दूसरी नौकरी के लिए छोड़ा कांस्टेबल का पद, हाईकोर्ट ने ट्रेनिंग पर हुआ खर्च जमा कराने के दिए आदेश
पुलिस विभाग उसे वापस बुलाने के लिए स्वतंत्र रहेगा
दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने याचिकाकर्ता को ट्रेनिंग पर खर्च हुई राशि का भुगतान करने को कहा हैं।
जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने कांस्टेबल के दूसरी नौकरी के लिए पद छोड़ने के मामले में आदेश दिए हैं कि वह परिवीक्षा काल में ट्रेनिंग पर हुए खर्च को पुलिस विभाग में जमा कराए। अदालत ने स्पष्ट किया है कि कांस्टेबल को इस अवधि में दिए वेतन की वसूली नहीं की जाएगी। जस्टिस अनूप ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश राजेश की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने अपने आदेश में पुलिस प्रशासन को निर्देश दिए कि वह याचिकाकर्ता को प्रशिक्षण खर्च हुई राशि निर्धारित कर चार सप्ताह में इसकी जानकारी मुहैया कराए। याचिकाकर्ता एक माह में इस राशि को जमा कराए। अदालत ने कहा कि राशि जमा होने पर विभाग उसे एनओसी जारी करे। अदालत ने याचिकाकर्ता को संगणक पद पर कार्य ग्रहण करने की सशर्त अनुमति देते हुए कहा कि यदि तय अवधि में याचिकाकर्ता राशि जमा नहीं कराता है तो पुलिस विभाग उसे वापस बुलाने के लिए स्वतंत्र रहेगा।
याचिका में अधिवक्ता बजरंग ने बताया कि याचिकाकर्ता की कांस्टेबल पद पर 3 फरवरी, 2023 को नियुक्ति हुई थी। परिवीक्षा काल पूरा करने पर उसे गत 27 फरवरी को नियमित कर दिया गया। इस दौरान उसका संगणक पद पर चयन हो गया। ऐसे में उसने पुलिस विभाग में प्रार्थना पत्र पेश कर रिलीव करने को कहा, लेकिन उसे कार्य मुक्त नहीं किया गया। ऐसे में पुलिस प्रशासन को निर्देश दिए जाए कि वह याचिकाकर्ता को कार्य मुक्त करे। इसका विरोध करते हुए रा य सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता की ट्रेनिंग पर काफी धनराशि खर्च हुई है। याचिकाकर्ता की ओर से यह राशि जमा कराने पर उसे रिलीव किया जा सकता है। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने याचिकाकर्ता को ट्रेनिंग पर खर्च हुई राशि का भुगतान करने को कहा हैं।
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