कम वोटिंग से राजनीति दलों में मंथन का दौर शुरू, दूसरे चरण की 13 सीटों को लेकर रणनीति बनाने में जुटे
भाजपा को फायदा मिलता है
ऐसे में इस बार पहले चरण की सीटों पर कम वोटिंग ने भाजपा को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
जयपुर। लोकसभा चुनाव के पहले चरण में राज्य की 12 सीटों पर कम वोटिंग प्रतिशत ने राजनीति दलों की चिंता बढ़ा दी है। बीजेपी और कांग्रेस में अब मंथनों का दौर शुरू हो गया है। आमतौर पर राजस्थान में परसेप्शन है कि विधानसभा में वोटिंग प्रतिशत बढ़े, तो राज्य सरकार को टेंशन हो जाती है। वहीं लोकसभा में वोटिंग प्रतिशत बढ़ता है, तो भाजपा को फायदा मिलता है। ऐसे में इस बार पहले चरण की सीटों पर कम वोटिंग ने भाजपा को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
सवाल ये भी है कि पहले चरण में कम वोटिंग होने से भाजपा और कांग्रेस के बीच वोट शेयर में क्या अंतर रहेगा। सीट पर जीत-हार का असल खेल वोट शेयर के आंकड़ों में छिपा है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के वोट शेयर में करीब 24 फीसदी का अंतर रहा। इस कारण कांग्रेस पिछले दो बार से जीरो पर अटकी है। इस बार कम वोटिंग से कांग्रेस में कुछ आस जगी है। दोनों ही दल अब दूसरे चरण की 13 सीटों को लेकर विशेष रणनीति तैयार करने में जुटे है।
Comment List