दुष्कर्म पीड़िता का गर्भपात नहीं किया तो रालसा ने सौ किलोमीटर दूर जज को भेजकर दिलाई राहत
पीड़िता के सिर्फ 13 सप्ताह का गर्भ था
जीनवाल ने अस्पताल में मौजूद चिकित्सकों को आड़े हाथों लेते हुए उन्हें सुप्रीम कोर्ट और बाल अधिकारिता विभाग के आदेशों की याद दिलाई।
जयपुर। कोटपूतली-बहरोड में एक नाबालिग रेप पीड़िता का चिकित्सकों ने गर्भपात से इनकार कर उन्हें हाईकोर्ट का आदेश लाने को कहा। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को मामले की जानकारी मिलने पर सदस्य सचिव हरिओम अत्रि ने गंभीरता दिखाते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव एडीजे पवन जीनवाल को जयपुर से तत्काल सौ किमी दूर अस्पताल भेजकर पीड़िता को राहत दिलाने के निर्देश दिए। प्राधिकरण के आदेश की पालना में पवन जीनवाल अस्पताल पहुंचे। जीनवाल ने अस्पताल में मौजूद चिकित्सकों को आड़े हाथों लेते हुए उन्हें सुप्रीम कोर्ट और बाल अधिकारिता विभाग के आदेशों की याद दिलाई।
जज को मौके पर आया देखकर पीड़िता का सुरक्षित गर्भपात कराया गया। वहीं प्राधिकरण सचिव ने अस्पताल प्रशासन को भविष्य में ऐसे संवेदनशील मामलों में किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरतने की सख्त हिदायत दी। प्राधिकरण सचिव पवन जीनवाल ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार 24 सप्ताह तक के गर्भपात की अनुमति है। वहीं बाल अधिकारिता विभाग के एक फरवरी, 2024 के अनुसार 20 सप्ताह के गर्भपात के लिए नाबालिग के अभिभावकों के आवेदन पर कोई भी पंजीकृत चिकित्सक कार्रवाई कर सकता है। वहीं यदि 24 सप्ताह से अधिक का गर्भ है तो उसके लिए हाईकोर्ट से अनुमति लेनी होती है। इस मामले में पीड़िता के सिर्फ 13 सप्ताह का गर्भ था। इसके बावजूद भी चिकित्सक उन्हें परेशान कर रहे थे।
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