बेगम बतूल ने दी फाग, लोकगीत और कबीर भजनों की सुरीली प्रस्तुति
विश्व रंगमंच दिवस के तहत हुआ नाटक सफेद जवारा का मंचन
इस मौके पर जेकेके, आरआईसी जैसी जगहों पर नाटकों का मंचन हुआ, लेकिन प्रदेश का सबसे पुराना कला केन्द्र रवीन्द्र मंच पर इस दिन एक भी नाटक का मंचन नहीं हुआ।
जयपुर। जवाहर कला केंद्र की ओर से राजस्थान दिवस समारोह के अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी गई। रंगायन सभागार में मंचित अनिल मारवाड़ी द्वारा लिखित और निर्देशित नाटक सफेद जवारा गणगौर परंपरा पर आधारित नाटक है, जिसकी कहानी लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाए हुए अंधविश्वास को दूर करने का प्रयास हैं। नाटक की कहानी नायिका किसी कारण से गणगौर पर अपने पीहर नहीं जा पाती और उसे ससुराल में ही अपनी सास व ननदों के साथ त्यौहार मनाना पड़ता हैं। कहानी दूसरा मोड़ तब लेती है। जब नायिका के मन का डर अब उसके सामने आ खड़ा होता है। मध्यवर्ती का मंच भावपूर्ण सुरों ने गूंजने लगा जब पद्मश्री अलंकृत, भजन, लोकगीत एवं मांड गायिका बेगम बतूल ने विघ्नहरता श्रीगणेश की वंदना में प्यारा गजानन देवा, प्यारा गजानन, घूमतदा घर आओ गाकर कार्यक्रम की शुरुआत की।
मौका था मध्यवर्ती में भजन गायन कार्यक्रम का जहां राजस्थानी लोकगीतों और भजनों की अनूठी प्रस्तुति दी गई। बेगम बतूल ने इस सांस्कृतिक संध्या में केसरिया बालम आओ नी, पधारो म्हारे देस, राम माने प्यारा लागो सा और म्हारा हरिया बन का सूवाटिया जैसे मधुर लोक गीतों के साथ फाग गीत और कबीर भजनों से शाम को सुरों में पिरोया। रवीन्द्र मंच पर रंगमंच दिवस पर नहीं खेला गया नाटक: अंतरराष्ट्रीय रंगमंच दिवस गुरुवार को मनाया गया। इस मौके पर जेकेके, आरआईसी जैसी जगहों पर नाटकों का मंचन हुआ, लेकिन प्रदेश का सबसे पुराना कला केन्द्र रवीन्द्र मंच पर इस दिन एक भी नाटक का मंचन नहीं हुआ।
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