दावा और हकीकत : स्किल ट्रेनिंग के बावजूद अनस्किल्ड युवा, उद्योगों को खुद ही निखारना पड़ता है हुनर

कई युवाओं को सर्टिफिकेट तो मिलते हैं

दावा और हकीकत : स्किल ट्रेनिंग के बावजूद अनस्किल्ड युवा, उद्योगों को खुद ही निखारना पड़ता है हुनर

इन युवाओं में से लगभग 70 से 80 प्रतिशत को ही रोजगार मिल पाया। कई युवाओं को सर्टिफिकेट तो मिलते हैं, लेकिन जॉब नहीं। 

जयपुर। राजस्थान में स्किल डवलपमेंट को लेकर दावों और जमीनी हकीकत के बीच अब भी गहरी खाई है। सरकारी स्किल ट्रेनिंग योजनाएं युवाओं को रोजगार से जोड़ने का दावा करती हैं, लेकिन कंपनियों की अपेक्षाओं और अभ्यर्थियों की तैयारियों के बीच तालमेल की कमी अब भी बड़ी चुनौती बनी हुई है। स्किल ट्रैनिंग के बावजूद उद्योगों को खुद ही हुनर निखारना पड़ता है। परिणामस्वरूप, औसतन आधे प्रशिक्षित युवा ट्रेनिंग के बाद भी नौकरी तक नहीं पहुंच पाते। राज्य सरकार वर्तमान में करीब 31 प्रकार के स्किल कोर्सेज संचालित कर रही है। एक अप्रैल 2024 से 31 जनवरी 2025 के बीच 69,346 युवाओं को ट्रेनिंग दी गई। हालांकि, इन युवाओं में से लगभग 70 से 80 प्रतिशत को ही रोजगार मिल पाया। कई युवाओं को सर्टिफिकेट तो मिलते हैं, लेकिन जॉब नहीं। 

कोर्स का कंटेंट और कंपनियों की उम्मीदें अलग-अलग
कंपनियों को आज ऐसे कर्मचारियों की जरूरत है जो पहले दिन से काम कर सकें, लेकिन कई स्किल ट्रेनिंग कोर्स आज भी पुराने पाठ्यक्रमों पर आधारित हैं। इससे युवा तकनीक के मामले में पिछड़े रह जाते हैं और कंपनियों को उन्हें अलग से ट्रेनिंग देनी पड़ती है। कई बार कंपनियां अस्थायी नौकरी देने के बाद स्किल की कमी के कारण कर्मचारियों को बाहर कर देती हैं। वहीं, युवा भी कम वेतन और कार्यस्थल की दूरी के कारण नौकरियां छोड़ देते हैं।

इन सेक्टर में बेहतर रहा प्लेसमेंट
टूरिज्म, हॉस्पिटैलिटी, आईटी, इलेक्ट्रिशियन और प्लंबर जैसे क्षेत्रों में प्लेसमेंट बेहतर रहा है, जबकि कृषि, हस्तशिल्प और परंपरागत क्षेत्रों में ट्रेनिंग लेने वाले युवा सर्टिफिकेट तक ही सीमित रह गए।

मौके और चुनौतियां दोनों
राज्य में नए निवेश आ रहे हैं। जमीनें आवंटित हो रही हैं और जल्द नए उद्योग लगने की संभावना है। इससे रोजगार के अवसर बढ़ सकते हैं। लेकिन इसके लिए ट्रेनिंग की गुणवत्ता, पाठ्यक्रम की प्रासंगिकता और युवाओं की प्रोफेशनल सोच को विकसित करना जरूरी होगा।

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सरकार की नई योजना राज्य एप्रेंटिस स्कीम
भजनलाल सरकार अब केन्द्र की तर्ज पर राज्य एप्रेंटिस स्कीम लाने की तैयारी में है। इसके तहत जो कंपनियां प्रशिक्षित युवाओं को नौकरी देंगी, उन्हें प्रति युवा 1500 से 3000 रुपए मासिक प्रोत्साहन राशि देने की योजना है। इससे कंपनियों पर वेतन का भार कम होगा और वे ज्यादा स्किल्ड युवाओं को काम पर रख सकेंगी। सरकार पहले से ही स्किल ट्रेनिंग देने वाली संस्थाओं को प्रशिक्षित युवाओं को नौकरी दिलाने पर ट्रेनिंग की राशि का 25 प्रतिशत राशि अतिरिक्त देती है। हालांकि इस योजना के साथ साथ सरकार को कंपनियों से फीडबैक के आधार पर इंडस्ट्री डिमांड अनुसार युवाओं की ट्रेनिंग की व्यवस्था करनी चाहिए। चीन, जापान जैसे देशों में स्किल ट्रेनिंग के दौरान किए जा रहे नवाचारों को यहां बढ़ाने की जरूरत है। 

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कहते हैं विशेषज्ञ
रा ज्य एप्रेंटिस स्कीम से स्किल्ड युवाओं को ज्यादा मौके मिलेंगे।  सरकार का प्रयास है कि युवाओं को स्किल टेनिेंग देकर अधिक से अधिक रोजगार मुहैया कराया जाए। कंपनियों को भी सरकार की तरफ से प्रोत्साहन राशि देकर योजना की खांमियों को दूर करने का प्रयास हम कर रहे हैं। 
- राज्यवर्धन सिंह राठौड़, उद्योग एवं कौशल मंत्री

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कई बार कंपनियों को युवाओं को अलग से नई तकनीक सिखानी पड़ती है। प्लेसमेंट से पहले कंपनियों से सुझाव लेकर पॉलिसी में कुछ सुधार संभव हैं। कई देशों में ऐसी समस्याएं हमारे देश की तुलना में कम हैं। युवाओं को एआई तकनीक से जोड़ते हुए पाठ्यक्रमों को बढ़ावा देना चाहिए। 
- सुरेंद्र सिंह चौहान, सॉफ्टवेयर कंपनी मैनेजर

प्ले समेंट के बाद भी ट्रेनिंग की कमी के नाम पर कंपनियां हटा देती हैं। सरकार को प्रैक्टिकल ट्रेनिंग पर जोर देना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में डिप्लोमा से रोजगार की संभावना कम रहती है,लिहाजा परिवार की वजह से बाहर जाने में परेशानी आती है। ग्रामीण क्षेत्रों में ट्रेनिंग ले चुके युवाओं को नौकरी के नजदीकी विकल्प पर भी सरकार को सोचना चाहिए।
- श्रवण कुमार, डिप्लोमा होल्डर

 

Tags: youth

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