आ जाते हैं। उत्तरायण को देवता का दिन कहा जाता है। मकर संक्रांति के साथ खरमास समाप्त हो जाता है और शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। मकर संक्रांति के दिन ही सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। इस दिन तिल और गुड़ का सेवन खासतौर पर किया जाता है। इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है।
पुनर्वसु व पुष्य नक्षत्र का संयोग
इस बार पुनर्वसु व पुष्य नक्षत्र के युग्म संयोग में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। 14 जनवरी को प्रात 10:17 मिनट तक पुनर्वसु नक्षत्र और इसके पश्चात पूरे दिन पुष्य नक्षत्र रहेगा।
स्नान, दान के लिए शुभ मुहूर्त
मकर संक्रांति का पुण्यकाल 14 जनवरी को सुबह 9.3 मिनट से शुरू होगा जबकि समाप्त शाम 5.46 मिनट पर होगा। महापुण्यकाल 14 जनवरी को सुबह 9.3 मिनट से सुबह 10.4 मिनट तक रहेगा। ये दोनों ही समय स्नान और दान के लिए शुभ हैं।
कुंडली दोष दूर करने के लिए उपाय
मकर संक्रांति के दिन पानी में काली तिल और गंगाजल मिला कर स्नान करना चाहिए। इससे सूर्य की कृपा होती है और कुंडली के ग्रह दोष दूर होते हैं। ऐसा करने से सूर्य और शनि दोनों की कृपा मिलती है क्योंकि इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश करते हैं।
इनका कहना है
इस बार पुनर्वसु व पुष्य नक्षत्र के युग्म संयोग में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। 14 जनवरी को प्रात 10:17 मिनट तक पुनर्वसु नक्षत्र और इसके पश्चात पूरे दिन पुष्य नक्षत्र रहेगा। मकर संक्रांति का पुण्यकाल 14 जनवरी को सुबह 9.3 मिनट से शुरू होगा जबकि समाप्त शाम 5.46 मिनट पर होगा।
-डॉ. अनीष व्यास, भविष्यवक्ता एवं कुण्डली विश्लेषक, जोधपुर
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