समर्थन मूल्य से कम दाम पर किसान नहीं बेचेंगे अपनी उपज, गांव बंद से किसान राज तक के संकल्प का प्रस्ताव हुआ पारित
मध्य प्रदेश जैसे राज्य भी सरसों उत्पादक है
दिशा में चने के न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए राजस्थान, महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश के प्रतिनिधियों के साथ बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया गया।
जयपुर। किसानों को उसकी उपज का सही दाम मिले और कम दाम होने की स्थिति में उपज का बेचान नहीं करने के लिए किसानों को जागरूक किया जाएगा। इसके लिए किसान महापंचायत की ओर से समान विचारधारा वाले किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की बैठक किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट की अध्यक्षता में किसान भवन में संपन्न हुई। जाट ने बताया कि तात्कालिक रूप से सरसों का मूल्य किसानों द्वारा निर्धारित करने की दिशा में सरसों सत्याग्रह आरंभ करना अपरिहार्य हो गया है राजस्थान में संपूर्ण देश के उत्पादन की 48 प्रतिशत से अधिक सरसों का उत्पादन राजस्थान में होता है।
इसके अतिरिक्त हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे राज्य भी सरसों उत्पादक है। उन्होंने बताया कि गत वर्ष सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5650 रुपए प्रति क्विंटल होते हुए भी किसानों को सरसों के दाम 4600 रुपए प्रति क्विंटल तक ही प्राप्त हुए थे। इस वर्ष भी सरसों का बाजार में 5500 रुपए प्रति क्विंटल तक है जबकि घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य 5950 रुपए प्रति क्विंटल है और सरसों की आवक आरंभ होते ही बाजार 5000 रुपए प्रति क्विंटल तक से भी नीचे चले जाते हैं। जाट ने बताया कि फसलों का घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्ति की दिशा में छह हजार रुपए प्रति क्विंटल से कम दामों में सरसों नहीं बेचने के संकल्प के लिए प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया। इसी दिशा में चने के न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए राजस्थान, महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश के प्रतिनिधियों के साथ बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया गया। उन्होंने बताया कि 28 फरवरी तक सभी जिला कलेक्टरों के माध्यम से सरकारों को ज्ञापन प्रेषित करने का निर्णय भी लिया गया।
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