5.55 लाख परिवारों को जॉब कार्ड जारी रोजगार पाने वाले 3.89 लाख परिवार
सरकारी तर्क जो भी हो, लेकिन योजना की हकीकत
मुख्यमंत्री ने 9 सितंबर 2022 को खानियां की बावड़ी जयपुर में योजना का शुभारंभ किया। इस दौरान 800 करोड़ का बजट प्रावधान करते हुए शहरी जरुरतमंद को हर साल 100 दिवस का रोजगार देने का प्रावधान किया गया।
ब्यूरो/नवज्योति, जयपुर। मनरेगा की तर्ज पर शहरों में भी शुरू की गई इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना गांवों की तरह शहरी क्षेत्रों में अपनी छाप नहीं छोड़ सकी है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि योजना में 101 से 125 दिन का रोजगार पाने वाला पूरे राज्य के अरबन एरिया में केवल मात्र एक परिवार है, जबकि मनरेगा में संख्या हजारों के पार है। गारंटी योजना के अन्तर्गत 5.55 लाख परिवारों को जॉब कार्ड जारी किया जाकर 8.56 लाख व्यक्तियों का पंजीकरण किया गया, लेकिन इनमें से 3.89 लाख परिवारों को ही रोजगार मिला। अधिकतर परिवार पंजीकरण के बाद काम करने नहीं पहुंचे। 240 नगरीय निकायों में 17,928 कार्यों का चिह्निकरण कर 1025.64 करोड़ की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी की जा चुकी है। अब तक योजना में करीब 318.78 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है। योजना में व्यय राज्य निधि से वहन किया जा रहा है।
योजना का बजट प्रावधान
मुख्यमंत्री ने 9 सितंबर 2022 को खानियां की बावड़ी जयपुर में योजना का शुभारंभ किया। इस दौरान 800 करोड़ का बजट प्रावधान करते हुए शहरी जरुरतमंद को हर साल 100 दिवस का रोजगार देने का प्रावधान किया गया। वित्तीय वर्ष 2023-24 से 100 दिवस के स्थान पर 25 दिन अतिरिक्त सहित कुल 125 दिवस का गारंटीशुदा रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए 1100 करोड़ का बजट प्रावधान किया गया है।
आवेदन की प्रक्रिया
स्थानीय निकाय क्षेत्र में निवास कर रहे प्रत्येक परिवार के 18 वर्ष से 60 साल की उम्र के सदस्य का जनाधार कार्ड के आधार पर पंजीयन होता है। पात्र व्यक्ति को स्वयं, ई-मित्र या नगरीय निकाय स्थित योजना प्रकोष्ठ में नि:शुल्क पंजीकरण करने पर संबंधित नगरीय निकाय की ओर से रोजगार मांगने पर जॉब कार्ड के आधार पर 15 दिन में रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा। विषम परिस्थितियों जैसे कोरोना काल, अन्य कोई महामारी या आपदा में प्रवासी मजदूरों को भी इस योजना के अंतर्गत रोजगार उपलब्ध कराया जा सकेगा।
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