सिंधु नदी का पानी राजस्थान, पंजाब-हरियाणा की नदियों में लाने की कवायद
राजस्थान और हरियाणा के बीच एक्सपर्ट की मौजूूदगी में हुआ मंथन
डेनमार्क दूतावास के प्रतिनिधियों ने इस महत्वपूर्ण सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए केन्द्रीय और राज्य भूजल विभाग को शामिल करने का अनुरोध किया हैं।
जयपुर। पाकिस्तान में जाने वाले सिन्धु नदी के पानी को लेकर राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में मंथन शुरू हो गया है। लुप्त हो चुकी सरस्वती नदी को लेकर सोमवार को राजस्थान और हरियाणा के बीच साइंटिस्ट के साथ जयपुर में मंथन हुआ। इस दौरान चर्चा हुई कि पाकिस्तान में जाने वाले रावी, व्यास, सतलज का पानी हरियाणा, पंजाब, राजस्थान की नदियों को दिया जा सकता हैं। सरस्वती हेरिटेज बोर्ड हरियाणा के साथ बिरला विज्ञान अनुसंधान, जयपुर में हुई बैठक में जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत शामिल हुए। सरस्वती बोर्ड हरियाणा के डिप्टी चेयरमैन धूमन सिंह कीरमिच व बिरला विज्ञान अनुसंधान संस्थान, जयपुर के सुदूर संवेदन विभाग प्रमुख डॉ. महावीर पूनिया एवं जल संसाधन विभाग राजस्थान के मुख्य अभियन्ता भुवन भास्कर और वर्चुअल जुड़ने वाले अधिकारी इसरो के रिटायर्ड डायरेक्टर डॉ. जेआर शर्मा और डॉ. बीके भद्रा भी उपस्थित रहे।
धूमन सिंह ने हरियाणा में वैदिक सरस्वती नदी के पुनर्जीवन पर किए गए कार्यों का प्रजेन्टेंशन देते हुए बताया कि सरस्वती नदी इस क्षेत्र में युगों युगों से बहती थी, अब इस नदी को धरातल पर लाने का कार्य हरियाणा के साथ राजस्थान सरकार ने शुरू किया है। उन्होंने बताया कि हरियाणा के मुख्यमंत्री भी इस प्रोजेक्ट में काम करने के इच्छुक है। राजस्थान सरकार की इच्छा शक्ति इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ा सकती है, जिससे राजस्थान के सूखे क्षेत्र को हरा-भरा बनाने में बहुत बड़ा योगदान हो सकता है।
अन्तरराज्यीय जल को लेकर राजस्थान सरकार सदैव सजग
बैठक में जल संसाधन मंत्री रावत ने कहा कि अन्तरराज्यीय जल को लेकर राजस्थान सरकार सदैव सजग है। राज्य सरकार द्वारा पहल करते हुए विलुप्त हुई सरस्वती नदी को लेकर पुर्नजीवित करने का कार्य भी हाथ में लिया जा चुका है। डेनमार्क दूतावास के प्रतिनिधियों ने इस महत्वपूर्ण सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए केन्द्रीय और राज्य भूजल विभाग को शामिल करने का अनुरोध किया हैं। काजरी जोधपुर और आईआईटी बीएचयू ने इस परियोजना में भाग लेने की सहमति दे दी हैं।

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