फर्जी कॉल सेंटर बनाकर एईपीएस सेवा देने के नाम पर ठगी करने वाली गैंग का खुलासा, 5 बदमाशों को किया गिरफ्तार
राजस्थान सहित कई राज्यों में की 50 से अधिक साइबर ठगी की वारदात
एनसीआरबी में दर्ज शिकायतों से विद्याधर नगर में कुछ संदिग्ध मोेबाइल और ई-मेल एक्टिव होने की सूचना पर हुई कार्रवाई
जयपुर। विद्याधर नगर थाना पुलिस ने किराए की दुकान में फर्जी कॉल सेंटर बनाकर कई राज्यों में एईपीएस सेवा देने के नाम पर ठगी की वारदात करने वाले मुख्य सरगना और दो युवतियों सहित पांच साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के पास तीन लैपटॉप, 6 मोबाइल, प्रिंटर और 10 अलग-अलग कम्पनियों के सिम कार्ड व अन्य उपकरण जब्त किए हैं। आरोपियों ने राजस्थान सहित देश के अन्य राज्यों में 50 से अधिक लाखों रुपए की साइबर ठगी की वारदातों को अंजाम दिया है। डीसीपी उत्तर राशि डोगरा डूडी ने बताया कि आरोपी मुख्य सरगना अविनाश सैनी (24) निवासी बोराला की ढाणी मिलन सिनेमा हरमाड़ा, लोकेश गुर्जर (24) निवासी गुर्जरों की ढाणी गोकुल बाग रिसोर्ट के पास विश्वकर्मा, दुर्गेश शर्मा (22) गांव लिवाली सवाई माधोपुर,ज्योति राठौड़ (24) निवासी हाथौज पुलिस थाना कालवाड़ और शंकुतला बाकोलिया (20) निवासी भैरवनगर बैनाड़ करधनी से गिरफ्तार किया है। डीसीपी डूडी ने बताया कि आरोपी ई-मित्र संचालकों को अधिक मुनाफा देने के नाम पर उनसे अलग-अलग खातों में रुपए ट्रांसफ र करवाकर ठगी करते थे। बदमाश ई-मित्र संचालकों को सिल्वर प्लान के तहत तीन प्रतिशत, गोल्ड प्लान के तहत 10 प्रतिशत, डायमण्ड प्लान के तहत 20-25 प्रतिशत कमीशन का लालच देकर ठगी करते थे। पांचों शातिर बदमाश रोजाना नए नंबर और मोबाइल का प्रयोग करते थे।
कैसे पकड़े गए
विद्याधर नगर एचएसओ राकेश ख्यालिया ने बताया कि नेशनल साइबर क्राइम पर जयपुर की दर्ज शिकायतों का विश्लेषण करने पर पता चला कि विद्याधरनगर में कुछ संदिग्ध मोेबाइल और ई-मेल काफी एक्टिव हैं। संदिग्ध मोबाइल नम्बरों को जेआईएमएस पोर्टल पर सर्च किया तो इन नम्बरों के खिलाफ राजस्थान सहित अन्य राज्यों में साइबर फ्राड की अनेक शिकायतें दर्ज थीं। जांच में पता चला कि आरोपी विद्याधर नगर के गोल्डन टावर में ऑफिस बनाकर ठगी कर रहे हैं। पुलिस ने मौके पर दबिश देकर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
यूं देते हैं वारदात को अंजाम
ई मित्र संचालकों, आनलाइन रिचार्ज, आनलाइन टिकट आदि ऑनलाइन कार्य करने वाले कम्प्यूटर संचालकों को मोटा मुनाफे का झांसा देकर स्वयं के एकांउट में पैसे डलवाकर ठगी की वारदातों को अंजाम देते थे।
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